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मध्य प्रदेशः आदिवासी इलाके में खच्चर ढो रहे हैं पानी, झिरी और गड्ढों के पानी से बुझ रही ग्रामीणों का प्यास - गड्ढों के पानी से बुझी बड़वानी की प्यास

देशभर में जल जीवन मिशन की खूब चर्चा है, लेकिन मध्यप्रदेश में गर्मी के आते ही इसकी और नल जल योजना की पोल खुलती दिखाई देती है. आदिवासी बहुल जिले बड़वानी में भीषण गर्मी के बीच पानी के लिए ग्रामीण संघर्ष करते नजर आ रहे हैं. ग्रामीण गधों और खच्चरों की सहायता से पानी की जुगाड़ करते हैं. (water crisis in villages of MP)

water crisis in mp
आदिवासी इलाके में खच्चर ढो रहे हैं पानी
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Published : May 10, 2022, 10:48 PM IST

बड़वानी। पूरे मध्यप्रदेश में जलसंकट गहरा गया है. गांवों में हालात बहुत खराब हैं. ग्रामीणों की यह तस्वीर प्रदेश सरकार और जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों के विकास और मूलभूत सुविधाओं को गांव-गांव में उपलब्ध करने के दावों की पोल धरातल पर खोलती नजर आ रही है. (water being carried by mules in barwani) (water crisis in villages of MP)

एमपी में बूंद बूंद के लिए संघर्ष

बूंद को तरस रहे ग्रामीण: पानी की समस्या ने मजदूर वर्ग के लोगों की कमर तोड़ दी है. इनका दिनभर का समय पानी भरने की जुगाड़ में निकल जाता है. गांव के हैंडपंप और कुआं ग्रामीणों के लिए अनुपयोगी साबित हो रहे हैं. इस वजह से ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद जिले में मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी नल जल योजना भी दम तोड़ रही है. हालात यह है कि बड़वानी से भारतीय जनता पार्टी के एक प्रदेश और दो जनप्रतिनिधि भी आते हैं. ये तीनों जनजाति समुदाय को विकास से जोड़ने के दावे करते आ रहे हैं. इसके बावजूद पानी जैसी मूलभूत सुविधा के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं.

झिरी और गड्ढों के पानी से बुझ रही ग्रामीणों का प्यास: प्रदेश के पशुपालन और सामाजिक न्याय मंत्री गजेंद्र पटेल और राज्यसभा सांसद डॉ सुमेर सिंह सोलंकी के गृहक्षेत्र में पानी के लिए लोग संघर्ष कर रहे हैं. आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी गांवों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. बड़वानी में पानी के लिए दर-दर लोग भटक रहे हैं. 2 से 3 किलोमीटर का मुश्किलों भरा सफर तय कर ग्रामीण नालें या झिरी के पानी से प्यास बुझा रहे हैं. ग्रामीण गधों और खच्चरों की सहायता से पानी की तलाश कर अपनी और परिजनों की प्यास बुझाने को मजबूर हैं. गोलगांव, खैरवानी और सेमलेट में महिलाएं, झिरी और गड्ढों से पानी भर रहे हैं. खच्चरों में पानी ढोया जा रहा है. मासूम बच्चे भी सर पर पानी के बर्तन रखकर ले जाने को मजबूर हैं. पशुओं के साथ सामाजिक न्याय की ये तस्वीर आपको हैरान कर देगी. (Mules carrying water in barwani tribal area)

ETV भारत EXCLUSIVE : MP में बूंद-बूंद के लिए संघर्ष, झरियों-गड्ढों से पानी की जुगाड़, खच्चरों से ढो रहे पानी, बहुएं घर छोड़ गईं

गधे और खच्चर की लेते हैं सहायता: पाटी जनपद और वनपरिक्षेत्र के गांवों में ग्रामीणों को परिजनों और पालतू जानवरों की प्यास बुझाने के लिए इन दिनों 45 से 48 डिग्री पड़ रही भीषण गर्मी में पैदल चलकर पानी लाना पड़ रहा है. ग्रामीणों को पानी की किल्लत से दो चार होना पड़ रहा है. गांव की महिलाएं पानी का बर्तन सिर पर रख कर पानी की तलाश में निकलती हैं, और पहाड़ीनुमा कच्चे रास्तों का सफर तय करते हुए पानी लेकर घर आती हैं. जिले में प्रशासन द्वारा गांव गांव नल जल योजना अंतर्गत विकास के बड़े बड़े दावें किए जा रहे हैं. रोसर और बोकराटा क्षेत्र में गांवों के लोग गधों और खच्चरों की सहायता से अपना खाने पीने की जुगाड़ करते हैं.

पाटी क्षेत्र में पहाड़ियों से घिरा होने के कारण भीषण गर्मी होती है. साथ ही पानी की भी बड़ी किल्लत होती है. यह हमेशा की समस्या है. जन सुनवाई और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से बार बार गुहार लगाने के बाद भी पानी के लिए हमें दर दर मजबूरी में भटकना पड़ रहा है. जबकि बड़वानी जिला अनुसूचित जनजाति आरक्षित होकर यहां हमारे ही समुदाय से विधायक और सांसद चुने जाते हैं. जो सिर्फ चुनाव जीतने तक ही जनता के बीच नजर आते हैं, और बड़े बड़े दावें करते हैं.

-ग्रामीण

जलसंकट पर ईटीवी की नजर: एसडीएम घनश्याम धनगर ने कहा कि पीएचई विभाग के माध्यम से पानी की समस्या वाले क्षेत्रों में बोरवेल खनन कर पानी की व्यवस्था की जा रही है. इससे पहले भी पाटी क्षेत्र में पानी की किल्लत को लेकर ईटीवी भारत ने प्रमुखता से जलसंकट का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद ताबड़तोड़ जिला प्रशासन ने बोरवेल खनन करवाया था.

बड़वानी। पूरे मध्यप्रदेश में जलसंकट गहरा गया है. गांवों में हालात बहुत खराब हैं. ग्रामीणों की यह तस्वीर प्रदेश सरकार और जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों के विकास और मूलभूत सुविधाओं को गांव-गांव में उपलब्ध करने के दावों की पोल धरातल पर खोलती नजर आ रही है. (water being carried by mules in barwani) (water crisis in villages of MP)

एमपी में बूंद बूंद के लिए संघर्ष

बूंद को तरस रहे ग्रामीण: पानी की समस्या ने मजदूर वर्ग के लोगों की कमर तोड़ दी है. इनका दिनभर का समय पानी भरने की जुगाड़ में निकल जाता है. गांव के हैंडपंप और कुआं ग्रामीणों के लिए अनुपयोगी साबित हो रहे हैं. इस वजह से ग्रामीण पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं. करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद जिले में मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी नल जल योजना भी दम तोड़ रही है. हालात यह है कि बड़वानी से भारतीय जनता पार्टी के एक प्रदेश और दो जनप्रतिनिधि भी आते हैं. ये तीनों जनजाति समुदाय को विकास से जोड़ने के दावे करते आ रहे हैं. इसके बावजूद पानी जैसी मूलभूत सुविधा के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं.

झिरी और गड्ढों के पानी से बुझ रही ग्रामीणों का प्यास: प्रदेश के पशुपालन और सामाजिक न्याय मंत्री गजेंद्र पटेल और राज्यसभा सांसद डॉ सुमेर सिंह सोलंकी के गृहक्षेत्र में पानी के लिए लोग संघर्ष कर रहे हैं. आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी गांवों की स्थिति जस की तस बनी हुई है. बड़वानी में पानी के लिए दर-दर लोग भटक रहे हैं. 2 से 3 किलोमीटर का मुश्किलों भरा सफर तय कर ग्रामीण नालें या झिरी के पानी से प्यास बुझा रहे हैं. ग्रामीण गधों और खच्चरों की सहायता से पानी की तलाश कर अपनी और परिजनों की प्यास बुझाने को मजबूर हैं. गोलगांव, खैरवानी और सेमलेट में महिलाएं, झिरी और गड्ढों से पानी भर रहे हैं. खच्चरों में पानी ढोया जा रहा है. मासूम बच्चे भी सर पर पानी के बर्तन रखकर ले जाने को मजबूर हैं. पशुओं के साथ सामाजिक न्याय की ये तस्वीर आपको हैरान कर देगी. (Mules carrying water in barwani tribal area)

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गधे और खच्चर की लेते हैं सहायता: पाटी जनपद और वनपरिक्षेत्र के गांवों में ग्रामीणों को परिजनों और पालतू जानवरों की प्यास बुझाने के लिए इन दिनों 45 से 48 डिग्री पड़ रही भीषण गर्मी में पैदल चलकर पानी लाना पड़ रहा है. ग्रामीणों को पानी की किल्लत से दो चार होना पड़ रहा है. गांव की महिलाएं पानी का बर्तन सिर पर रख कर पानी की तलाश में निकलती हैं, और पहाड़ीनुमा कच्चे रास्तों का सफर तय करते हुए पानी लेकर घर आती हैं. जिले में प्रशासन द्वारा गांव गांव नल जल योजना अंतर्गत विकास के बड़े बड़े दावें किए जा रहे हैं. रोसर और बोकराटा क्षेत्र में गांवों के लोग गधों और खच्चरों की सहायता से अपना खाने पीने की जुगाड़ करते हैं.

पाटी क्षेत्र में पहाड़ियों से घिरा होने के कारण भीषण गर्मी होती है. साथ ही पानी की भी बड़ी किल्लत होती है. यह हमेशा की समस्या है. जन सुनवाई और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से बार बार गुहार लगाने के बाद भी पानी के लिए हमें दर दर मजबूरी में भटकना पड़ रहा है. जबकि बड़वानी जिला अनुसूचित जनजाति आरक्षित होकर यहां हमारे ही समुदाय से विधायक और सांसद चुने जाते हैं. जो सिर्फ चुनाव जीतने तक ही जनता के बीच नजर आते हैं, और बड़े बड़े दावें करते हैं.

-ग्रामीण

जलसंकट पर ईटीवी की नजर: एसडीएम घनश्याम धनगर ने कहा कि पीएचई विभाग के माध्यम से पानी की समस्या वाले क्षेत्रों में बोरवेल खनन कर पानी की व्यवस्था की जा रही है. इससे पहले भी पाटी क्षेत्र में पानी की किल्लत को लेकर ईटीवी भारत ने प्रमुखता से जलसंकट का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद ताबड़तोड़ जिला प्रशासन ने बोरवेल खनन करवाया था.

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