नई दिल्ली : दिल्ली में कोरोना महामारी (Corona in delhi) के बीच बर्ड फ्लू से मौत का पहला मामला सामने आया है. देश में इस साल बर्ड फ्लू से हुई यह पहली मौत है. बर्ड फ्लू H5N1 एवियन इनफ्लुएंजा से यह मौत दिल्ली AIIMS में हुई है.
कोरोना के डर और त्रासदी से लोग बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, अब एक और डर ने लोगों की घबराहट बढ़ा दी है. कोरोना के बाद अब बर्ड फ्लू लोगों को डरा रहा है. बर्ड फ्लू जिसे एवीअन फ्लू या एच5एन1 वायरस के नाम से भी जाना जाता है, कितना खतरनाक है और किस तरह लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, आइए जानें.
क्या है एवियन इन्फ्लुएंजा ?
एवियन इन्फ्लुएंजा यानी बर्ड फ्लू वायरल बीमारी है. जो संक्रामक होता है. यह बीमारी अक्सर पक्षियों में गंभीर रेस्पिरेट्री बीमारी पैदा करती है. बर्ड फ्लू के वैसे तो कई प्रकार है. लेकिन H5N1 ऐसा पहला बर्ड फ्लू वायरस है. जिससे इंसानों को संक्रमित किया है. H5N1 और H7N9 वायरस के सबसे कॉमन स्ट्रेन है. H5N1 एक प्रकार का इन्फ्लुएंजा वायरस है. जो पक्षियों में गंभीर रेस्पिरेट्री डिजीज का कारण बनता है. एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में इसका संक्रमण होना मुश्किल होता है. लेकिन इससे संक्रमित होने के बाद मृत्यु दर लगभग 60 फीसदी दर्ज की गई है.
अब तक लोगों में H5N1 संक्रमण (Infection) के सभी मामले संक्रमित पक्षियों से जुड़े पाए गए हैं. यह वायरस आसानी से मनुष्य को संक्रमित नहीं करता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में इसके फैलने की संभावना भी लगभग ना के बराबर होती है. इंसानों में H5N1 संक्रमण गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है और 100 में से 60 मामलों में इंसानों की मृत्यु हो जाती है.
H5N1 एवियन इन्फ्लुएंजा के लक्षण
1. | तेज बुखार |
2. | खांसी |
3. | गले में खराश |
4. | पेट दर्द |
5. | सीने में दर्द |
6. | डायरिया |
7. | मांसपेशियों में दर्द |
जानकार बताते हैं कि अच्छे से पका हुआ पोल्ट्री प्रोडक्ट खाने से बर्ड फ्लू नहीं फैलता है. लेकिन यह जरूरी है कि पोल्ट्री उत्पाद खरीदते समय साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए. इंसानों को मृत पक्षियों के संपर्क में आने से बचना चाहिए. अगर किसी इंसान को संक्रमण वाले क्षेत्र में जाना मजबूरी है तो इंसानों को मास्क लगाकर ही जाना चाहिए. पोल्ट्री उत्पादों को हमेशा 70 डिग्री सेल्सियस के ऊपर तापमान में पकाना चाहिए. क्योंकि 70 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान में यह वायरस जीवित नहीं रह पाते हैं.
बता दें कि, दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान (All India Institute of Ayurvedic-AIIMS) के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट (pediatric department) में H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा बर्ड फ्लू (H5N1 avian influenza bird flu) से संक्रमित एक 11 साल के बच्चे का इलाज चल रहा था. जहां मंगलवार को उस बच्चे की मौत हो गई. दो जुलाई को जब बच्चे को एम्स में भर्ती कराया गया था तो बच्चा ल्यूकेमिया और निमोनिया से जूझ रहा था. भर्ती होने के समय बच्चे की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई थी और इन्फ्लुएंजा पॉजिटिव (influenza positive) पाया गया था. H5N1 इन्फ्लुएंजा की पुष्टि के लिए उसके सैंपल को पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी भेजा गया था. जहां उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी.
बर्ड फ्लू से बच्चे की मौत के बाद AIIMS में भी एहतियातन सभी कर्मचारियों को आइसोलेट कर दिया गया है और उनके स्वास्थ्य की निगरानी की जा रही है.
घबराने की जरूरत नहीं : एम्स प्रमुख
एवियन इन्फ्लूएंजा से देश में पहली मौत की पुष्टि के बीच AIIMS के प्रमुख रणदीप गुलेरिया ने बुधवार को कहा कि एच5एन1 वायरस का मानव से मानव में संक्रमण बहुत दुर्लभ है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है. एम्स निदेशक ने कहा कि हालांकि संपर्क में आने से बचना चाहिए और वायरस के कारण जहां पर बच्चे की मौत हुई, उस क्षेत्र से नमूने लिए जाने की जरूरत है तथा कुक्कुटों की मौत पर नजर रखनी चाहिए.
गुलेरिया ने कहा कि पक्षियों से मानवों में वायरस का संक्रमण बहुत दुर्लभ है और एच5एन1 का मानव से मानव में संक्रमण का मामला अब तक साबित नहीं हुआ है. इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है. लेकिन पोल्ट्री के निकट काम करने वाले लोगों को निश्चित तौर पर एहतियात बरतना चाहिए और साफ-सफाई रखना चाहिए.
AIIMS में मेडिसीन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल ने कहा कि एवियन इन्फ्लूएंजा मुख्य रूप से पक्षियों की बीमारी है और मानव से मानव के बीच संक्रमण का अब तक प्रमाण नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि संक्रमण से प्रभावित कुछ छिटपुट क्षेत्रों का पता चला है. इन क्षेत्रों में दुर्लभ स्थिति में संक्रमण का प्रसार हो सकता है. हालांकि, मानव से मानव के बीच संक्रमण का कोई प्रमाण नहीं मिला है.
डॉ निश्चल ने कहा कि सीरो सर्वेक्षण में बिना लक्षण वाले मामलों में कोई प्रमाण नहीं मिला है और उपचार के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों में संक्रमण फैलने के कोई सबूत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई ठीक से पका हुआ पोल्ट्री उत्पाद खा रहा है तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह ठीक से पके हुए भोजन से लोगों में फैल सकता है. भोजन को उच्च तापमान पर पकाने पर वायरस नष्ट हो जाता है. संक्रमित, खासकर बीमार मुर्गे-मुर्गियों के संपर्क में आने से बचना चाहिए.
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि पूर्व में जब मुर्गे-मुर्गियों में एच5एन1 एवियन फ्लू इन्फ्लूएंजा के मामले सामने आए थे तो संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए उन क्षेत्रों में कुक्कुटों को मार दिया गया था. उन्होंने कहा कि एच5एन1 वायरस का प्रसार मुख्य रूप से प्रवासी पक्षियों के जरिए कुक्कुटों में होता है. गुलेरिया ने कहा कि जो लोग पोल्ट्री के निकट संपर्क में काम करते हैं, उनमें संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, लोगों में एच5एन1 संक्रमण के लगभग सभी मामले संक्रमित जीवित या मृत पक्षियों या एच5एन1 प्रभावित वातावरण के निकट संपर्क से जुड़े हैं. वर्तमान में उपलब्ध महामारी विज्ञान की जानकारी से पता चलता है कि वायरस मनुष्यों को आसानी से संक्रमित नहीं करता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण फैलना दुर्लभ प्रतीत होता है. जब लोग संक्रमित होते हैं तो मृत्यु दर लगभग 60 प्रतिशत होती है.