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Kolkata High Court : 'क्या ममता सरकार गणेश पूजा और दुर्गा पूजा में भेद करती है', याचिका लगी तो हाईकोर्ट ने सुना दिया ऐसा फैसला - कोलकाता हाईकोर्ट

क्या पश्चिम बंगाल में गणेश पूजा और दुर्गा पूजा में भेद किया जाता है. हाईकोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जज ने सवाल पूछा कि ऐसा कैसे संभव है कि आप दुर्गा पूजा अर्ध धर्मनिरपेक्ष मानते हैं और गणेश पूजा को नहीं.

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कोलकाता हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 10, 2023, 4:04 PM IST

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल-न्यायाधीश पीठ ने पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्दवान जिले के औद्योगिक टाउनशिप दुर्गापुर में एक सरकारी भूमि पर गणेश पूजा आयोजित करने के लिए एक सामुदायिक पूजा समुदाय को मंजूरी दे दी है.

हालांकि 2014 से, गणेश पूजा का आयोजन चतुरंग मैदान में किया जाता रहा है, जो आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (एडीडीए) के अधिकार क्षेत्र में आता है, इस वर्ष प्राधिकरण ने सामुदायिक पूजा समिति को इस आधार पर अनुमति देने से इनकार कर दिया कि सरकारी भूमि का उपयोग केवल किसी भी राजकीय समारोह या दुर्गा पूजा प्रयोजन के लिए किया जा सकता है.

आयोजकों ने न्यायमूर्ति भट्टाचार्य की पीठ से संपर्क किया, जिन्होंने गणेश पूजा की अनुमति देने से इनकार करने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया, जबकि दुर्गा पूजा के लिए अनुमति दी गई. उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या ऐसी दोहरी नीति देवी-देवताओं को भी शामिल करते हुए "लिंग-पूर्वाग्रह" का प्रयास है.

एडीडीए के वकील का यह तर्क कि दुर्गा पूजा एक अर्ध-धर्मनिरपेक्ष त्योहार है, सरकारी भूमि पर इसे आयोजित करने की अनुमति ने न्यायमूर्ति भट्टाचार्य को और अधिक आश्चर्यचकित कर दिया. उन्होंने सवाल किया,"आपकी यह धारणा बनने का क्या कारण है कि गणेश पूजा एक अर्ध-धर्मनिरपेक्ष त्योहार नहीं है?".

अंततः उन्होंने सामुदायिक पूजा समिति को अनुष्ठान के अनुसार उस जमीन पर गणेश पूजा की व्यवस्था करने की अनुमति दी और उन्हें 22 सितंबर तक जमीन एडीडीए को वापस लौटाने का भी आदेश दिया.

एक महीने से भी कम समय के अंतराल में यह दूसरी बार है जब कलकत्ता उच्च न्यायालय को सरकारी भूमि पर पूजा करने की अनुमति नहीं मिलने के बाद सामुदायिक पूजा आयोजकों को पूजा आयोजित करने की अनुमति देनी पड़ी.

पिछले महीने न्यायमूर्ति भट्टाचार्य की पीठ ने उत्तर 24 परगना जिले में न्यू टाउन डेवलपमेंट अथॉरिटी को आदेश दिया कि वह सामुदायिक पूजा आयोजक को प्राधिकरण के स्वामित्व वाली भूमि पर दुर्गा पूजा आयोजित करने की अनुमति दे. आदेश पारित करते समय, न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने कहा कि एक त्योहार के रूप में दुर्गा पूजा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने वाला एक व्यापक धर्मनिरपेक्ष अर्थ है.

ये भी पढ़ें : पश्चिम बंगाल में जनसंपर्क बढ़ाने के लिए दुर्गा पूजा पर टिकी भाजपा की उम्‍मीद

(आईएएनएस)

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य की एकल-न्यायाधीश पीठ ने पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्दवान जिले के औद्योगिक टाउनशिप दुर्गापुर में एक सरकारी भूमि पर गणेश पूजा आयोजित करने के लिए एक सामुदायिक पूजा समुदाय को मंजूरी दे दी है.

हालांकि 2014 से, गणेश पूजा का आयोजन चतुरंग मैदान में किया जाता रहा है, जो आसनसोल दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (एडीडीए) के अधिकार क्षेत्र में आता है, इस वर्ष प्राधिकरण ने सामुदायिक पूजा समिति को इस आधार पर अनुमति देने से इनकार कर दिया कि सरकारी भूमि का उपयोग केवल किसी भी राजकीय समारोह या दुर्गा पूजा प्रयोजन के लिए किया जा सकता है.

आयोजकों ने न्यायमूर्ति भट्टाचार्य की पीठ से संपर्क किया, जिन्होंने गणेश पूजा की अनुमति देने से इनकार करने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया, जबकि दुर्गा पूजा के लिए अनुमति दी गई. उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या ऐसी दोहरी नीति देवी-देवताओं को भी शामिल करते हुए "लिंग-पूर्वाग्रह" का प्रयास है.

एडीडीए के वकील का यह तर्क कि दुर्गा पूजा एक अर्ध-धर्मनिरपेक्ष त्योहार है, सरकारी भूमि पर इसे आयोजित करने की अनुमति ने न्यायमूर्ति भट्टाचार्य को और अधिक आश्चर्यचकित कर दिया. उन्होंने सवाल किया,"आपकी यह धारणा बनने का क्या कारण है कि गणेश पूजा एक अर्ध-धर्मनिरपेक्ष त्योहार नहीं है?".

अंततः उन्होंने सामुदायिक पूजा समिति को अनुष्ठान के अनुसार उस जमीन पर गणेश पूजा की व्यवस्था करने की अनुमति दी और उन्हें 22 सितंबर तक जमीन एडीडीए को वापस लौटाने का भी आदेश दिया.

एक महीने से भी कम समय के अंतराल में यह दूसरी बार है जब कलकत्ता उच्च न्यायालय को सरकारी भूमि पर पूजा करने की अनुमति नहीं मिलने के बाद सामुदायिक पूजा आयोजकों को पूजा आयोजित करने की अनुमति देनी पड़ी.

पिछले महीने न्यायमूर्ति भट्टाचार्य की पीठ ने उत्तर 24 परगना जिले में न्यू टाउन डेवलपमेंट अथॉरिटी को आदेश दिया कि वह सामुदायिक पूजा आयोजक को प्राधिकरण के स्वामित्व वाली भूमि पर दुर्गा पूजा आयोजित करने की अनुमति दे. आदेश पारित करते समय, न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने कहा कि एक त्योहार के रूप में दुर्गा पूजा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने वाला एक व्यापक धर्मनिरपेक्ष अर्थ है.

ये भी पढ़ें : पश्चिम बंगाल में जनसंपर्क बढ़ाने के लिए दुर्गा पूजा पर टिकी भाजपा की उम्‍मीद

(आईएएनएस)

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