हैदराबाद: आज से देश में गोल्ड हॉलमार्किंग जरूरी होगी. केंद्र सरकार इसे देशभर में चरणबद्ध तरीके से लागू करेगी. शुरुआत में इसे देश के 256 जिलों में लागू किया गया है. अब आपके मन में सवाल इस गोल्ड हॉलमार्किंग से जुड़े कई सवाल आ रहे होंगे मसलन गोल्ड हॉलमार्किंग क्या होती है और इसका फायदा क्या है. इस तरह के हर सवाल का जवाब आपको देते हैं. सबसे पहले जानिये...
क्या होती है गोल्ड हॉलमार्किंग?
हॉलमार्क सोने की शुद्धता का पैमाना होता है. BIS यानि भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) अपने निशान (mark) से शुद्धता की गारंटी देता है. सोने के गहनों पर BIS हॉलमार्क ये प्रमाणित करता है कि सोने के गहने, सिक्के या ईंट आदि तय मानकों के आधार पर तैयार की गई है. सरकार के गोल्ड हॉलमार्किंग के फैसले के बाद 256 जिलों में ज्वैलर्स केवल 14, 18 और 22 कैरेटे के हॉलमार्क युक्त सोने के आभूषणों की ही बिक्री कर सकेंगे. हालांकि 20, 23 और 24 कैरेट के सोने पर भी हॉलमार्किंग की अनुमति है.
कैसे होती है हॉलमार्किंग ?
सोने पर हॉलमार्किंग से पता चलता है कि उस गहने या आभूषण को बनाने में इस्तेमाल की गई धातु BIS द्वारा निर्धारित मानकों और निर्देशों के मुताबिक हुआ है. BIS ज्वैलर्स को लाइसेंस देता है, जिसके बाद ज्वैलर्स BIS से मान्यता प्राप्त किसी भी तरह के आभूषणों पर हॉलमार्किंग सेंटर से हॉलमार्क करवा सकते हैं. आभूषणों का मूल्यांकन और परीक्षण सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त हॉलमार्किंग केंद्रों पर ही किया जाता है. ये केंद्र प्रमाणित करते हैं कि गहनों में इस्तेमाल हुई हर धातु शुद्धता समेत हर गुणवत्ता के तय पैमानों पर खरी उतरती है.
कोई भी शख्स BIS की आधिकारिक वेबसाइट से मान्यता प्राप्त ज्वैलर्स के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है. यहां ज्वैलर्स के नाम, पते के अलावा BIS से मिले लाइसेंस की मान्यता की अवधि भी जान सकते हैं. BIS साल 2000 से गोल्ड हॉलमार्किंग की योजना चला रही है और फिलहाल देश में सिर्फ 40 फीसदी सोने के गहने ही हॉलमार्क युक्त हैं.
क्या हैं हॉलमार्क के फायदे ?
गोल्ड हॉलमार्किंग का मकसद ग्राहकों तक शुद्ध सोना पहुंचाना है. कई बार सोने के नाम पर लोगों से ठगी जैसे नकली गहने या ज्यादा पैसे वसूलने जैसे मामले सामने आते हैं. हॉलमार्किंग इससे बचाएगा. कुल मिलाकर गहनों पर हॉलमार्क है तो कोई टेंशन नहीं.
- हॉलमार्क सोने की शुद्धता को प्रमाणित करता है.
- ग्राहक में सोने की खरीद के प्रति विश्वास पैदा करता है.
- हॉलमार्क वाले गहने का दोबारा विक्रय (resale) आसान और बेहतर मूल्य मिलेगा.
- हॉलमार्क होने से ग्राहक खुद ही असली सोने की पहचान कर पाएगा.
- हॉलमार्किंग से ग्राहकों के साथ ठगी नहीं हो पाएगी. जितने कैरेट का सोना होगा उस हिसाब से ही मूल्य चुकाना होगा.
आप कैसे पहचानेंगे हॉलमार्क ?
हॉलमार्क आभूषणों की पहचान बहुत आसान होगी. हॉलमार्क युक्त ज्वैलरी पर अलग-अलग तरह के निशान होंगे. जिन्हें आप छूकर महसूस करने के साथ देख भी सकते हैं. किसी सोने के आभूषण पर BIS का लोगो, सोने की शुद्धता (22 कैरेट, 18 कैरेट आदि), हॉलमार्क सेंटर का लोगो के अलावा हॉलमार्किंग का साल और ज्वैलर्स का पहचान नंबर होगा.
ग्राहक की जेब और हॉलमार्किंग
सोने के आभूषण पर हॉलमार्किंग गहने के वजन के हिसाब से नहीं बल्कि प्रति इकाई के हिसाब से होती है. यानि गहना कोई भी हो सब पर हॉलमार्किंग की कीमत एक ही होगी जो कि नाम मात्र की होती है. लेकिन इसका भार गहने खरीदते वक्त ग्राहक को ही उठाना होगा.
घर पर रखा सोना, खोना तो नहीं पड़ेगा ?
देश में मौजूद कुल सोने या सोने के आभूषणों में से ज्यादातर बिना हॉलमार्क के हैं. खासकर कई घरों में रखे पुराने सोने के गहने बिना हॉलमार्क के होंगे. जानकार मानते हैं कि घर पर रखे सोने पर इस फैसले का कोई असर नहीं होगा. वो आप आसानी से रख सकते हैं या उसे आसानी से बेचा जा सकता है. लेकिन ज्वैलर्स अब बिना हॉलमार्क के सोना नहीं बेच पाएंगे. ये फैसला उनपर लागू होता है.
पुराने सोने या बिना हॉलमार्क वाले सोने का इस्तेमाल गोल्ड लोन के लिए भी आसानी से हो सकता है. गोल्ड लोन देने वाली कंपनी अपने स्तर पर गहनों की शुद्धता की पहचान करेगी और फिर आपको लोन देगी.
सोने के नाम पर ठगने वालों पर पड़ेगी मार
कुल मिलाकर ये हॉलमार्किंग सोने के ग्राहकों के लिए सबसे बड़े फायदे का सौदा है. लेकिन इस फैसले की मार सोने के नाम ठगी करने वालों पर पड़ेगी. कई सोने की खरीद फरोख्त के दौरान ग्राहकों को नकली सोना या सोने की कम मात्रा देते हैं. जिसका नुकसान ग्राहकों को होता है लेकिन हॉलमार्क युक्त सोने की खरीद का चलन जैसे-जैसे बढ़ेगा तो इन ठगों को ठगी का मौका नहीं मिलेगा.
कितने हॉलमार्किंग सेंटर, ज्वैलर्स और सोने के गहने
केंद्र सरकार के मुताबिक बीते 5 साल में देश में हॉलमार्किंग सेंटर की संख्या 454 से 945 पहुंच गई है. इस वक्त 940 परख केंद्र और हॉलमार्किंग केंद्र संचालित हैं. इसमें से 84 केंद्र विभिन्न जिलों में सरकारी सब्सिडी योजना के तहत स्थापित किए गए हैं. मौजूदा केंद्रों की संख्या के हिसाब से साल में लगभग 14 करोड़ वस्तुओं की हॉलमार्किंग की जा सकती है.
भारत में करीब 4 लाख ज्वैलर्स हैं, इनमें से सिर्फ 35,879 को ही BIS सर्टिफाइड किया गया है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, भारत सालाना 700-800 टन सोने का आयात करता है. नए फैसले के मुताबिक सालाना 40 लाख रुपये का सालाना कारोबार करने वाले ज्वैलर्स को अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट दी गई है. साथ ही देश की ट्रेड पॉलिसी के तहत ज्वैलरी का निर्यात, पुनर्नियात या अंतरराष्ट्रीय और घरेलू प्रदर्शनी लगाने वालों को भी इससे छूट होगी.
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