कोलकाता: नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के भूमि विवाद पर विश्वभारती विश्वविद्यालय तत्काल कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने नोबेल पुरस्कार विजेता को 6 मई तक भूमि खाली करने के विश्वभारती के आदेश पर रोक लगा दी. इस मामले की सुनवाई की तारीख जिला अदालत में 15 मई निर्धारित की थी, जिसे आगे बढ़ा दिया गया है और अब सुनवाई 10 मई बुधवार को होगी.
कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बिभास रंजन डे ने आदेश दिया है कि अमर्त्य सेन की जमीन खाली करने के आदेश पर सूरी कोर्ट द्वारा दिया गया निलंबन आदेश मामले के निस्तारण तक यथावत रहेगा. हालांकि गुरुवार को विश्वभारती विश्वविद्यालय की ओर से वकील सुचरिता बिस्वास ने कहा कि इस अदालत को मामले की सुनवाई का अधिकार नहीं है. संबंधित जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं. इसका मतलब है कि वे सुरक्षित हैं. यहां आवेदन करने का कोई विकल्प नहीं है.
वकील ने यह भी कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकता है. भारत रत्न अमर्त्य सेन की ओर से वकील जयंत मित्रा ने कहा कि हालांकि सुनवाई 15 मई को होने वाली थी, लेकिन विश्वभारती द्वारा 6 मई तक जमीन खाली करने का नोटिस दिया गया था. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट के जज ने आदेश दिया कि जिला जज बुधवार 10 मई को मामले की सुनवाई करेंगे.
नोबेल पुरस्कार विजेता ने जमीन खाली करने के आदेश को चुनौती देते हुए पहले ही सूरी कोर्ट में केस दायर कर दिया था. मामले की सुनवाई 15 मई को निर्धारित की गई थी. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने विश्वभारती के आवेदन के बाद मामले की सुनवाई 10 मई तक के लिए स्थगित कर दी है. बता दें कि विश्व कवि रवींद्रनाथ टैगोर के बेटे रतींद्रनाथ टैगोर ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के पिता आशुतोष सेन को 99 साल के लिए 1.38 एकड़ जमीन पट्टे पर दी थी. यह आशुतोष सेन ही थे, जिन्होंने लीज पर मिली जमीन पर प्रातिची हाउस बनाया था.