बेंगलुरु : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में दूध के दो ब्रांडों को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. एक है गुजरात का ब्रांड अमूल और दूसरा है कर्नाटक का लोकल ब्रांड नंदिनी. अमूल ने बेंगलुरु के बाजार में दस्तक देनी शुरू कर दी है, जबकि कर्नाटक होटल एसोसिएशन समेत कई स्थानीय समूहों ने अमूल की एंट्री का विरोध किया है. उन्होंने स्थानीय ब्रांड नंदिनी का समर्थन करने का फैसला किया है. क्योंकि यह विवाद चुनाव के वक्त हुआ है, लिहाजा यह राजनीतिक रूप से काफी संवेदनशील भी है. कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने खुलकर नंदिनी का साथ देने की घोषणा की है.
जानकार मानते हैं कि नंदिनी ब्रांड का मुकाबला अमूल ब्रांड इसलिए भी नहीं कर सकता है, क्योंकि नंदिनी अभी भी काफी कम कीमत पर बाजार में दूध उपलब्ध करवा रहा है, जबकि अमूल ब्रांड दूध की कीमत ज्यादा है. क्योंकि ग्राहकों को कम कीमत में दूध उपलब्ध हो रहा है, लिहाजा बाजार के हिसाब से देखेंगे, तो नंदिनी को कर्नाटक में ज्यादा समर्थन मिल रहा है. बेंगलुरु में नंदिनी ब्रांड के दूध की कीमत 39 रुपये प्रति लीटर है. यह टोन्ड मिल्क की कीमत है. इसके ठीक बरक्स टोन्ड मिल्क अमूल ब्रांड की कीमत 54 रुपये प्रति लीटर है. उसकी कीमत अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है. जैसे गुजरात में 52 रुपये प्रति लीटर कीमत है.
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#WATCH | "Nandini is a very good brand of our State...Congress and JD(S) doing politics at the time of elections": Karnataka CM Basavaraj Bommai, in Delhi pic.twitter.com/DnJf0SEgdL
— ANI (@ANI) April 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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इसी तरह से नंदिनी ब्रांड के फुल क्रीम दूध की कीमत 50 रुपये प्रति लीटर है, जबकि अमूल ब्रांड में इसकी कीमत 66 रुपये प्रति लीटर है. गुजरात में 64 रुपये प्रति लीटर, जबकि हैदराबाद में 68 रुपये प्रति लीटर है. नंदिनी ब्रांड दही की कीमत 47 रुपये प्रति किलो है, जबकि अमूल ब्रांड दही की कीमत 56 रुपये से 60 रुपये है.
अब सवाल यह उठता है कि अमूल अगर दूध की कीमत ज्यादा ले रहा है, तो क्या वह ज्यादा मुनाफा वसूल रहा है, या फिर नंदिनी ब्रांड इतनी कम कीमत पर दूध उपलब्ध करवा रहा है, तो इसके पीछे क्या कारण है. इसकी वजह है इन्सेंटिव. 2008 में बीएस येदियुरप्पा की कर्नाटक सरकार ने किसानों को दो रुपये प्रति लीटर इन्सेंटिव देने की शुरुआत की थी. यह इन्सेंटिव उन किसानों को दिया गया, जो कर्नाटक मिल्क फेडरेशन द्वारा संचालित सेंटर पर दूध सप्लाई किया करते थे. यह सहायता प्रोक्योरमेंट प्राइस से हटकर है. 2013 में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार ने इस इन्सेंटिव को पांच रुपये प्रति लीटर तक कर दी. 2019 में फिर येदियुरप्पा सरकार आई, तो इसे बढ़ाकर 6 रुपये प्रति लीटर कर दी गई. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक सरकार 1200 करोड़ रुपये की इन्सेंटिव दूध उत्पादकों को दे रही है.
चुनाव के वक्त यह मुद्दा फिर से हावी हो गया है. जेडीएस और कांग्रेस ने इसे कन्नड़ प्राइड से जोड़ दिया है. भाजपा सरकार पसोपेश में है. अमूल गुजरात का ब्रांड है. उसे न तो विरोध करते बन रहा है, और न ही इस मुद्दे पर खुलकर कुछ बोल रहे हैं. ताजा विवाद अमूल की उस घोषणा के बाद सामने आया है, जब उसने बेंगलुरु में एंट्री की घोषणा कर दी. इस घोषणा के तुरंत बाद बृहत बेंगलुरु होटल एसोसिएशन ने लोकल ब्रांड नंदिनी को सपोर्ट करने का ऐलान कर दिया. कांग्रेस नेता सिद्दारमैया ने इस मुद्दे की नजाकत को समझते हुए तुरंत भाजपा पर वार किया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि भाजपा पहले ही बैंक, पोर्ट और एयरपोर्ट कन्नड़ लोगों से छीन चुकी है, और अब हमारे नंदिनी को भी चुराने की कोशिश की जा रही है.
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Prime Minister @narendramodi avare,
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) April 9, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Is your purpose of coming to Karnataka is to give to Karnataka or to loot from Karnataka?
You have already stolen banks, ports & airports from Kannadigas. Are you now trying to steal Nandini (KMF) from us?#AnswerMadiModi #SaveNandini pic.twitter.com/LooivhuEn3
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मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, उन्होंने कहा कि नंदिनी भी अपना प्रोडक्ट दूसरे राज्यों में बेचती है. इसलिए हमें अमूल की एंट्री का विरोध नहीं करना चाहिए. सीएम ने कहा कि हम नंदिनी को सरकार से पूरा सहयोग करेंगे. गुजरात को-ऑपरेटिव फेडरेशन ने भी कहा कि अमूल ब्रांड बेलगाम और हुबली-धारवाड़ में 2015 से ही है, अब हम बेंगलुरु सिटी में आ रहे हैं, बस इतना ही अंतर है. फेडरेशन ने कहा कि हम ई कॉमर्स और क्विक कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के जरिए प्रोडक्ट बेचेंगे, न कि हम नंदनी को टक्कर देने आ रहे हैं. कर्नाटक में क्योंकि सरकार खुद नंंदिनी को सपोर्ट करती है और किसानों को छह रुपये प्रति लीटर इनसेंटिव दिया जा रहा है, लिहाजा कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ग्राहकों को कम कीमत पर दूध उपलब्ध करवा पा रहा है, इसलिए फायदा दोनों को है, ग्राहकों को भी और किसानों को भी. लिहाजा, अमूल के लिए इसका मुकाबला कर पाना इतना आसान नहीं होगा.
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