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बिलकिस बानो मामले में समय से पहले दोषी को क्यों छोड़ा, सुप्रीम कोर्ट ने पूछे सख्त सवाल

बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में रिहा हुए दोषियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. सर्वोच्च अदालत ने सवाल किया कि दोषी व्यक्तियों को सजा पूरी होने से पहले ही किस आधार पर रिलीज किया गया.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 14, 2023, 10:47 PM IST

नई दिल्ली: बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने काफी सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को सजा की अवधि पूरी होने से पहले किस आधार पर रिलीज किया गया, इसके बारे में कोर्ट को जानकारी दी जाए. कोर्ट ने कहा कि दोषी को पहले भी 1,500 दिनों तक पेरोल दी जा चुकी थी. आखिर किसी दोषी को इतनी तवज्जो क्यों दी जा रही है.

दोषी की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने पक्ष रखा. मामले की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइंया की बेंच कर रही थी. लूथरा ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर कि जघन्य अपराध हुआ है, दोषी को कोई भी उनका कानूनी हक न मिले, यह आधार गलत है. इस पर अदालत ने कहा कि वह इस बात से सहमत है कि किसी भी दोषी को सजा की अवधि से पहले छोड़ा जा सकता है और इसके लिए क्राइम की गंभीरता और इसकी प्रकृति फैक्टर नहीं है.

इसके बाद कोर्ट ने कहा कि हमें इस बात का पुर्निरीक्षण करना है कि आखिर इस मामले में दोषी को कहीं कोई रियायत नियमों की अनदेखी करके तो नहीं दी गई है. अदालत ने कहा कि आप पूरे मामले को देखिए, दोषी को 1,000 से 1,500 दिनों की अवधि का पेरोल दिया गया. इसलिए हम जानना चाहते हैं कि कहीं पक्षपात तो नहीं किया गया है.

लूथरा ने कहा कि अदालत इस समय रिव्यू नहीं कर रही है. इसके बावजूद क्राइम की प्रकृति और साक्ष्यों की चर्चा की गई, जबकि इस समय इसको उठाए जाने का कोई औचित्य नहीं है. लूथरा ने कहा कि अहम सवाल यह है कि सजा कम खत्म होगी. उन्हें उनके अधिकार और लिबर्टी से वंचित नहीं किया जा सकता है.

इस मामले में अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी. गौरतलब है कि कोर्ट उस मामले की सुनवाई कर रही है, जिसमें बिलकिस बानो गैंगरेप और उसके परिजनों की हत्या मामले में 11 दोषियों को समय से पहले रिहा कर दिया गया. यह मामला साल 2002 में गुजरात दंगे का है.

नई दिल्ली: बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने काफी सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को सजा की अवधि पूरी होने से पहले किस आधार पर रिलीज किया गया, इसके बारे में कोर्ट को जानकारी दी जाए. कोर्ट ने कहा कि दोषी को पहले भी 1,500 दिनों तक पेरोल दी जा चुकी थी. आखिर किसी दोषी को इतनी तवज्जो क्यों दी जा रही है.

दोषी की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने पक्ष रखा. मामले की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइंया की बेंच कर रही थी. लूथरा ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर कि जघन्य अपराध हुआ है, दोषी को कोई भी उनका कानूनी हक न मिले, यह आधार गलत है. इस पर अदालत ने कहा कि वह इस बात से सहमत है कि किसी भी दोषी को सजा की अवधि से पहले छोड़ा जा सकता है और इसके लिए क्राइम की गंभीरता और इसकी प्रकृति फैक्टर नहीं है.

इसके बाद कोर्ट ने कहा कि हमें इस बात का पुर्निरीक्षण करना है कि आखिर इस मामले में दोषी को कहीं कोई रियायत नियमों की अनदेखी करके तो नहीं दी गई है. अदालत ने कहा कि आप पूरे मामले को देखिए, दोषी को 1,000 से 1,500 दिनों की अवधि का पेरोल दिया गया. इसलिए हम जानना चाहते हैं कि कहीं पक्षपात तो नहीं किया गया है.

लूथरा ने कहा कि अदालत इस समय रिव्यू नहीं कर रही है. इसके बावजूद क्राइम की प्रकृति और साक्ष्यों की चर्चा की गई, जबकि इस समय इसको उठाए जाने का कोई औचित्य नहीं है. लूथरा ने कहा कि अहम सवाल यह है कि सजा कम खत्म होगी. उन्हें उनके अधिकार और लिबर्टी से वंचित नहीं किया जा सकता है.

इस मामले में अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी. गौरतलब है कि कोर्ट उस मामले की सुनवाई कर रही है, जिसमें बिलकिस बानो गैंगरेप और उसके परिजनों की हत्या मामले में 11 दोषियों को समय से पहले रिहा कर दिया गया. यह मामला साल 2002 में गुजरात दंगे का है.

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