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पश्चिम बंगाल: पुराने नेताओं को पच नहीं रहा पार्टी में बाहरी नेताओं का बोलबाला - तृणमूल कांग्रेस

बीजेपी ने टीएमसी को सत्ता से उखाड़ने की ठान ली है. इसके लिए पार्टी तमाम हथकंडे अपना रही है. वहीं, पुरानों को दरकिनार कर दूसरी पार्टी के नेताओं को तवज्जो दी जा रही है.

bengal bjp party flooding with outsiders
बीजेपी में बाहरी नेताओं के शामिल होने की मची होड़
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Published : Jan 16, 2021, 8:03 PM IST

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में 2011 से सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी बेदखल करने की ठान चुकी है. इसके लिए बीजेपी न सिर्फ अब अपनी पार्टी के प्रचार-प्रसार पर ध्यान दे रही है बल्कि सत्ताधारी पार्टी को भी तोड़ने का भरपूर प्रयास कर रही है. या यूं कहें कि बीजेपी ने तृणमूल में पूरी तरह से सेंध लगा दिया है.

पश्चिम बंगाल के 2021 विधान सभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां कमर कस चुकी हैं. इसके लिए सबसे ज्यादा ताकत बीजेपी ने झोंक रखी है, लेकिन पिछले डेढ़ साल से जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर रही है उसको देखकर यही लगता है कि बीजेपी अपना पूरा कैडर ही बदल देगी. बारीकियों से देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी में बड़ी संख्या में अन्य पार्टियों के नेता शामिल हो रहे हैं. ऐसे में पार्टी का अपना कैडर कहीं ना कहीं असहजता महसूस कर रहा है क्योंकि पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता और हार्डकोर कैडर को अब उन्हीं के साथ काम करना पड़ रहा है, जिनसे कभी उन्होंने अपनी पार्टी के लिए दो-दो हाथ किए थे.

पुराने से ज्यादा नए नेताओं का बोलबाला

यही नहीं, इनमें से कुछ नेताओं के डायरेक्ट हाईकमान या शीर्ष नेताओं के माध्यम से पार्टी में आने की वजह से अपनी पार्टी के पुराने नेताओं से भी ज्यादा बोलबाला हो चुका है. ऐसे में जाहिर तौर पर पार्टी के कैडर में हलचल मचना लाजमी है. इससे पहले भी आसनसोल में एक स्थानीय नेता के जॉइनिंग के नाम पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने खुलकर आवाज बुलंद की थी. अंततः पार्टी को अपनी योजना में बदलाव करना पड़ा था और टीएमसी के उस नेता को पार्टी में नहीं लेने पर मजबूर होना पड़ा. इसके अलावा भी यदि सूत्रों की मानें तो पार्टी के कुछ नेताओं ने राज्य के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष से असहजता जाहिर की है, मगर पार्टी की तरफ से उन्हें मुंह न खोलने की हिदायत दी गई है. जाहिर तौर पर ऐसे नेताओं के सामने दूसरा कोई विकल्प नहीं है इसलिए उन्हें चुप्पी साधनी पड़ रही है.

2014 से यह सिलसिला जारी

वैसे देखा जाए तो बीजेपी का यह कोई नया स्टाइल नहीं है. 2014 के बाद से ही लगातार जब से पार्टी की कमान वर्तमान गृहमंत्री ने अध्यक्ष के तौर पर संभाला था तभी से उन्होंने पार्टी के विस्तार योजना पर काम शुरू कर दिया था. चाहे वह उत्तर प्रदेश का चुनाव हो, बिहार का हो या फिर लोकसभा का चुनाव. सभी चुनावों में बड़ी संख्या में दूसरी पार्टियों के लोगों का आने का तांता लगा रहा और यदि पार्टी के अंदर किसी ने आवाज भी उठाई तो उससे स्पष्ट तौर पर अनदेखी की गई और यही परंपरा पश्चिम बंगाल में भी दिख रही है. पश्चिम बंगाल में पिछले दिनों ही अमित शाह की रैली तक 10 विधायकों ने पार्टी का दामन थामा था. शुक्रवार को ही भाजपा बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने यहां तक दावा कर दिया कि 41 टीएमसी के विधायक बीजेपी में आना चाहते हैं. जिससे टीएमसी के अंदर भी खलबली मच गई.

टीएमसी के 10 नेता पार्टी के सीनियर नेताओं के संपर्क में

सूत्रों के मुताबिक 10 टीएमसी सांसद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं. जो जल्दी ही भाजपा का दामन थाम सकते हैं. बहरहाल जिस आत्मविश्वास से भारतीय जनता पार्टी 200 सीटों का दावा कर रही है कहीं ना कहीं अब उसका आधार भी नजर आने लगा है. इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता डॉक्टर प्रेम शुक्ला से पूछे जाने पर उन्होंने बताया के भारतीय जनता पार्टी के सर्वोच्च नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चमत्कारिक नेतृत्व और अमित शाह जी और जगत प्रकाश नड्डा जी का सांगठनिक कौशल और पार्टी की पारदर्शी संगठन की व्यवस्था की वजह से जनता ने भारतीय जनता पार्टी की नीतियों और कार्यों का समर्थन दिया है. जिस पर अलग-अलग राज्यों में भारतीय जनता पार्टी को लगातार विजय हासिल हो रही है.

पढ़ें: समय की मांग है कि भविष्य के उद्यमी एशिया से निकलें : मोदी

ऐसे में स्वाभाविक है चाहे बंगाल हो, या आसाम हो या फिर अन्य राज्यों के नेता. अपने नेतृत्व और अपनी पार्टी की नीतियों से असंतुष्ट होकर और वंशवादी और भ्रष्टाचारी लोगों से आजिज आकर ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं. उन्होंने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी में आने वाले नेताओं की होड़ लगी हुई है. पार्टी के नेता का दावा है कि भारतीय जनता पार्टी में जिस तरह से पार्टी के कार्यकर्ताओं का महत्व होता है उसमें कार्यकर्ता के वंश जाति और गोत्र नहीं देखे जाते, बल्कि उनके कार्य की क्षमताओं की परख की जाती है. पार्टी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला का दावा है कि कार्यकुशल ताकि परख की वजह से ही अन्य दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं का भी जनता पार्टी की तरफ आकर्षित होना स्वाभाविक है.

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में 2011 से सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी बेदखल करने की ठान चुकी है. इसके लिए बीजेपी न सिर्फ अब अपनी पार्टी के प्रचार-प्रसार पर ध्यान दे रही है बल्कि सत्ताधारी पार्टी को भी तोड़ने का भरपूर प्रयास कर रही है. या यूं कहें कि बीजेपी ने तृणमूल में पूरी तरह से सेंध लगा दिया है.

पश्चिम बंगाल के 2021 विधान सभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां कमर कस चुकी हैं. इसके लिए सबसे ज्यादा ताकत बीजेपी ने झोंक रखी है, लेकिन पिछले डेढ़ साल से जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर रही है उसको देखकर यही लगता है कि बीजेपी अपना पूरा कैडर ही बदल देगी. बारीकियों से देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी में बड़ी संख्या में अन्य पार्टियों के नेता शामिल हो रहे हैं. ऐसे में पार्टी का अपना कैडर कहीं ना कहीं असहजता महसूस कर रहा है क्योंकि पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता और हार्डकोर कैडर को अब उन्हीं के साथ काम करना पड़ रहा है, जिनसे कभी उन्होंने अपनी पार्टी के लिए दो-दो हाथ किए थे.

पुराने से ज्यादा नए नेताओं का बोलबाला

यही नहीं, इनमें से कुछ नेताओं के डायरेक्ट हाईकमान या शीर्ष नेताओं के माध्यम से पार्टी में आने की वजह से अपनी पार्टी के पुराने नेताओं से भी ज्यादा बोलबाला हो चुका है. ऐसे में जाहिर तौर पर पार्टी के कैडर में हलचल मचना लाजमी है. इससे पहले भी आसनसोल में एक स्थानीय नेता के जॉइनिंग के नाम पर भारतीय जनता पार्टी के सांसद और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने खुलकर आवाज बुलंद की थी. अंततः पार्टी को अपनी योजना में बदलाव करना पड़ा था और टीएमसी के उस नेता को पार्टी में नहीं लेने पर मजबूर होना पड़ा. इसके अलावा भी यदि सूत्रों की मानें तो पार्टी के कुछ नेताओं ने राज्य के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष से असहजता जाहिर की है, मगर पार्टी की तरफ से उन्हें मुंह न खोलने की हिदायत दी गई है. जाहिर तौर पर ऐसे नेताओं के सामने दूसरा कोई विकल्प नहीं है इसलिए उन्हें चुप्पी साधनी पड़ रही है.

2014 से यह सिलसिला जारी

वैसे देखा जाए तो बीजेपी का यह कोई नया स्टाइल नहीं है. 2014 के बाद से ही लगातार जब से पार्टी की कमान वर्तमान गृहमंत्री ने अध्यक्ष के तौर पर संभाला था तभी से उन्होंने पार्टी के विस्तार योजना पर काम शुरू कर दिया था. चाहे वह उत्तर प्रदेश का चुनाव हो, बिहार का हो या फिर लोकसभा का चुनाव. सभी चुनावों में बड़ी संख्या में दूसरी पार्टियों के लोगों का आने का तांता लगा रहा और यदि पार्टी के अंदर किसी ने आवाज भी उठाई तो उससे स्पष्ट तौर पर अनदेखी की गई और यही परंपरा पश्चिम बंगाल में भी दिख रही है. पश्चिम बंगाल में पिछले दिनों ही अमित शाह की रैली तक 10 विधायकों ने पार्टी का दामन थामा था. शुक्रवार को ही भाजपा बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने यहां तक दावा कर दिया कि 41 टीएमसी के विधायक बीजेपी में आना चाहते हैं. जिससे टीएमसी के अंदर भी खलबली मच गई.

टीएमसी के 10 नेता पार्टी के सीनियर नेताओं के संपर्क में

सूत्रों के मुताबिक 10 टीएमसी सांसद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं. जो जल्दी ही भाजपा का दामन थाम सकते हैं. बहरहाल जिस आत्मविश्वास से भारतीय जनता पार्टी 200 सीटों का दावा कर रही है कहीं ना कहीं अब उसका आधार भी नजर आने लगा है. इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता डॉक्टर प्रेम शुक्ला से पूछे जाने पर उन्होंने बताया के भारतीय जनता पार्टी के सर्वोच्च नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चमत्कारिक नेतृत्व और अमित शाह जी और जगत प्रकाश नड्डा जी का सांगठनिक कौशल और पार्टी की पारदर्शी संगठन की व्यवस्था की वजह से जनता ने भारतीय जनता पार्टी की नीतियों और कार्यों का समर्थन दिया है. जिस पर अलग-अलग राज्यों में भारतीय जनता पार्टी को लगातार विजय हासिल हो रही है.

पढ़ें: समय की मांग है कि भविष्य के उद्यमी एशिया से निकलें : मोदी

ऐसे में स्वाभाविक है चाहे बंगाल हो, या आसाम हो या फिर अन्य राज्यों के नेता. अपने नेतृत्व और अपनी पार्टी की नीतियों से असंतुष्ट होकर और वंशवादी और भ्रष्टाचारी लोगों से आजिज आकर ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं. उन्होंने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी में आने वाले नेताओं की होड़ लगी हुई है. पार्टी के नेता का दावा है कि भारतीय जनता पार्टी में जिस तरह से पार्टी के कार्यकर्ताओं का महत्व होता है उसमें कार्यकर्ता के वंश जाति और गोत्र नहीं देखे जाते, बल्कि उनके कार्य की क्षमताओं की परख की जाती है. पार्टी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला का दावा है कि कार्यकुशल ताकि परख की वजह से ही अन्य दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं का भी जनता पार्टी की तरफ आकर्षित होना स्वाभाविक है.

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