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प. बंगाल के बीजेपी नेताओं का केंद्रीय नेतृत्व पर हमला- भांप नहीं पाए जमीनी हकीकत

पश्चिम बंगाल के पूर्व भाजपा प्रमुख और त्रिपुरा और मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने टिकट वितरण और राज्य इकाई के मामलों के लिए केंद्रीय नेतृत्व की ओर से राज्य इकाई में नियुक्तियों की भूमिका की खुलेआम आलोचना की.

west Bengal bjp leaders attacked central leadership
प. बंगाल के बीजेपी नेताओं का केंद्रीय नेतृत्व पर हमला
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Published : May 9, 2021, 3:55 PM IST

Updated : May 9, 2021, 7:02 PM IST

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा तीन सीटों से बढ़कर 77 तक पहुंच गई है. इसके बावजूद भी पार्टी के कई नेताओं को यह लगता है कि केंद्रीय नेतृत्व जनता का मूड भांप नहीं पाया और स्थानीय नेतृत्व ने भी अनदेखी की. यही वजह है कि पार्टी सत्ता पाने से चूक गई.

पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने में पार्टी की विफलता के कारणों को सूचीबद्ध करते हुए, जिसे केरल के साथ भगवा पार्टी द्वारा अंतिम सीमा माना गया था, पश्चिम बंगाल के नेताओं ने बताया कि निर्णय लेने में राज्य नेतृत्व की बहुत कम भागीदारी थी, वहां देश के अन्य हिस्सों से, खासकर उत्तर भारत से केंद्रीय नेताओं की बहुत अधिक तैनाती और एक विश्वसनीय और प्रभावी बंगाली नेतृत्व पेश करने में विफलता.

पश्चिम बंगाल भाजपा इकाई में एक वर्ग को लगता है कि अगर केंद्रीय नेतृत्व ने स्थानीय कैडर को सुना होता तो परिणाम बेहतर हो सकता था. भाजपा के एक नेता ने दावा किया कि स्थानीय नेता लोगों के साथ अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं और उनके मुद्दों के बारे में जानते हैं, लेकिन उनकी अनदेखी करके केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह से डिस्कनेक्ट हो गया. पश्चिम बंगाल के पूर्व भाजपा प्रमुख और त्रिपुरा और मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने टिकट वितरण और राज्य इकाई के मामलों के लिए केंद्रीय नेतृत्व की ओर से राज्य इकाई में नियुक्तियों की भूमिका की खुलेआम आलोचना की.

रॉय ने राज्य प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, सह प्रभारी अरविंद मेनन, शिव प्रकाश और राज्य इकाई के प्रमुख दिलीप घोष को हार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए ट्वीट किया था, इन लोगों ने वैचारिक रूप से संचालित भाजपा कार्यकर्ताओं और धर्मनिरपेक्ष स्वयंसेवकों का हर संभव अपमान किया है जो 1980 के दशक से ही पार्टी के लिए लगातार काम कर रहे थे.

विधानसभा चुनावों में हारने वाले कुछ लोगों सहित पश्चिम बंगाल के अन्य भाजपा नेताओं ने कहा, पार्टी के चुनाव मामलों का प्रबंधन करने के लिए सौंपे गए सभी केंद्रीय नेता स्थानीय कैडर के फीडबैक की अनदेखी करते हुए अपने होमवर्क करने में विफल रहे और उन्होंने तानाशाह के रूप में काम किया. पश्चिम बंगाल भाजपा के एक नेता ने दावा किया कि पार्टी के रणनीतिकारों ने एक विश्वसनीय स्थानीय चेहरा पेश करने में विफल रहे और इसे बंगाली (ममता बनर्जी) बनाम गैर बंगाली (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह) बना दिया.

पढ़ें: ममता ने मोदी से की चिकित्सा उपकरण और दवाइयों के टैक्स में छूट देने की अपील

टीएमसी ने इसका इस्तेमाल किया और लगातार हम पर हमला किया और प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पर्यटक बुलाया. मोदी, शाह और अन्य लोगों सहित अधिकांश स्टार प्रचारकों ने हिंदी में वोटरों को संबोधित किया. इससे ममता बनर्जी के कथन को बल मिला कि भाजपा एक बाहरी पार्टी है, जिसमें बंगाली पहचान और संस्कृति का कोई सम्मान नहीं है. स्थानीय भाजपा इकाई का यह भी मानना है कि बतौर मुख्यमंत्री एक स्थानीय विश्वसनीय चेहरा पेश नहीं किए जाने से पार्टी राज्य के बुद्धिजीवियों और शहरी इलाकों में बंगाली भद्रलोक को आकर्षित करने में विफल रही.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा तीन सीटों से बढ़कर 77 तक पहुंच गई है. इसके बावजूद भी पार्टी के कई नेताओं को यह लगता है कि केंद्रीय नेतृत्व जनता का मूड भांप नहीं पाया और स्थानीय नेतृत्व ने भी अनदेखी की. यही वजह है कि पार्टी सत्ता पाने से चूक गई.

पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने में पार्टी की विफलता के कारणों को सूचीबद्ध करते हुए, जिसे केरल के साथ भगवा पार्टी द्वारा अंतिम सीमा माना गया था, पश्चिम बंगाल के नेताओं ने बताया कि निर्णय लेने में राज्य नेतृत्व की बहुत कम भागीदारी थी, वहां देश के अन्य हिस्सों से, खासकर उत्तर भारत से केंद्रीय नेताओं की बहुत अधिक तैनाती और एक विश्वसनीय और प्रभावी बंगाली नेतृत्व पेश करने में विफलता.

पश्चिम बंगाल भाजपा इकाई में एक वर्ग को लगता है कि अगर केंद्रीय नेतृत्व ने स्थानीय कैडर को सुना होता तो परिणाम बेहतर हो सकता था. भाजपा के एक नेता ने दावा किया कि स्थानीय नेता लोगों के साथ अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं और उनके मुद्दों के बारे में जानते हैं, लेकिन उनकी अनदेखी करके केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह से डिस्कनेक्ट हो गया. पश्चिम बंगाल के पूर्व भाजपा प्रमुख और त्रिपुरा और मेघालय के पूर्व राज्यपाल तथागत रॉय ने टिकट वितरण और राज्य इकाई के मामलों के लिए केंद्रीय नेतृत्व की ओर से राज्य इकाई में नियुक्तियों की भूमिका की खुलेआम आलोचना की.

रॉय ने राज्य प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, सह प्रभारी अरविंद मेनन, शिव प्रकाश और राज्य इकाई के प्रमुख दिलीप घोष को हार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए ट्वीट किया था, इन लोगों ने वैचारिक रूप से संचालित भाजपा कार्यकर्ताओं और धर्मनिरपेक्ष स्वयंसेवकों का हर संभव अपमान किया है जो 1980 के दशक से ही पार्टी के लिए लगातार काम कर रहे थे.

विधानसभा चुनावों में हारने वाले कुछ लोगों सहित पश्चिम बंगाल के अन्य भाजपा नेताओं ने कहा, पार्टी के चुनाव मामलों का प्रबंधन करने के लिए सौंपे गए सभी केंद्रीय नेता स्थानीय कैडर के फीडबैक की अनदेखी करते हुए अपने होमवर्क करने में विफल रहे और उन्होंने तानाशाह के रूप में काम किया. पश्चिम बंगाल भाजपा के एक नेता ने दावा किया कि पार्टी के रणनीतिकारों ने एक विश्वसनीय स्थानीय चेहरा पेश करने में विफल रहे और इसे बंगाली (ममता बनर्जी) बनाम गैर बंगाली (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह) बना दिया.

पढ़ें: ममता ने मोदी से की चिकित्सा उपकरण और दवाइयों के टैक्स में छूट देने की अपील

टीएमसी ने इसका इस्तेमाल किया और लगातार हम पर हमला किया और प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पर्यटक बुलाया. मोदी, शाह और अन्य लोगों सहित अधिकांश स्टार प्रचारकों ने हिंदी में वोटरों को संबोधित किया. इससे ममता बनर्जी के कथन को बल मिला कि भाजपा एक बाहरी पार्टी है, जिसमें बंगाली पहचान और संस्कृति का कोई सम्मान नहीं है. स्थानीय भाजपा इकाई का यह भी मानना है कि बतौर मुख्यमंत्री एक स्थानीय विश्वसनीय चेहरा पेश नहीं किए जाने से पार्टी राज्य के बुद्धिजीवियों और शहरी इलाकों में बंगाली भद्रलोक को आकर्षित करने में विफल रही.

(आईएएनएस)

Last Updated : May 9, 2021, 7:02 PM IST
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