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हाईकमान को नजरअंदाज कर क्या संदेश दे रहे सिद्धू, कैसी है उनकी मौजूदा राजनीति - अश्वनी चावला

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अपनी ही पार्टी के लिए पहेली बनते जा रहे हैं. यह इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि वे पार्टी नेताओं के निर्देशों के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं.

Navjot Singh Sidhu
Navjot Singh Sidhu
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Published : Oct 20, 2021, 6:54 PM IST

चंडीगढ़ : कांग्रेस के लिए सिद्धू नाम की पहेली सुलझने के बजाय उलझती ही जा रही है. सिद्धू अपनी कार्यप्रणाली से कांग्रेस को बार-बार सांसत में डाल रहे हैं. कांग्रेस पार्टी आलाकमान के निर्देश के बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू का सोशल मीडिया पर भड़ास निकालने का काम लगातार कर रहे हैं.

नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद पहली बार 15 अक्टूबर को दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं केसी वेणुगोपाल और पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत से मुलाकात की थी. उनसे मुलाकात की के साथ ही उनकी इसी दिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी बातचीत हुई. इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि उन्होंने राहुल गांधी से बात की है और सभी मामले सुलझा लिए गए हैं.

सोनिया के संदेश का भी असर नहीं

दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई जिसमें सोनिया गांधी ने कहा था कि मैं पार्टी अध्यक्ष हूं और जिसको भी बात करनी है वह मुझसे सीधे आकर बात करे. लेकिन हैरत की बात यह है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने जो चिट्ठी 15 तारीख को पार्टी हाईकमान को लिखी वह उन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के अगले दिन ही अपने टि्वटर हैंडल से यानी 17 अक्टूबर को पब्लिक प्लेटफॉर्म पर जारी कर दी.

सिद्धू की नाराजगी है बरकरार

सिद्धू ने जिस तरह सीधे हाईकमान के निर्देशों की अवहेलना दिखाई देती है उससे सिद्ध होता है कि वे किसी की परवाह नहीं करते. नवजोत सिंह सिद्धू ने दिल्ली में राहुल गांधी के साथ लंबी मुलाकात के बाद कहा था कि सब कुछ सुलझ गया है लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू के तेवर ज्यों के त्यों बने हुए हैं.

उठ रहे हैं कई सवाल

पहला सवाल यह है कि सोशल मीडिया में चिट्ठी डालने के बाद क्या हाईकमान सिद्धू के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगा? यह भी है कि आखिर पार्टी के नेता अपने वरिष्ठ नेताओं और हाईकमान की क्यों नहीं सुनते हैं? सिद्धू को ऐसा करके क्या राजनीतिक लाभ मिलेगा? और इस तरह की राजनीति का पंजाब में क्या भविष्य होगा?

विश्लेषक अश्वनी चावला की राय

पंजाब की राजनीति के जानकार अश्वनी चावला कहते हैं कांग्रेस हाईकमान इस मामले में सिद्धू के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. हम जानते हैं कि कांग्रेस हाईकमान के फैसले इतनी तेजी में नहीं होते. इसलिए इसको लेकर जल्द फैसला होगा. इस वक्त कांग्रेस हाईकमान के लिए पंजाब चुनाव पहली प्राथमिकता है और किसी तरह की कार्रवाई में समय लग सकता है.

राजनीति में हर बात का जवाब

चावला कहते हैं कि कपिल शर्मा शो में बैठकर और क्रिकेट की कमेंट्री करके आप कुछ भी बोल सकते हैं. वहां आपको किसी को भी लिखित में जवाब नहीं देना होता लेकिन राजनीति में आप को हर बात का जवाब देना होता है. आप से सवाल भी किए जाएंगे और आपको उनका जवाब भी देना होगा. चावला कहते हैं कि जिस तरीके की राजनीति इस वक्त नवजोत सिंह सिद्धू कर रहे हैं उसे देखते हुए लग रहा है कि वह ज्यादा लंबी रेस के घोड़े नहीं है.

सोशल मीडिया की बीमारी से ग्रसित नेता

गुरमीत सिंह का कहना है आज के दौर में सोशल मीडिया की बीमारी सबको लग चुकी है और नेताओं को भी यह बीमारी खासतौर पर घेरे हुए है. नेता, जनता के बीच बात करने के आदी होते हैं और शायद सिद्धू भी इसी वजह से अपनी बात को सोशल मीडिया पर रखते हैं. कई नेता ऐसे हैं जो हर बात को सोशल मीडिया के माध्यम से सामने ला रहे हैं. इससे राजनीति में विश्वास का एक गंभीर संकट भी पैदा हो रहा है.

चंडीगढ़ : कांग्रेस के लिए सिद्धू नाम की पहेली सुलझने के बजाय उलझती ही जा रही है. सिद्धू अपनी कार्यप्रणाली से कांग्रेस को बार-बार सांसत में डाल रहे हैं. कांग्रेस पार्टी आलाकमान के निर्देश के बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू का सोशल मीडिया पर भड़ास निकालने का काम लगातार कर रहे हैं.

नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद पहली बार 15 अक्टूबर को दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं केसी वेणुगोपाल और पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत से मुलाकात की थी. उनसे मुलाकात की के साथ ही उनकी इसी दिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी बातचीत हुई. इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि उन्होंने राहुल गांधी से बात की है और सभी मामले सुलझा लिए गए हैं.

सोनिया के संदेश का भी असर नहीं

दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई जिसमें सोनिया गांधी ने कहा था कि मैं पार्टी अध्यक्ष हूं और जिसको भी बात करनी है वह मुझसे सीधे आकर बात करे. लेकिन हैरत की बात यह है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने जो चिट्ठी 15 तारीख को पार्टी हाईकमान को लिखी वह उन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के अगले दिन ही अपने टि्वटर हैंडल से यानी 17 अक्टूबर को पब्लिक प्लेटफॉर्म पर जारी कर दी.

सिद्धू की नाराजगी है बरकरार

सिद्धू ने जिस तरह सीधे हाईकमान के निर्देशों की अवहेलना दिखाई देती है उससे सिद्ध होता है कि वे किसी की परवाह नहीं करते. नवजोत सिंह सिद्धू ने दिल्ली में राहुल गांधी के साथ लंबी मुलाकात के बाद कहा था कि सब कुछ सुलझ गया है लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू के तेवर ज्यों के त्यों बने हुए हैं.

उठ रहे हैं कई सवाल

पहला सवाल यह है कि सोशल मीडिया में चिट्ठी डालने के बाद क्या हाईकमान सिद्धू के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगा? यह भी है कि आखिर पार्टी के नेता अपने वरिष्ठ नेताओं और हाईकमान की क्यों नहीं सुनते हैं? सिद्धू को ऐसा करके क्या राजनीतिक लाभ मिलेगा? और इस तरह की राजनीति का पंजाब में क्या भविष्य होगा?

विश्लेषक अश्वनी चावला की राय

पंजाब की राजनीति के जानकार अश्वनी चावला कहते हैं कांग्रेस हाईकमान इस मामले में सिद्धू के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. हम जानते हैं कि कांग्रेस हाईकमान के फैसले इतनी तेजी में नहीं होते. इसलिए इसको लेकर जल्द फैसला होगा. इस वक्त कांग्रेस हाईकमान के लिए पंजाब चुनाव पहली प्राथमिकता है और किसी तरह की कार्रवाई में समय लग सकता है.

राजनीति में हर बात का जवाब

चावला कहते हैं कि कपिल शर्मा शो में बैठकर और क्रिकेट की कमेंट्री करके आप कुछ भी बोल सकते हैं. वहां आपको किसी को भी लिखित में जवाब नहीं देना होता लेकिन राजनीति में आप को हर बात का जवाब देना होता है. आप से सवाल भी किए जाएंगे और आपको उनका जवाब भी देना होगा. चावला कहते हैं कि जिस तरीके की राजनीति इस वक्त नवजोत सिंह सिद्धू कर रहे हैं उसे देखते हुए लग रहा है कि वह ज्यादा लंबी रेस के घोड़े नहीं है.

सोशल मीडिया की बीमारी से ग्रसित नेता

गुरमीत सिंह का कहना है आज के दौर में सोशल मीडिया की बीमारी सबको लग चुकी है और नेताओं को भी यह बीमारी खासतौर पर घेरे हुए है. नेता, जनता के बीच बात करने के आदी होते हैं और शायद सिद्धू भी इसी वजह से अपनी बात को सोशल मीडिया पर रखते हैं. कई नेता ऐसे हैं जो हर बात को सोशल मीडिया के माध्यम से सामने ला रहे हैं. इससे राजनीति में विश्वास का एक गंभीर संकट भी पैदा हो रहा है.

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