हैदराबाद: कई विशेषज्ञ आने वाले दिनों में देश में तीसरी लहर की चेतावनी दे रहे हैं. देशभर में बीते एक हफ्ते से कोरोना के 40 हजार से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं. इन आंकड़ों में चौंकाने वाले बात ये है कि रोजाना कुल नए मामलों में से दो तिहाई यानि करीब 70 फीसदी मामले अकेले केरल से सामने आ रहे हैं. ऐसे में सवाल है कि क्या तीसरी लहर केरल के रास्ते ही आएगी ? आखिर केरल में इतने मामले क्यों आ रहे हैं ? केरल में क्या है टीकाकरण का हाल ?
केरल और कोरोना
बीते एक हफ्ते के आंकड़ों पर नज़र डालें तो कोरोना के औसतन 30 हजार नए मामले सामने आ रहे हैं. पॉजिटिविटी रेट भी 18 फीसदी के ऊपर बना हुआ है, जिसका मतलब है कि केरल में हर 100 लोगों की टेस्टिंग में 18 से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. 1 सितंबर तक केरल में कोरोना के कुल मामले 40 लाख 90 हजार के पार पहुंच गए. जबकि इस वक्त राज्य में एक लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं.
केरल से सामने आ रहे हैं दो तिहाई मामले
मौजूदा वक्त में कोरोना के मिल रहे नए मामलों पर नज़र डालें तो रोजाना दो तिहाई मामले अकेले केरल से सामने आ रहे हैं. 1 सितंबर की देशभर में कोरोना के 47,092 नए मामले सामने आए तो इनमें केरल के 32,803 मरीज शामिल थे. आंकड़ों में ये ट्रेंड बीते कई दिनों से बना हुआ है. रोजाना कोविड से होने वाली मौतों के मामले में भी केरल महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर है. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2 सितंबर को जारी बीते 24 घंटे के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में कोरोना से 183 लोगों की मौत हुई जबकि केरल में 173 लोगों की मौत हुई. देशभर में बीते 24 घंटे में कुल 509 लोगों की जान कोरोना ने ली.
केरल में कोविड-19 टीकाकरण का हाल
केरल में 1 सितंबर तक कोविड-19 की कुल 2,93,14,319 डोज़ दी जा चुकी हैं. 2,14,20,113 लोगों को वैक्सीन की पहली और 78,94,206 लोगों की दोनों डोज़ लग चुकी हैं. करीब 3.5 करोड़ की आबादी वाले राज्य में 18 साल से अधिक उम्र के योग्य लोगों की संख्या के हिसाब से ये टीकाकरण का अच्छा खासा आंकड़ा है. ऐसे में कोरोना के रोजाना 30 हजार मामले आना सवाल तो उठाता है.
दोनों डोज़ लगने के बाद भी लोग हो रहे संक्रमित
केरल में कोविड़ संक्रमण के मामलों के बीच सबसे ज्यादा डराने वाली बात ये है कि वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने के बाद भी लोग कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक राज्य में 40 हजार से ज्यादा ऐसे मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से 5 हजार से अधिक मामले केरल के पथनमथिट्टा जिले के हैं, जबकि इस जिले में एक डोज़ लगने के बाद करीब 15 हजार लोग कोरोना से संक्रमित हुए.
आखिर क्यों बढ़ रहे हैं मामले ?
केरल की सीमा से लगते कर्नाटक या तमिलनाडु में कोरोना के गिने चुने मामले सामने आ रहे हैं. पहली और दूसरी लहर की मार झेल चुके दिल्ली और महाराष्ट्र में भी कोरोना के मामले फिलहाल कंट्रोल में हैं. लेकिन पहली लहर हो या दूसरी लहर या फिर मौजूदा माहौल, केरल की स्थिति हमेशा सवालों में रही है. केरल की आबादी, टीकाकरण और देश के अन्य राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामलों को देखते हुए सवाल उठना लाजमी है कि आखिर केरल में क्यों बढ़ रहे हैं मामले ?
1) टेस्टिंग ज्यादा हो रही है- प्रदेश में बढ़ते मामलों को लेकर कुछ लोग ज्यादा टेस्टिंग को भी वजह मान रहे हैं. केरल में बीते एक हफ्ते के आंकड़ों पर नजर डालें तो रोजाना औसतन 1.50 लाख टेस्ट हुए हैं और रोजाना इनमें से 18 से 19 फीसदी लोग कोरोना पॉजीटिव पाए जा रहे हैं.
2) कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग ठीक से ना होना- विशेषज्ञों का मानना है कि एक कोरोना संक्रमित के साथ 15 केस ट्रेस करने होते हैं जो कि केरल में नहीं हो रहा है. इस कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के जरिये किसी संक्रमित द्वारा कितने लोगों से मुलाकात की गई उन्हें ट्रेस किया जाता है, ताकि संक्रमण का पता चल सके.
3) कंटेनमेंट ज़ोन का पालन- कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के दौरान जिन इलाकों में कोरोना संक्रमण बढ़ा उन्हें कंटेनमेंट ज़ोन या रेड जोन घोषित कर दिया जाता था. लेकिन मौजूदा हालात में केरल में ऐसा नहीं हो रहा है. जबकि राज्य के कई जिलों में मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
4) आबादी का बड़ा हिस्सा संक्रमित नहीं- कुछ जानकार मानते हैं कि केरल में एक बड़ी आबादी कोरोना से संक्रमित नहीं हुई है, ये भी मौजूदा दौर में कोरोना के बढ़ते मामलों की एक वजह है. आईसीएमआर के चौथे सीरो सर्वे में सामने आया था कि केरल में अभी 44 फीसदी आबादी को संक्रमण हुआ है ऐसे में संक्रमण का खतरा ज्यादा है.
5) कोविड-19 से जुड़े नियमों की अनदेखी- कोरोना संक्रमण से बचने के लिए कई विशेषज्ञ कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने की हिदायत देते रहते हैं. लेकिन जानकार मानते हैं कि ऐसा ना करना केरल में बढ़ते मामलों की एक वजह है. ओणम के बाद से रोज 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे है. बाजार से लेकर सड़कों पर निकलते वक्त कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो ना करने से कई लोगों पर संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है.
6) मौसम- कुछ जानकार कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए मौसम को भी जिम्मेदार मानते हैं. डॉपलेट्स के जरिये वायरस के फैलने की बात विशेषज्ञ पहले भी कर चुके हैं. ‘वायरस के ड्रॉपलेट्स हवा में कितनी देर रहते हैं ये वहां के मौसम पर भी निर्भर करता है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि केरल के मौसम के चलते ऐसा हो रहा हो कि वायरस लंबे समय तक रह रहे हों.
क्या कर रही है राज्य सरकार ?
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने 30 अगस्त से पूरे राज्य में नाइट कर्फ्यू लगा दिया है. जो रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लागू रहेगा. इस दौरान जरूरी काम के अलावा किसी को भी घर से निकलने की इजाजत नहीं होगी. इसके अलावा रविवार को लॉकडाउ की पाबंदियां लागू रहेंगी. राज्य सरकार की तरफ से इन पाबंदियों को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं.
केरल बजा रहा है खतरे की घंटी
कुल मिलाकर केरल में बढ़ते मामले कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी के बीच देश के लिए खतरे की घंटी बजा रहे हैं. दूसरी लहर में कोरोना का कहर झेल चुके हैं, ऐसे में सरकारों को अलर्ट रहना होगा. कर्नाटक सरकार ने केरल से आने वाले लोगों के लिए क्वारंटाइन नियम तय कर दिए हैं. लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार के साथ-साथ लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, कोविड-19 नियमों के पालन के साथ-साथ, वैक्सीनेशन भी करवाना होगा.
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