ETV Bharat / bharat

जम्मू कश्मीर में क्यों बढ़ रहा है नशीली दवाओं का उपयोग ?

जम्मू कश्मीर में नशा करने वालों की तादाद हर रोज बढ़ती जा रही है.डॉक्टरों का दावा है कि पिछले तीन सालों में यहां 1500 फीसदी मरीजों की संख्या बढ़ी है.

मुजफ्फर खान
मुजफ्फर खान
author img

By

Published : Jun 28, 2021, 10:16 PM IST

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर जहां एक ओर अपने झरनों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनिया भर में मशहूर है, वहीं दूसरी तरफ नशे की लत (drug addiction) भी घाटी के युवाओं पर दिन-ब-दिन अपनी पकड़ मजबूत कर रही है. यहां के युवा हेरोइन के शिकार हो रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर (summer capital of Jammu Kashmir) स्थित नशामुक्ति केंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस (Institute of Mental Health and Neuroscience) के डॉक्टरों का दावा है कि पिछले तीन सालों में यहां 1500 फीसदी मरीजों की संख्या बढ़ी है, यहां 2016 में 489 मरीज इलाज के लिए आए, वहीं 2019 में 7420 मरीज नशामुक्ति के लिए आए और फिर 2020 में 3536 मरीज सामने आए.

डॉक्टरों का दावा है कि वर्ष 2020 में मरीजों की संख्या में गिरावट का कारण महामारी को देखते हुए लगाए गए प्रतिबंधों के कारण है और 2019 में यह संख्या केंद्र द्वारा 5 अगस्त के ऐतिहासिक निर्णय (historic decision ) लेने तक की है.

इस बीच जम्मू कश्मीर में नशीली दवाओं के उपयोग (drug use in Kashmir) पर हुए एक अध्ययन के मुताबिक कश्मीर में नशीले पद्वार्थों के सेवन और ओपिओइड्स (Opioids ) पर निर्भरता को लेकर पता चलत है कि घाटी के दो जिलों में हेरोइन सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दवा है.

ओपिओइड्स का उपयोग दर्द निवारक (painkillers) के रूप में किया जाता है, लेकिन घाटी में इनका उपयोग दवाओं के रूप में भी किया जा रहा है. रिसर्च के मुताबिक श्रीनगर और अनंतनाग (Srinagar and Anantnag) में इन दवाओं का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है.

जम्मू कश्मीर में क्यों बढ़ रहा है नशीली दवाओं का उपयोग

नशे से दूर रहने का आग्रह

हाल ही में जम्मू कश्मीर पुलिस के उत्तरी कश्मीर डीआईजी (DIG North Kashmir) सुजीत कुमार (Sujit Kumar) ने कुरान के हवाले (quoting the Qur'an) से युवाओं से नशे से दूर रहने का आग्रह किया.

इस महीने की 10 तारीख को पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad ) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सूरह 5 में, कुरान की आयत 90 कहती है कि नशा मना है.

ड्रग्स छोड़ने की इस तरह की अपील कोई नई बात नहीं है. सरकारी और गैर-सरकारी संगठन (non-government organizations), धार्मिक विशेषज्ञ लंबे समय से लोगों से नशीली दवाओं के खिलाफ आग्रह कर रहे हैं, लेकिन इसका उपयोग अभी भी बढ़ रहा है.

नशीली दवाओं का उपयोग क्यों बढ़ रहा है?

नशामुक्ति केंद्र (Police's de-addiction Center) के निदेशक डॉ. मुजफ्फर खान (Dr Muzaffar Khan) कहते हैं, 'नशीले पदार्थों के जाल में फंसने के तीन मुख्य कारण हैं. पहला है युवाओं का उत्साह में दोस्तों के दबाव में इस रास्ते पर चलना. दूसरा, युवा जिनके निजी जीवन में कुछ समस्याएं हैं और तीसरा, जो मासूमियत और गलतफहमी के शिकार होते हैं.

उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति रातों-रात नशे का आदी नहीं हो जाता. पहला सप्ताह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. यदि रोगी इस दौरान हमारे पास आता है, तो उसे समय पर और आसानी से बचाया जा सकता है. इसमें कम समय लगता है. इस अवधि के बाद इसमें समय लगता है. हालांकि इसका इलाज है, लेकिन इसमें समय लगता है.

पढ़ें - दिल्ली हवाई अड्डे से हेराेइन के साथ विदेशी तस्कर गिरफ्तार, जानें पूरा मामला

अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए, डॉ खान ने कहा, 'एक मरीज हमारे पास आया, जिसे यह भी नहीं पता था कि उसकी हड्डियां कब टूट गईं, लेकिन आज वह हमारे विभाग में काम करके एक अच्छा जीवन जी रहा है और अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमा रहा है.

उन्होंने कहा, 'जब लोग अपने प्रियजनों को मरीजों के रूप में हमारे पास लाते हैं, तो उनकी आंखों में दुख के आंसू होते हैं और जब वे उन्हें वापस लेते हैं तो खुशी के आंसू होते हैं.'

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर जहां एक ओर अपने झरनों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनिया भर में मशहूर है, वहीं दूसरी तरफ नशे की लत (drug addiction) भी घाटी के युवाओं पर दिन-ब-दिन अपनी पकड़ मजबूत कर रही है. यहां के युवा हेरोइन के शिकार हो रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर (summer capital of Jammu Kashmir) स्थित नशामुक्ति केंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस (Institute of Mental Health and Neuroscience) के डॉक्टरों का दावा है कि पिछले तीन सालों में यहां 1500 फीसदी मरीजों की संख्या बढ़ी है, यहां 2016 में 489 मरीज इलाज के लिए आए, वहीं 2019 में 7420 मरीज नशामुक्ति के लिए आए और फिर 2020 में 3536 मरीज सामने आए.

डॉक्टरों का दावा है कि वर्ष 2020 में मरीजों की संख्या में गिरावट का कारण महामारी को देखते हुए लगाए गए प्रतिबंधों के कारण है और 2019 में यह संख्या केंद्र द्वारा 5 अगस्त के ऐतिहासिक निर्णय (historic decision ) लेने तक की है.

इस बीच जम्मू कश्मीर में नशीली दवाओं के उपयोग (drug use in Kashmir) पर हुए एक अध्ययन के मुताबिक कश्मीर में नशीले पद्वार्थों के सेवन और ओपिओइड्स (Opioids ) पर निर्भरता को लेकर पता चलत है कि घाटी के दो जिलों में हेरोइन सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दवा है.

ओपिओइड्स का उपयोग दर्द निवारक (painkillers) के रूप में किया जाता है, लेकिन घाटी में इनका उपयोग दवाओं के रूप में भी किया जा रहा है. रिसर्च के मुताबिक श्रीनगर और अनंतनाग (Srinagar and Anantnag) में इन दवाओं का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है.

जम्मू कश्मीर में क्यों बढ़ रहा है नशीली दवाओं का उपयोग

नशे से दूर रहने का आग्रह

हाल ही में जम्मू कश्मीर पुलिस के उत्तरी कश्मीर डीआईजी (DIG North Kashmir) सुजीत कुमार (Sujit Kumar) ने कुरान के हवाले (quoting the Qur'an) से युवाओं से नशे से दूर रहने का आग्रह किया.

इस महीने की 10 तारीख को पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad ) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सूरह 5 में, कुरान की आयत 90 कहती है कि नशा मना है.

ड्रग्स छोड़ने की इस तरह की अपील कोई नई बात नहीं है. सरकारी और गैर-सरकारी संगठन (non-government organizations), धार्मिक विशेषज्ञ लंबे समय से लोगों से नशीली दवाओं के खिलाफ आग्रह कर रहे हैं, लेकिन इसका उपयोग अभी भी बढ़ रहा है.

नशीली दवाओं का उपयोग क्यों बढ़ रहा है?

नशामुक्ति केंद्र (Police's de-addiction Center) के निदेशक डॉ. मुजफ्फर खान (Dr Muzaffar Khan) कहते हैं, 'नशीले पदार्थों के जाल में फंसने के तीन मुख्य कारण हैं. पहला है युवाओं का उत्साह में दोस्तों के दबाव में इस रास्ते पर चलना. दूसरा, युवा जिनके निजी जीवन में कुछ समस्याएं हैं और तीसरा, जो मासूमियत और गलतफहमी के शिकार होते हैं.

उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति रातों-रात नशे का आदी नहीं हो जाता. पहला सप्ताह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. यदि रोगी इस दौरान हमारे पास आता है, तो उसे समय पर और आसानी से बचाया जा सकता है. इसमें कम समय लगता है. इस अवधि के बाद इसमें समय लगता है. हालांकि इसका इलाज है, लेकिन इसमें समय लगता है.

पढ़ें - दिल्ली हवाई अड्डे से हेराेइन के साथ विदेशी तस्कर गिरफ्तार, जानें पूरा मामला

अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए, डॉ खान ने कहा, 'एक मरीज हमारे पास आया, जिसे यह भी नहीं पता था कि उसकी हड्डियां कब टूट गईं, लेकिन आज वह हमारे विभाग में काम करके एक अच्छा जीवन जी रहा है और अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमा रहा है.

उन्होंने कहा, 'जब लोग अपने प्रियजनों को मरीजों के रूप में हमारे पास लाते हैं, तो उनकी आंखों में दुख के आंसू होते हैं और जब वे उन्हें वापस लेते हैं तो खुशी के आंसू होते हैं.'

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.