मुंबई : कभी एंबेसडर कार सरकारी अफसरों की पसंदीदा गाड़ी हुआ करती थी. जब भारत की कार कंपनियों ने गाड़ी के नए मॉडल उतारना शुरू किया, सरकारी दफ्तरों और मंत्रियों के बंगले से एंबेसडर कार गायब होने लगी. सेंट्रल रेलवे के मुंबई मंडल से जुड़ी आखिरी एंबेसडर कार 35 साल की सेवा के बाद रिटायर हो गई. उसके साथ गाड़ी का ड्राइवर भी रिटायर हो गया. इस मौके पर कार और उसके ड्राइवर को यादगार विदाई दी गई. कार को रंगीन गुब्बारों, रिबन और फूलों से सजाया गया था और अलविदा कहने के लिए कर्मचारियों ने इसे लाल रस्सी से खींचकर गेट तक पहुंचाया.
1960 और 1970 के दशक में एंबेसडर सबसे लोकप्रिय कारों में से एक थी. उस दौर में राजनेताओं, व्यापारियों, अभिनेताओं और मशहूर हस्तियों ने एंबेसडर की सवारी की. यह कार अफसरों की पहली पसंद भी बनी रही. सेंट्रल रेलवे ने भी जनवरी 1985 में अपने कमर्शियल मैनेजर के लिए एंबेसडर कार (MFA-7651 22) खरीदी. इसके लिए ड्राइवर चालक मुटु पांडी एंडी नादर की नियुक्ति की गई. करीब 35 साल की सर्विस के बाद वह एंबेसडर कार और उसके ड्राइवर दोनों रिटायर हो गए. अपने सर्विस के दौरान सेंट्रल रेलवे के 16 कमर्शियल मैनेजरों ने इस कार की सेवा ली. मुटू पांडी एंडी नादर पिछले 35 साल से इस कार को चलाते रहे.
मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवाजी सुतार ने ईटीवी भारत को बताया कि सेंट्रल रेलवे मुंबई डिविजन में मंगलवार एंबेसजर कार के लिए आखिरी दिन था. इसे रेलवे अधिकारियों ने खुशी के आंसुओं के साथ विदाई दी. इस कार को 35 साल तक चलाने वाले ड्राइवर मुटू पांडी एंडी नादर भी इसके साथ रिटायर हो रहे हैं. सोमवार को रेलवे ने इस कार की सेवा समाप्त करने का फैसला लिया था. बुधवार को यह एंबेसडर कार सेंट्रल रेलवे की रोड डिपो में स्क्रैप के लिए भेजी जाएगी.
इस कार के साथ ड्राइवर मुटू पांडी एंडी नादर की भी यादें जुड़ी हैं. एंडी नादर ने बताया कि पिछले 35 साल के दौरान इस कार से एक भी दुर्घटना नहीं हुई और यह कभी बीच रास्ते में बंद नहीं हुई. सेंट्रल रेलवे के सीनियर कमर्शियल मैनेज गौरव झा ने मंगलवार को इस एंबेसडर कार यात्रा की.
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