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Story of Swiggy Woman : पीठ पर स्विगी का बैग लिए बुर्का पहने वायरल महिला कौन है? पढ़ें खबर - बुर्का वूमेन कौन है

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में Swiggy का बैग पीठ पर लादकर पैदल डिलीवरी करने वाली महिला का नाम रिजवाना है. रिजवाना एक बहुत ही गरीब परिवार से आती हैं. रिजवाना लखनऊ में जगतनारायण रोड स्थित जनता नगरी कालोनी में एक 10 बाई 10 के कमरे में अपने तीन बच्चों के साथ रहती हैं.

Who is the Viral Burqa Woman with Swiggy Bag
स्विगी का बैग लिए बुर्का पहने काम पर जाती वायरल महिला रिजवाना.
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Published : Jan 17, 2023, 12:42 PM IST

Updated : Jan 17, 2023, 3:46 PM IST

रिजवाना से ईटीवी भारत की विशेष बातचीत.

लखनऊ: इन दिनों सोशल मीडिया पर बुर्का पहने एक औरत की तस्वीर वायरल हो रही है जिसकी पीठ पर स्विगी का बैग है. इस औरत का नाम रिजवाना है, जो लखनऊ के चौक इलाके में रहती है. चौक के जनता नगरी की पतली सकरी गली के अंदर 10 बाई 10 के कमरे में रिजवाना रहती हैं. उसी कमरे में ही शौचालय है. रिजवाना और उनके बच्चे कमरा बंद करके उसमें ही नहाते हैं. कपड़ा फैलाने के लिए भी कोई जगह नहीं है. कमरे के अंदर ही रस्सी बांधकर उसी पर कपड़े सुखाते हैं. इसके अलावा किचन भी उसी कमरे में ही बना है. उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है. रिजवाना मेहनत मजदूरी कर अपने बच्चों का लालन-पालन कर रही है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए रिजवाना ने बताया कि कड़कड़ाती ठंड में वह सुबह 8 बजे ही अपना स्विगी का बैग लेकर काम पर निकल जाती है. वह हर रोज करीब 3 घंटे पैदल चलती है और बारिश के मौसम में भी वह पैदल ही निकल जाती है, बस हाथ में एक छाता होता है. रिजवाना ने बताया कि शुरुआती दिनों में वह जूट का थैला लेकर निकलती थीं और लोगों को यह कहते सुना करती थीं कि वह भीख मांग रही है. उसने कहा कि मेरी फोटो कब वायरल हो गई मुझे पता ही नहीं चला, बाद में एक चप्पल वाले ने मुझसे कहा कि तुम्हारी फोटो वायरल हो गई है.

पढ़ें: Belagavi border dispute: बेलगावी में शिवसेना सांसद के प्रवेश पर लगी रोक

रिजवाना बताती है कि उनके पास जो स्विगी कंपनी का बैग है, उसे उसने डालीगंज से 50 रुपए में एक आदमी से खरीदा था ताकि वह अपना सारा बेचने का सामान उसमें रख सके. रिजवाना का कहना है कि वह स्विगी कंपनी में काम नहीं करती है बल्कि डिस्पोजल जैसे प्लास्टिक के चम्मच, प्लेट, पन्नियां, चाय के कप इन सभी को बेचती है. फेरी लगाने के साथ ही वह एक घर में खाना बनाने का भी काम करती हैं, जहां से उन्हें 3 हजार रुपए मिल जाते हैं, उसकी कुल मासिक आय 5 से 6 हजार तक की है.

पढ़ें: Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी की सुरक्षा में बड़ी चूक, घेरे को भेद कर एक शख्स ने उन्हें गले लगाने का प्रयास किया

उन्होंने आगे कहा कि मैं अपने बच्चों को शिक्षित कर योग्य बनाने का प्रयास कर रही हूं. वह कहती हैं कि हमारे पति रिक्शा चलाते थे और जब रिक्शा चोरी हो गया तो उन्हें आर्थिक तंगी की चिंता सता रही थी. एक दिन वे अचानक गायब हो गए. कई दिनों तक उनकी तलाश की लेकिन नहीं मिले. रिजवाना ने सरकार से मांग की है कि अगर सरकार उन्हें रहने के लिए घर दे दें तो वह रूखी सूखी चटनी रोटी खाकर और अपना यही काम करके गुजारा कर लेंगी, लेकिन एक घर कि उन्हें आवश्यकता है. रिजवाना ने यह भी बताया कि आसपास के लोग उनके मेहनत की तारीफ करते हैं कि उन्होंने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया.

पढ़ें: Mukarram Jah News Update : आखिरी निजाम मुकर्रम जाह का पार्थिव शरीर आज पहुंचेगा हैदराबाद

रिजवाना से ईटीवी भारत की विशेष बातचीत.

लखनऊ: इन दिनों सोशल मीडिया पर बुर्का पहने एक औरत की तस्वीर वायरल हो रही है जिसकी पीठ पर स्विगी का बैग है. इस औरत का नाम रिजवाना है, जो लखनऊ के चौक इलाके में रहती है. चौक के जनता नगरी की पतली सकरी गली के अंदर 10 बाई 10 के कमरे में रिजवाना रहती हैं. उसी कमरे में ही शौचालय है. रिजवाना और उनके बच्चे कमरा बंद करके उसमें ही नहाते हैं. कपड़ा फैलाने के लिए भी कोई जगह नहीं है. कमरे के अंदर ही रस्सी बांधकर उसी पर कपड़े सुखाते हैं. इसके अलावा किचन भी उसी कमरे में ही बना है. उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है. रिजवाना मेहनत मजदूरी कर अपने बच्चों का लालन-पालन कर रही है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए रिजवाना ने बताया कि कड़कड़ाती ठंड में वह सुबह 8 बजे ही अपना स्विगी का बैग लेकर काम पर निकल जाती है. वह हर रोज करीब 3 घंटे पैदल चलती है और बारिश के मौसम में भी वह पैदल ही निकल जाती है, बस हाथ में एक छाता होता है. रिजवाना ने बताया कि शुरुआती दिनों में वह जूट का थैला लेकर निकलती थीं और लोगों को यह कहते सुना करती थीं कि वह भीख मांग रही है. उसने कहा कि मेरी फोटो कब वायरल हो गई मुझे पता ही नहीं चला, बाद में एक चप्पल वाले ने मुझसे कहा कि तुम्हारी फोटो वायरल हो गई है.

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रिजवाना बताती है कि उनके पास जो स्विगी कंपनी का बैग है, उसे उसने डालीगंज से 50 रुपए में एक आदमी से खरीदा था ताकि वह अपना सारा बेचने का सामान उसमें रख सके. रिजवाना का कहना है कि वह स्विगी कंपनी में काम नहीं करती है बल्कि डिस्पोजल जैसे प्लास्टिक के चम्मच, प्लेट, पन्नियां, चाय के कप इन सभी को बेचती है. फेरी लगाने के साथ ही वह एक घर में खाना बनाने का भी काम करती हैं, जहां से उन्हें 3 हजार रुपए मिल जाते हैं, उसकी कुल मासिक आय 5 से 6 हजार तक की है.

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उन्होंने आगे कहा कि मैं अपने बच्चों को शिक्षित कर योग्य बनाने का प्रयास कर रही हूं. वह कहती हैं कि हमारे पति रिक्शा चलाते थे और जब रिक्शा चोरी हो गया तो उन्हें आर्थिक तंगी की चिंता सता रही थी. एक दिन वे अचानक गायब हो गए. कई दिनों तक उनकी तलाश की लेकिन नहीं मिले. रिजवाना ने सरकार से मांग की है कि अगर सरकार उन्हें रहने के लिए घर दे दें तो वह रूखी सूखी चटनी रोटी खाकर और अपना यही काम करके गुजारा कर लेंगी, लेकिन एक घर कि उन्हें आवश्यकता है. रिजवाना ने यह भी बताया कि आसपास के लोग उनके मेहनत की तारीफ करते हैं कि उन्होंने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया.

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Last Updated : Jan 17, 2023, 3:46 PM IST
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