नई दिल्ली: भाकपा नेता और जेएनयू के पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार की कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ कई दौर की बैठक के बाद उनके पार्टी में शामिल होने की अफवाहें उड़ी हैं. यहां सवाल यह उठता है कि पार्टी के भीतर उन्हें क्या भूमिका दी जाएगी?
कांग्रेस के कुछ शीर्ष नेताओं ने पुष्टि की है कि कन्हैया लगातार पार्टी के संपर्क में हैं और कांग्रेस भी अपने युवा कैडर को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से उन्हें पार्टी में शामिल होने के लिए मनाने के लिए गहन प्रयास कर रही है. दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia), जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) और सुष्मिता देव (Sushmita Dev) जैसे कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है.
हालांकि यह स्पष्ट किया जा रहा है कि कन्हैया को अभी तक पार्टी में किसी भी पद की पेशकश नहीं की गई है. पार्टी के एक सूत्र ने कहा, कन्हैया एक युवा नेता हैं और वह जिस भी पार्टी में शामिल होंगे, वह उसमें उत्साह लाएंगे. उनका अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो अच्छे परिणाम देते हैं. गौरतलब है कि कन्हैया कुमार के भाषण लगातार वायरल हो रहे हैं, उनकी रैलियों में भारी भीड़ उमड़ रही है और युवाओं में उनका खासा क्रेज है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की तीखी आलोचना के कारण कन्हैया की अपनी अलग पहचान है. वह ध्रुवीकरण करने में सक्षम हैं इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को उनका फायदा मिल सकता है. पता चला है कि अगर कन्हैया कांग्रेस पार्टी में शामिल होते हैं तो उन्हें चुनाव प्रचार समिति में रहते हुए पूर्वांचल पट्टी (Purvanchal belt) की जिम्मेदारी दी जा सकती है.
हालांकि, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस अपनी ही अंदरूनी कलह से जूझ रही है. बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास ने भी बिहार कांग्रेस अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष पद के लिए संभावित उम्मीदवारों की सूची तैयार की थी.
बिहार में भी मिल सकती है जिम्मेदारी
राज्य में जाति-आधारित राजनीति पर नजर रखते हुए कन्हैया को बिहार में कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका भी मिल सकती है क्योंकि वह 'भूमिहारों' के कैडर से संबंधित हैं, जिसकी राज्य की आबादी का लगभग 5% है. यह गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में हार्दिक पटेल को नियुक्त करने के विचार के समान होगा, जो पीएम मोदी के मुखर आलोचक भी हैं.
हालांकि, दोनों पक्ष इस मामले पर खुलकर बात करने को तैयार नहीं हैं और इसे गोपनीय रखने के गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं. इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बिहार के कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास को भी कन्हैया कुमार की राहुल गांधी से मुलाकात की खबर नहीं मिली.
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पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने यह भी बताया कि कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल होने की पेशकश की गई थी. 2025 में बिहार चुनाव के दौरान पार्टी के रूप में कांग्रेस में उनके लिए एक योजना है.