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पश्चिम बंगाल : भाजपा की रैलियां बनीं मुद्दा, पार्टी ने कहा जिम्मेदारी चुनाव आयोग की - चुनाव आयोग की चेतावनी

पश्चिम बंगाल में कोरोना के मामले को बढ़ता देख जहां सत्ताधारी पार्टी टीएमसी ने बड़ी रैलियों में कटौती की बात की वहीं दूसरी तरफ भाजपा की रैलियां बदस्तूर जारी हैं. विपक्ष के तमाम आलोचनाओं के बावजूद भी भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को पश्चिम बंगाल में चार सभाएं की जबकि गृह मंत्री ने भी तीन सभाएं कीं.

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Published : Apr 19, 2021, 7:27 PM IST

नई दिल्ली : एक तरफ कोरोना को लेकर देश में हाहाकार मचा हुआ है वहीं दूसरी तरफ केंद्र में सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता लगातार पश्चिम बंगाल में बड़ी-बड़ी रैलियां और रोड शो में भीड़ इकट्ठा कर रहे हैं. यही नहीं चुनाव आयोग की चेतावनी के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में मौजूद भीड़ में ज्यादातर कार्यकर्ता और जनता बगैर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के ही नजर आ रहे हैं.

कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में चुनावी रैलियां रद्द करने का फैसला किया और टीएमसी ने रैलियों की संख्या में कटौती का ऐलान किया. तृणमूल अब कोलकाता शहर में एक भी रैली नहीं करेगी. क्योंकि टीएमसी का मानना है कि बड़ी रैलियां चुनावी रैलियों में कोरोना के लिए सुपर स्प्रेडर का काम कर रही है. जबकि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के साथ तमाम वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं की रैलियां बदस्तूर जारी हैं.

पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो अंतिम के तीन चरणों की सीटें बीजेपी के लिए काफी कठिन हैं और पार्टी इसमें कोई कसर नही छोड़ना चाहती. यही नहीं पार्टी की अंदरखाने रणनीति है कि विपक्ष यदि रैलियों पर सवाल उठाए तो उसे चुनाव आयोग के भरोसे छोड़ दें. यही वजह हैंकि भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की रैलियों को रद्द करने की घोषणा पर कटाक्ष करते हुए यहां तक कहा कि राहुल गांधी को हार का बहाना मिल गया.

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तो यहां तक कहा कि यह एक बहाना है क्योंकि कप्तान ने देख लिया है कि उनका जहाज डूब रहा है. मगर सवाल यह उठता है कि केंद्र में सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी की आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि तमाम आलोचनाओं के बावजूद भी रैली रद्द नहीं की जा रही.

कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बावजूद प्रधानमंत्री ने पिछले शनिवार को आसनसोल में जनसभा की. इसके बाद वे 22 व 24 अप्रैल को राज्य का दौरा करने वाले हैं. 22 अप्रैल को वे मालदा और मुर्शिदाबाद में सभाएं करेंगे वहीं 24 अप्रैल को वह बोलपुर और दक्षिण कोलकाता में रैलियां करेंगे. बाकी बचे तीन चरण जो 22, 26 और 29 अप्रैल को होने हैं उसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने सारी ताकत झोंक दी है.

यह भी पढ़ें-कोरोना संक्रमण: लक्षण हैं पर रिपोर्ट में पुष्टि नहीं, जानिए क्या करें

इन रैलियों पर पूछे जाने पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने नाम न लेने की शर्त पर कहा कि चुनाव कराना निर्वाचन आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है. निर्वाचन आयोग जो भी दिशा-निर्देश जारी कर रहा है भारतीय जनता पार्टी उसका पालन कर रही है. बिहार में भी कोरोना वायरस के बीच ही चुनाव कराए गए थे. यदि चुनाव आयोग ऐसा निर्देश देता है तो पार्टी उस पर विचार करेगी.

नई दिल्ली : एक तरफ कोरोना को लेकर देश में हाहाकार मचा हुआ है वहीं दूसरी तरफ केंद्र में सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता लगातार पश्चिम बंगाल में बड़ी-बड़ी रैलियां और रोड शो में भीड़ इकट्ठा कर रहे हैं. यही नहीं चुनाव आयोग की चेतावनी के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में मौजूद भीड़ में ज्यादातर कार्यकर्ता और जनता बगैर मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के ही नजर आ रहे हैं.

कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में चुनावी रैलियां रद्द करने का फैसला किया और टीएमसी ने रैलियों की संख्या में कटौती का ऐलान किया. तृणमूल अब कोलकाता शहर में एक भी रैली नहीं करेगी. क्योंकि टीएमसी का मानना है कि बड़ी रैलियां चुनावी रैलियों में कोरोना के लिए सुपर स्प्रेडर का काम कर रही है. जबकि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के साथ तमाम वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं की रैलियां बदस्तूर जारी हैं.

पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो अंतिम के तीन चरणों की सीटें बीजेपी के लिए काफी कठिन हैं और पार्टी इसमें कोई कसर नही छोड़ना चाहती. यही नहीं पार्टी की अंदरखाने रणनीति है कि विपक्ष यदि रैलियों पर सवाल उठाए तो उसे चुनाव आयोग के भरोसे छोड़ दें. यही वजह हैंकि भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की रैलियों को रद्द करने की घोषणा पर कटाक्ष करते हुए यहां तक कहा कि राहुल गांधी को हार का बहाना मिल गया.

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने तो यहां तक कहा कि यह एक बहाना है क्योंकि कप्तान ने देख लिया है कि उनका जहाज डूब रहा है. मगर सवाल यह उठता है कि केंद्र में सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी की आखिर ऐसी क्या मजबूरी है कि तमाम आलोचनाओं के बावजूद भी रैली रद्द नहीं की जा रही.

कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बावजूद प्रधानमंत्री ने पिछले शनिवार को आसनसोल में जनसभा की. इसके बाद वे 22 व 24 अप्रैल को राज्य का दौरा करने वाले हैं. 22 अप्रैल को वे मालदा और मुर्शिदाबाद में सभाएं करेंगे वहीं 24 अप्रैल को वह बोलपुर और दक्षिण कोलकाता में रैलियां करेंगे. बाकी बचे तीन चरण जो 22, 26 और 29 अप्रैल को होने हैं उसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने सारी ताकत झोंक दी है.

यह भी पढ़ें-कोरोना संक्रमण: लक्षण हैं पर रिपोर्ट में पुष्टि नहीं, जानिए क्या करें

इन रैलियों पर पूछे जाने पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने नाम न लेने की शर्त पर कहा कि चुनाव कराना निर्वाचन आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है. निर्वाचन आयोग जो भी दिशा-निर्देश जारी कर रहा है भारतीय जनता पार्टी उसका पालन कर रही है. बिहार में भी कोरोना वायरस के बीच ही चुनाव कराए गए थे. यदि चुनाव आयोग ऐसा निर्देश देता है तो पार्टी उस पर विचार करेगी.

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