हैदराबाद: कोरोना संकट को दुनिया पर छाये हुए डेढ़ साल का वक्त हो चुका है. कोविड-19 ने पूरी दुनिया को अपनी जद में लिया. अमेरिका, ब्रिटेन से लेकर स्पेन, इटली और भारत समेत कई देशों ने कोरोना का कहर झेला है. कई देश दूसरी लहर झेल चुके हैं और वैज्ञानिक तीसरी लहर का भी अनुमान लगाए बैठे हैं. लेकिन इस सबके बीच एक सवाल पिछले डेढ साल से जस का तस बना हुआ है.
क्या लैब में बना वायरस ?
कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई और फिर इसने पूरी दुनिया को अपनी जद में ले लिया. इस वायरस के लैब में बनने के दावों को लेकर चीन बार-बार दुनिया के निशाने पर आया है. हालांकि इसका जवाब अब तक नहीं मिला है. चीन हर बार इसके लैब में बनने की बात को झुठलाता रहा है लेकिन दुनिया के ज्यादातर देशों की शक भरी निगाहें और उंगली चीन की तरफ ही उठती है.
अमेरिका के निशाने पर चीन
चीन और अमेरिका का रिश्ता किसी से छिपा नहीं है इस बीच कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर सवालों में आया चीन सबसे ज्यादा अमेरिका के निशाने पर है. ऐसे में अमेरिका चाहता है कि कोरोना की उत्पत्ति को लेकर जांच होनी चाहिए, जिसमें ये सवाल प्रमुख होना चाहिए कि क्या ये वायरस वुहान की लैब (Wuhan Lab) से लीक हुआ है. इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने अपने देश की इंटेलिजेंस एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वो कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर जांच करें और 90 दिन में उसकी रिपोर्ट भेजें.
चीन की सफाई
चीन हमेशा ही वायरस के लैब में बनने से इनकार करता रहा है और इसके लिए वो विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की उस रिपोर्ट का हवाला देता है जिसमें वायरस को प्राकृतिक बताया था. लेकिन डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम ने कहा कि लैब से निकलने की संभावना बहुत कम थी लेकिन इसकी जांच की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसके लिए अधिक संसाधनों की जरूरत है जो दिए जाएंगे और इस जांच के लिए वैज्ञानिकों को कम से कम सितंबर 2019 से जैविक नमूनों के साथ पूरा डेटा मिलना चाहिए. ताकि जांच सही से हो सके. जांच में ये सवाल और तथ्य जरूर उठने लाजमी हैं...
वुहान की लैब में क्या चल रहा था ?
ये वो सवाल है जो चीन पर उठ रहे हर सवाल के साथ उठता है. और हर जांच के केंद्र में भी यही सवाल है. वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (Wuhan Institute of Virology) , यही नाम है उस लैब का जो कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर सवालों में है. सवाल ये भी उठता है कि क्या लैब में शोधकर्ता स्वाभाविक रूप से होने वाले वायरस में हेर फेर करते हैं ताकि यह देखा जा सके कि उन्हें घातक या अधिक संक्रामक बनाया जा सकता है.
इस लैब की एक शोधकर्ता शी झेंगली ने कहा था कि कोविड-19 का आनुवांशिक कोड लैब के किसी भी नमूने से मेल नहीं खाता. उनकी तरफ से विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम को बताया कि लैब का स्टाफ का कोविड-19 एंटीबॉडी टेस्ट नेगेटिव रहा था. कुल मिलाकर कोरोना वायरस के लैब कनेक्शन को नकारा गया. हालांकि शोधकर्ताओं के पास अब तक वुहान लैब में रखे गए सभी कोरोना वायरस आइसोलेट्स और जीनोमिक अनुक्रम डेटा तक पहुंच नहीं है. और उनके पास लॉग बुक और शोध के रिकॉर्ड तक पहुंच नहीं थी. विशेष रूप से RaTG13 बैट अनुक्रम वाले वायरस जो SARS-CoV-2 के समान हैं.
लैब के स्टाफ की मेडिकल रिपोर्ट
बीते महीने सामने आई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नवंबर 2019 में लैब के तीन शोधकर्ता गंभीर रूप से बीमार हुए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. ये वो वक्त था जब दुनिया को कोरोना वायरस की भनक तक नहीं लगी थी. कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी बताया गया की चीन सरकार ने दक्षिण-पश्चिम चीन की एक खदान में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. ये वही इलाका था जहां साल 2012 में वुहान लैब के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस के नमूने एकत्र किए थे. खदान में छह मजदूर एक रहस्यमय सांस की बीमारी का शिकार हुए और उनकी हालत बहुत खराब हो गई थी.
हालांकि चीन की तरफ से लैब स्टाफ पर सवाल उठने पर यही कहता है कि स्टाफ का कोई भी सदस्य कभी भी कोविड-19 के संपर्क में नहीं आया है. जो कि कोरोना संक्रमण का कारण बने. चीन की हर सफाई सवालों में इसलिये रहती है क्योंकि शोधकर्ताओं को अब तक ना तो 2019 में बीमार पड़े लैब के स्टाफ की मेडिकल रिकॉर्ड या नमूनों तक पहुंच मिल पाई है और ना ही खदान में बीमार हुए मजदूरों की मेडिकल रिकॉर्ड और नूमने मिल पाए हैं.
वुहान के मीट मार्केट की जांच
क्या कोरोना वायरस जानवरों से फैला है. कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में वुहान के मीट बाजार की तस्वीरों ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया था. जिसके बाद सवाल उठने लगा कि क्या कोरोना वायरस जानवरों से इंसान में फैला है. चीन के लोगों की खाने-पीने की आदतों पर दुनियाभर के लोग सवाल उठाने लगे. जिसके बाद चीन में मुर्गों से लेकर अन्य पालतू जानवरों और जंगली जानवरों की कई प्रजातियों के हजारों सैंपल लिए गए. लेकिन सभी नमूनों के परीक्षण नेगेटिव निकले.
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ने जानवरों की प्रजातियों के अतिरिक्त नमूने की मांग की है. जिसमें चीन और पड़ोसी देशों में चमगादड़ की आबादी शामिल है. 2018 से 2020 तक चीन में कई फर वाले जानवरों के सैंपल और उनके उत्पादकों या पशुपालकों की जानकारी भी मांगी है ताकि इस सवाल का जवाब खोजा जा सके.
कई वैज्ञानिक कर चुके हैं दावा
दुनियाभर में कहर बरपा रहा कोरोना वायरस लैब में बना, ये दुनिया के कई वैज्ञानिक मानते हैं. महारष्ट्र के वैज्ञानिक दंपती ने भी कहा है कि कोविड-19 वुहान की लैब से उत्पन्न हुआ ना की सीफूड मार्केट से. अपने शोध में वैज्ञानिक डॉ. राहुल बाहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर ने कहा कि उनका अनुमान है कि उनका किया शोध इस ओर इशारा करता है कि ये वायरस लैब में ही बनाया गया. वो बताते हैं कि अप्रैल 2020 में उन्होंने अपना शोध शुरू किया था जिसमें उन्होंने पाया कि SARS-CoV-2 के संबधी RaTG13 को दक्षिण चीन की गुफाओं से एकत्र किया गया. ratg13 भी एक कोरोना वायरस है. जिसे वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ले जाया गया. उनके मुताबिक जिस गुफा से ये वायरस मिला वहां चमगादड़ों की भरमार थी और उस जगह को साफ करने के लिए 6 श्रमिकों को भेजा गया था जो निमोनिया जैसी बीमारी से संक्रमित हो गए थे. दोनों के मुताबिक वुहान की लैब में वायरस पर प्रयोग किए जा रहे थे. आशंका है कि जीनोम में बदलाव किए गए और इस दौरान मौजूदा कोरोना वायरस बन गया.
सवालों में चीन
कुल मिलाकर कोरोना की उत्पत्ति के सवालों को लेकर चीन पूरी दुनिया के निशाने पर है. अमेरिका ने तो जांच तक की बात कह दी है. हालांकि अब तक हुई जांच में चीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से क्लीन चिट दी जाती रही हो. लेकिन जांच के दौरान शोधकर्ताओं के लिए जरूरी नमूनों और डेटा तक पहुंच ना होना चीन की नीयत पर सवाल खड़ा करता है. दुनियाभर के कई वैज्ञानिक वायरस के लैब में बनने का समर्थन कर चुके हैं हालांकि कुछ वैज्ञानिक इससे इनकार भी करते रहे हैं. लेकिन इस सवाल का सही जवाब तभी मिलेगा जब चीन भी सही नीयत के साथ इस जांच में भागीदार बनेगा और शोधकर्ता बेहतर संसाधनों के साथ वायरस से जुड़े तमाम नमूने, डाटा उपलब्ध करवाए जाएंगे.
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