देहरादून : उत्तराखंड में 42 वर्ग किलोमीटर में फैली एशिया की सबसे बड़े टिहरी बांध की झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर पहुंच गया है, जिसको लेकर टीएचडीसी (टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड) के सभी अधिकारी आज व्यू प्वाइंट पर पहुंचे और झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर छूने पर खुशी मनाई. टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक यूके सक्सेना ने बताया कि जब से टिहरी बांध बना है, तब से आज शुक्रवार को पहली बार टिहरी झील का जलस्तर उत्तराखंड सरकार की अनुमति के बाद 830 आएल मीटर भरा गया है.
टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक यूके सक्सेना ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत के साथ-साथ केंद्र व राज्य सरकार के सभी मंत्रियों और सचिव की सकारात्मक पहल के कारण आज टीएचडीसी को टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएट मीटर तक पहुंचा, जो टीएचडीसी के लिए एक अचीवमेंट है. हालांकि, एक बार साल 2010 में ज्यादा बारिश के कारण झील का जलस्तर 830 मीटर हुआ था, लेकिन इस बार विधिवत रूप से झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर किया गया है. इससे टिहरी बांध से बिजली उत्पादन भी बढ़ेगा और राजस्व भी ज्यादा आएगा.
साल 2010 व 2013 की आपदा के समय भारी मात्रा में भागीरथी व भिलंगना में नदी पर पानी आया था, जिसे टिहरी डैम ने रोका अगर उस दौरान यह पानी टिहरी डैम में नहीं रुकता तो देवप्रयाग, ऋषिकेश, हरिद्वार आदि मैदानी इलाकों में भयंकर तबाही होती. उस समय टिहरी डैम के कारण सब सुरक्षित हुए. टिहरी बांध परियोजना से 9 राज्यों के बिजली देने के साथ-साथ ज्यादा बिजली का उत्पादन करके नॉर्दन ग्रिड को दे सकेंगे.
415 परिवारों का विस्थापन जल्द: यूके सक्सेना ने बताया कि टिहरी झील के आसपास प्रभावित 415 परिवारों के विस्थापन की कार्रवाई पुनर्वास विभाग के द्वारा की जा रही है. जल्द ही 415 प्रभावित परिवारों को जमीन और मुआवजा दिया जाएगा. इसके लिए उनके पास पूरा धन आ गया है. जैसे-जैसे पुनर्वास विभाग प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए धन की मांग करेगा उसी, आधार पर पुनर्वास विभाग को पैसा दिया जाएगा.
साथ ही बताया कि टिहरी झील के कारण 865 आरएल मीटर से ऊपर रहने वाले परिवारों को जो भी नुकसान होगा, उसके लिए राज्य सरकार व टीएचडीसी के अधिकारियों के साथ मिलकर एक विशेषज्ञ समिति बनाई गई है, जो परीक्षण करने के बाद जिनका नुकसान होगा उन परिवारों का विस्थापन पुनर्वास नीति के आधार पर किया जाएगा.
यूके सक्सेना ने बताया कि इससे पहले टिहरी झील का जलस्तर 828 आरएल मीटर भरने की अनुमति थी, जिसमें टिहरी और कोटेश्वर डैम दोनों मिलाकर हम 20 मिलियन यूनिट के हिसाब से प्रतिदिन बिजली का उत्पादन कर रहे थे. साथ ही जब जलस्तर बढ़ रहा था तो इस समय 33 से 35 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है.
बढ़ेगा बिजली का उत्पादन: टिहरी झील में 830 आरएल मीटर पानी भरने से अब सालभर में 16 से 15 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन अतिरिक्त करेंगे. उससे लगभग 30 से 40 लाख प्रतिदिन एडिशनल रेवन्यू मिलेगा. उन्होंने बताया कि टिहरी झील का जलस्तर अक्टूबर तक 830 आरएल मीटर तक रहने की संभावना है. अक्टूबर माह से टिहरी झील का जलस्तर कम होने लगेगा.
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अधिशासी निदेशक मुकेश सक्सेना ने कहा कि टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से किसी को घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि टिहरी डैम का डिजाइन इस तरह से बनाया गया है कि जिससे सभी सुरक्षित रह सकते हैं. इसमें दो मॉर्निंग ग्लोरी बनाई गई हैं, जो कभी ज्यादा बारिश में पानी आ जाए तो वह स्वत: ही मॉर्निंग ग्लोरी से निकलने लग जाता है और तेजी से आ रहे पानी के बहाव को कम कर देता है.
केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने टिहरी डैम को बताया सुरक्षित: बता दें, टिहरी डैम की सुरक्षा को लेकर कुछ दिन पहले सीडब्ल्यूसी (सेंट्रल वाटर कमीशन) की टीम ने यहां आकर बारीकी से निरीक्षण किया था. सीडब्ल्यूसी ने अपनी रिपोर्ट में टिहरी बांध पूरी तरह सुरक्षित बताया था.
टिहरी बांध विश्व का चौथा और एशिया का पहला ऐसा टिहरी बांध है, जो रॉकफिल बांध है. जिसे मिट्टी और पत्थरों से बनाया गया है. टिहरी डैम का निर्माण 1972 में शरू हुआ था जो 2005 में बन के तैयार हो गया था. टिहरी डैम की ऊंचाई 260.5 मीटर, लंबाई 585 मीटर, टॉप की चौड़ाई 20 मीटर है.
टीएचडीसी की खुशी तो ग्रामीणों हैं दुखी: गौरतलब है कि टिहरी झील से प्रभावित 415 परिवारों के विस्थापन के मामला अभी भी लटका हुआ है. जिसे लेकर कुछ दिनों पहले ही एक बैठक हुई थी. जिसमें भारत सरकार के ऊर्जा मंत्री, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, ऊर्जा सचिव, टिहरी जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव और टीएचडीसी के अधिकारियों शामिल हुए थे. जिसमें बांध प्रभावित 415 परिवारों के विस्थापन पर सहमति बनी और टीएचडीसी ने टिहरी झील को 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति मांगी गई थी. जिस पर राज्य सरकार ने हामी भर दी थी और स्थानीय लोग इस निर्णय से नाराज हैं. अब झील 830 आरएल मीटर तक भर गई है.
35 किलोमीटर दूर तक असर: टिहरी झील के जलस्तर बढ़ने का असर करीब 35 से 40 किलोमीटर दूर स्थित चिन्यालीसौड़ तक देखा जा रहा है. दबाव पड़ने से सड़कों और मकानों में दरारें पड़ने लगीं हैं. इसका असर रौलाकोट, उप्पू और तिवाड़ी, गड़ोली और कंगसाली समेत अन्य गांवों में देखने को मिल रहा है.
भिलंगना घाटी के दर्जनों गांव प्रभावित: टीएचडीसी तो 830 आरएल मीटर पानी भरने से खुश है लेकिन टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से भिलंगना घाटी के भी दर्जनों गांव प्रभावित हैं. यहां पिलखी, ननगांव और उत्थड़ गांवों में भी कई मकानों में दरार पड़ने लगी हैं. लोगों की रातों की नींद उड़ी हुई है.