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विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद गुजरात का सीएम कौन? ये नाम हैं रेस में

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Published : Sep 11, 2021, 3:57 PM IST

Updated : Sep 11, 2021, 11:22 PM IST

विजय रूपाणी के इस्तीफे के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, नितिन पटेल, पुरुषोत्तम रुपाला, सीआर पाटिल का नाम सीएम की रेस में चल रहा है. वहीं पार्टी के सभी विधायकों को गांधीनगर में बुलाया गया है. जहां विधायक दल की बैठक होने की संभावना है. पार्टी के केंद्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष और भूपेंद्र यादव गांधीनगर में मौजूद हैं.

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हैदराबाद : गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने शनिवार को राज्‍यपाल आचार्य देवव्रत को अपना इस्‍तीफा सौंप दिया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, नितिन पटेल, पुरुषोत्तम रुपाला, सीआर पाटिल का नाम सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहा है. वहीं पार्टी के सभी विधायकों को कल गांधीनगर में बुलाया गया है. जहां विधायक दल की बैठक संभावित है. पार्टी के केंद्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष और भूपेंद्र यादव भी गांधीनगर में मौजूद हैं. सूत्रों की मानें तो प्रफुल्ल पटेल का नाम भी सीएम की रेस में है.

इस्‍तीफा देने के बाद रूपाणी कहा कि अब पार्टी जो जिम्‍मेदारी देगी मैं उसे निभाऊंगा. उन्‍होंने जनता की सेवा करने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया. इतना ही नहीं रूपाणी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने मुझ जैसे कार्यकर्ता को सीएम बनाया. अब गुजरात का विकास नए नेतृत्‍व में हो.

बता दें कि अगले साल 2022 में गुजरात समेत यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसे लेकर बीजेपी अभी से अपनी रणनीति तैयार करने में लगी हुई है. बता दें कि उत्तराखंड और कर्नाटक में बीजेपी ने इसी तरह से चुनाव से पहले मुख्‍यमंत्री बदले हैं. गुजरात में हुआ परिवर्तन इसी दिशा में अगली कड़ी दिखाई देती है. पांच महीने में बीजेपी ने तीन सीएम बदले हैं.

बता दें कि 6 महीने में दो बार गृह मंत्री अमित शाह का गुजरात दौरा हुआ था. इस्‍तीफा देने पर विजय रूपाणी ने कहा कि बीजेपी की परंपरा रही है कि कार्यकर्ताओं के दायित्‍व बदलते रहते हैं. लेकिन चर्चा है कि जनता विजय रूपाणी के नेतृत्‍व से खुश नहीं है. हाई कमान ने जनता की राय जानने के बाद यह फैसला लिया. इसी के मुताबिक विजय रुपाणी ने इस्‍तीफा दिया है. इस्‍तीफा देने के बाद रूपाणी ने मीड‍िया से बातचीत में इसकी जानकारी दी. चर्चा यह भी है कि रुपाणी की पार्टी संगठन से अनबन चल रही थी. खासकर बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष के साथ उनके मतभेद सामने आ रहे थे.

पढ़ेंः गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने दिया इस्तीफा

अपने शासन मॉडल को नया रूप देने में जुटी पार्टी का गुजरात के मुख्यमंत्री पद से रूपाणी को हटाने का फैसला बीते कुछ महीनों के दौरान उत्तराखंड में दो और कर्नाटक में एक मुख्यमंत्री से किनारा करने के बाद आया है. रूपाणी हालांकि मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान अपने विरोध में उठती तीखी आवाजों के बावजूद केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा जीतने में कामयाब रहे थे.

राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखने वालों का मानना है कि यह बदलाव जमीनी स्तर पर मिली प्रतिक्रियाओं का भाजपा नेतृत्व द्वारा विश्लेषण और उनके निराकरण की तत्परता को दर्शाता है, इसके बावजूद इस मंथन पर अंतिम प्रतिक्रिया तो चुनावों में ही देखी जा सकेगी. पार्टी द्वारा 2014-19 के दौरान सिर्फ आनंदीबेन पटेल से मुख्यमंत्री पद छोड़ने को कहा गया था. पार्टी ने तब सरकारी पदों से 75 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को सेवानिवृत्त करने के अपने संकल्प का हवाला दिया था और 2016 में उनकी जगह रूपाणी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया था.

पांच साल बाद, रूपाणी (65) ने प्रशासक के रूप में अपनी साख पर सवालिया निशान के बीच शनिवार को इस्तीफा दे दिया. पार्टी ने हालांकि तत्काल यह घोषणा नहीं की है कि रूपाणी की जगह कौन लेगा, केंद्र सरकार या पार्टी शासित राज्यों में उसके द्वारा किए गए परिवर्तनों के हालिया दौर ने ज्यादा परंपरागत राजनीति की तरफ वापसी का संकेत दिया है, जहां जातिगत पहचान की सामान्य राजनीति मुखर हो जाती है और प्रयोगधर्मिता की चाह पृष्ठभूमि में चली जाती है.

केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जुलाई में हुए विस्तार के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 27 व दलित समुदाय से 12 मंत्रियों को जगह देकर पार्टी ने इन वर्गों को साधने का प्रयास किया है. भाजपा ने लिंगायत समुदाय से आने वाले दिग्गज नेता बी एस येदियुरप्पा की जगह कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में एक अन्य लिंगायत नेता बी एस बोम्मई को नियुक्त किया.

उत्तराखंड में उसने दो ठाकुर मुख्यमंत्रियों को एक के बाद एक हटाया और फिर एक अन्य ठाकुर नेता को कुर्सी पर बैठाया और ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि सियासी रूप से कम महत्वपूर्ण जैन समुदाय से आने वाले रूपाणी की जगह पश्चिमी राज्य में किसी पाटीदार को कमान सौंपी जा सकती है. पाटीदार गुजरात का सबसे बड़ा समुदाय है. असम में भी दिखा की पार्टी ने पांच साल मुख्यमंत्री रहे सर्बानंद सोनोवाल की जगह इस बार विधानसभा चुनाव के बाद हिमंत बिस्व सरमा पर दांव लगाया. हालांकि, इसे सोनोवाल के काम में किसी तरह की कमी के बजाए सरमा को पार्टी की तरफ से दिए गए इनाम के तौर पर देखा गया. सोनोवाल को पार्टी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी है.

मोदी के पार्टी का सर्वश्रेष्ठ नेता बनने के बाद से युवा नेताओं को अहम पद देने की अपनी प्रथा को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने केंद्र और राज्यों में सत्ता तक पहुंचने वाले नेताओं एक नई पीढ़ी को तैयार किया है. कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने के तौर-तरीकों को लेकर कई पक्षों द्वारा हुई आलोचना के बाद पार्टी ने शासन और संगठनात्मक स्तर पर प्रतिक्रिया हासिल करने के लिये व्यापक कवायद की थी. संगठन के अंदर के लोगों के अनुसार पार्टी ने इसके बाद अपनी छवि बदलने के लिए प्रभावी कोशिश की है. केंद्र में उसने स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को हटाकर मनसुख मांडविया को अहम जिम्मेदारी दी, जो ज्यादा नतीजा केंद्रित और व्यवहारिक माने जाते हैं. इसके साथ ही मंत्रिमंडल से रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर जैसे दिग्गजों को भी हटाया गया.

हैदराबाद : गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने शनिवार को राज्‍यपाल आचार्य देवव्रत को अपना इस्‍तीफा सौंप दिया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, नितिन पटेल, पुरुषोत्तम रुपाला, सीआर पाटिल का नाम सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहा है. वहीं पार्टी के सभी विधायकों को कल गांधीनगर में बुलाया गया है. जहां विधायक दल की बैठक संभावित है. पार्टी के केंद्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष और भूपेंद्र यादव भी गांधीनगर में मौजूद हैं. सूत्रों की मानें तो प्रफुल्ल पटेल का नाम भी सीएम की रेस में है.

इस्‍तीफा देने के बाद रूपाणी कहा कि अब पार्टी जो जिम्‍मेदारी देगी मैं उसे निभाऊंगा. उन्‍होंने जनता की सेवा करने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया. इतना ही नहीं रूपाणी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने मुझ जैसे कार्यकर्ता को सीएम बनाया. अब गुजरात का विकास नए नेतृत्‍व में हो.

बता दें कि अगले साल 2022 में गुजरात समेत यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसे लेकर बीजेपी अभी से अपनी रणनीति तैयार करने में लगी हुई है. बता दें कि उत्तराखंड और कर्नाटक में बीजेपी ने इसी तरह से चुनाव से पहले मुख्‍यमंत्री बदले हैं. गुजरात में हुआ परिवर्तन इसी दिशा में अगली कड़ी दिखाई देती है. पांच महीने में बीजेपी ने तीन सीएम बदले हैं.

बता दें कि 6 महीने में दो बार गृह मंत्री अमित शाह का गुजरात दौरा हुआ था. इस्‍तीफा देने पर विजय रूपाणी ने कहा कि बीजेपी की परंपरा रही है कि कार्यकर्ताओं के दायित्‍व बदलते रहते हैं. लेकिन चर्चा है कि जनता विजय रूपाणी के नेतृत्‍व से खुश नहीं है. हाई कमान ने जनता की राय जानने के बाद यह फैसला लिया. इसी के मुताबिक विजय रुपाणी ने इस्‍तीफा दिया है. इस्‍तीफा देने के बाद रूपाणी ने मीड‍िया से बातचीत में इसकी जानकारी दी. चर्चा यह भी है कि रुपाणी की पार्टी संगठन से अनबन चल रही थी. खासकर बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष के साथ उनके मतभेद सामने आ रहे थे.

पढ़ेंः गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने दिया इस्तीफा

अपने शासन मॉडल को नया रूप देने में जुटी पार्टी का गुजरात के मुख्यमंत्री पद से रूपाणी को हटाने का फैसला बीते कुछ महीनों के दौरान उत्तराखंड में दो और कर्नाटक में एक मुख्यमंत्री से किनारा करने के बाद आया है. रूपाणी हालांकि मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान अपने विरोध में उठती तीखी आवाजों के बावजूद केंद्रीय नेतृत्व का भरोसा जीतने में कामयाब रहे थे.

राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखने वालों का मानना है कि यह बदलाव जमीनी स्तर पर मिली प्रतिक्रियाओं का भाजपा नेतृत्व द्वारा विश्लेषण और उनके निराकरण की तत्परता को दर्शाता है, इसके बावजूद इस मंथन पर अंतिम प्रतिक्रिया तो चुनावों में ही देखी जा सकेगी. पार्टी द्वारा 2014-19 के दौरान सिर्फ आनंदीबेन पटेल से मुख्यमंत्री पद छोड़ने को कहा गया था. पार्टी ने तब सरकारी पदों से 75 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को सेवानिवृत्त करने के अपने संकल्प का हवाला दिया था और 2016 में उनकी जगह रूपाणी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया था.

पांच साल बाद, रूपाणी (65) ने प्रशासक के रूप में अपनी साख पर सवालिया निशान के बीच शनिवार को इस्तीफा दे दिया. पार्टी ने हालांकि तत्काल यह घोषणा नहीं की है कि रूपाणी की जगह कौन लेगा, केंद्र सरकार या पार्टी शासित राज्यों में उसके द्वारा किए गए परिवर्तनों के हालिया दौर ने ज्यादा परंपरागत राजनीति की तरफ वापसी का संकेत दिया है, जहां जातिगत पहचान की सामान्य राजनीति मुखर हो जाती है और प्रयोगधर्मिता की चाह पृष्ठभूमि में चली जाती है.

केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जुलाई में हुए विस्तार के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 27 व दलित समुदाय से 12 मंत्रियों को जगह देकर पार्टी ने इन वर्गों को साधने का प्रयास किया है. भाजपा ने लिंगायत समुदाय से आने वाले दिग्गज नेता बी एस येदियुरप्पा की जगह कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में एक अन्य लिंगायत नेता बी एस बोम्मई को नियुक्त किया.

उत्तराखंड में उसने दो ठाकुर मुख्यमंत्रियों को एक के बाद एक हटाया और फिर एक अन्य ठाकुर नेता को कुर्सी पर बैठाया और ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि सियासी रूप से कम महत्वपूर्ण जैन समुदाय से आने वाले रूपाणी की जगह पश्चिमी राज्य में किसी पाटीदार को कमान सौंपी जा सकती है. पाटीदार गुजरात का सबसे बड़ा समुदाय है. असम में भी दिखा की पार्टी ने पांच साल मुख्यमंत्री रहे सर्बानंद सोनोवाल की जगह इस बार विधानसभा चुनाव के बाद हिमंत बिस्व सरमा पर दांव लगाया. हालांकि, इसे सोनोवाल के काम में किसी तरह की कमी के बजाए सरमा को पार्टी की तरफ से दिए गए इनाम के तौर पर देखा गया. सोनोवाल को पार्टी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी है.

मोदी के पार्टी का सर्वश्रेष्ठ नेता बनने के बाद से युवा नेताओं को अहम पद देने की अपनी प्रथा को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने केंद्र और राज्यों में सत्ता तक पहुंचने वाले नेताओं एक नई पीढ़ी को तैयार किया है. कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने के तौर-तरीकों को लेकर कई पक्षों द्वारा हुई आलोचना के बाद पार्टी ने शासन और संगठनात्मक स्तर पर प्रतिक्रिया हासिल करने के लिये व्यापक कवायद की थी. संगठन के अंदर के लोगों के अनुसार पार्टी ने इसके बाद अपनी छवि बदलने के लिए प्रभावी कोशिश की है. केंद्र में उसने स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को हटाकर मनसुख मांडविया को अहम जिम्मेदारी दी, जो ज्यादा नतीजा केंद्रित और व्यवहारिक माने जाते हैं. इसके साथ ही मंत्रिमंडल से रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर जैसे दिग्गजों को भी हटाया गया.

Last Updated : Sep 11, 2021, 11:22 PM IST
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