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जानें क्यों 'फ्लाइंग सिख' को थी असम के भोगेश्वर बरुआ से जलन

फ्लाइंग सिख' (flying sikh) के नाम से दुनिया में मशहूर मिल्खा सिंह (milkha singh) अब हमारे बीच नहीं रहे. 18-19 जून की दरम्यानी रात में खबर आई कि हमने मिल्खा सिंह को खो दिया है. लाखों लोगों के लिए प्रेरणा रहे मिल्खा सिंह का जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन कभी उन्होंने ये बात महसूस नहीं होने दी. आइए उनके जीवन से जुड़ी हुई एक रोचक घटना के बारे में आपको बताते हैं....

फ्लाइंग सिख'
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Published : Jun 20, 2021, 12:42 AM IST

Updated : Jun 20, 2021, 1:34 AM IST

गुवाहाटी : आज हमारे देश ने मिल्खा सिंह (Milkha singh) जैसे अनमोल रत्न को खो दिया है. पूरा देश इस कभी न पूरी होने वाली क्षति से शोक में है. 'प्लाइंग सिख' (Flying Sikh ) मिल्खा सिंह (Milkha Singh ) का चंडीगढ़ में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. मिल्खा सिंह का बीती रात लंबे समय से तबीयत खराब होने के कारण निधन हो गया था. फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह को उनकी जीवटता के लिए जाना जाता है.

मिल्खा सिंह ने एक बार असम के अर्जुन अवार्डी भोगेश्वर बरुआ (Arjuna Awardee Bhogeswar Baruah) से कहा था, 'मुझे आपसे जलन हो रही है. लोग मुझे 'फ्लाइंग सिख' कहते हैं, लेकिन मुझे इस बात का संदेह है कि मेरे पड़ोसियों को भी मेरा जन्मदिन याद रहता होगा, क्योंकि मेरे जन्मदिन को राज्य में खेल दिवस के रूप में नहीं मनाया जाता है. लेकिन आपके जन्मदिन के पूरे राज्य में खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है.

सिंह ने कुछ साल पहले असम में बरुआ से कहा था कि पंजाब में बहुत से लोग मुझे जानते तक नहीं हैं. दरअसल, वह असम में खेल दिवस के अवसर पर आए थे.

पूरे देश ने महान खिलाड़ी के निधन पर शोक व्यक्त किया, बरुआ ने सिंह को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. बरुआ ने कहा कि देश के लिए मिल्खा सिंह ने जो योगदान दिया, उसके लिए उन्हें कई पीढ़ियों तक याद किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- अलविदा मिल्खा : राजकीय सम्मान के साथ हुआ 'फ्लाइंग सिख' का अंतिम संस्कार

ज्ञात हो कि असम में 1984 से बरुआ के जन्म दिवस 3 सितंबर को खेल दिवस के रूप में मनाता है. इस दिन को गुवाहाटी में एक सामूहिक दौड़ और विभिन्न खेलों का आयोजन किया जाता है.

मिल्खा सिंह का 400 मीटर का नेशनल रिकॉर्ड 38 साल तक कायम रहा था, जिसे परमजीत सिंह ने 1998 में एक घरेलू प्रतियोगिता में तोड़ा था.

मिल्खा ने एशियाई खेलों में चार बार स्वर्ण पदक जीता है और 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता था. हालांकि, 91 वर्षीय धावक को 1960 के रोम ओलंपिक के 400 मीटर फाइनल में उनकी एपिक रेस के लिए याद किया जाता है.

उन्होंने 1956 और 1964 के ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है और उन्हें 1959 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.

मिल्खा तब लोकप्रिय हुए जब उन्होंने 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में 45.6 सेकंड का समय निकालकर चौथा स्थान हासिल किया.

मिल्खा सिंह पर बॉलीवुड फिल्म भी बनी है.

गुवाहाटी : आज हमारे देश ने मिल्खा सिंह (Milkha singh) जैसे अनमोल रत्न को खो दिया है. पूरा देश इस कभी न पूरी होने वाली क्षति से शोक में है. 'प्लाइंग सिख' (Flying Sikh ) मिल्खा सिंह (Milkha Singh ) का चंडीगढ़ में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. मिल्खा सिंह का बीती रात लंबे समय से तबीयत खराब होने के कारण निधन हो गया था. फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह को उनकी जीवटता के लिए जाना जाता है.

मिल्खा सिंह ने एक बार असम के अर्जुन अवार्डी भोगेश्वर बरुआ (Arjuna Awardee Bhogeswar Baruah) से कहा था, 'मुझे आपसे जलन हो रही है. लोग मुझे 'फ्लाइंग सिख' कहते हैं, लेकिन मुझे इस बात का संदेह है कि मेरे पड़ोसियों को भी मेरा जन्मदिन याद रहता होगा, क्योंकि मेरे जन्मदिन को राज्य में खेल दिवस के रूप में नहीं मनाया जाता है. लेकिन आपके जन्मदिन के पूरे राज्य में खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है.

सिंह ने कुछ साल पहले असम में बरुआ से कहा था कि पंजाब में बहुत से लोग मुझे जानते तक नहीं हैं. दरअसल, वह असम में खेल दिवस के अवसर पर आए थे.

पूरे देश ने महान खिलाड़ी के निधन पर शोक व्यक्त किया, बरुआ ने सिंह को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. बरुआ ने कहा कि देश के लिए मिल्खा सिंह ने जो योगदान दिया, उसके लिए उन्हें कई पीढ़ियों तक याद किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- अलविदा मिल्खा : राजकीय सम्मान के साथ हुआ 'फ्लाइंग सिख' का अंतिम संस्कार

ज्ञात हो कि असम में 1984 से बरुआ के जन्म दिवस 3 सितंबर को खेल दिवस के रूप में मनाता है. इस दिन को गुवाहाटी में एक सामूहिक दौड़ और विभिन्न खेलों का आयोजन किया जाता है.

मिल्खा सिंह का 400 मीटर का नेशनल रिकॉर्ड 38 साल तक कायम रहा था, जिसे परमजीत सिंह ने 1998 में एक घरेलू प्रतियोगिता में तोड़ा था.

मिल्खा ने एशियाई खेलों में चार बार स्वर्ण पदक जीता है और 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता था. हालांकि, 91 वर्षीय धावक को 1960 के रोम ओलंपिक के 400 मीटर फाइनल में उनकी एपिक रेस के लिए याद किया जाता है.

उन्होंने 1956 और 1964 के ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है और उन्हें 1959 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.

मिल्खा तब लोकप्रिय हुए जब उन्होंने 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में 45.6 सेकंड का समय निकालकर चौथा स्थान हासिल किया.

मिल्खा सिंह पर बॉलीवुड फिल्म भी बनी है.

Last Updated : Jun 20, 2021, 1:34 AM IST
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