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Watch Video: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के बयान के खिलाफ सांसद भुइयां जा सकते हैं सुप्रीम कोर्ट

असम के राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुइयां ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के ताजा बयान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का विचार किया है. इस मुद्दे को लेकर उन्होंने ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय से खास बातचीत की...

Rajya Sabha MP Ajit Kumar Bhuiyan
राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुइयां
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Published : Jul 21, 2023, 8:12 PM IST

राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुइयां से खास बातचीत

नई दिल्ली: असम से राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुइयां मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के हालिया नफरत भरे भाषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट (एससी) जाने पर विचार कर रहे हैं, जहां उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार गुवाहाटी को 'मियास' से मुक्त कर देगी. भुइयां ने ईटीवी भारत से एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि मैंने पहले ही मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ दिसपुर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कर दी है.

उन्होंने कहा कि शायद पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे. मैं अदालत का दरवाजा खटखटाने से पहले केवल टीम से परामर्श करूंगा. हां, मैं मुख्यमंत्री के खिलाफ अदालत जाने का विकल्प तलाश रहा हूं. उन्होंने मुख्यमंत्री सरमा पर एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने और समुदायों के बीच नफरत लाने का आरोप लगाया. मुख्यमंत्री सरमा को हाल ही में राज्य में सब्जियों की बढ़ी कीमतों के लिए 'मिया' लोगों को दोषी ठहराने पर आलोचना का सामना करना पड़ा था.

गौरतलब है कि 'मिया' असम में बंगाली भाषी या बंगाल मूल के मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अपमानजनक शब्द है. पिछले हफ्ते दिसपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज अपनी एफआईआर में, भुइयां ने कहा कि इस तरह के बयान का उद्देश्य राज्य में विभिन्न समुदायों के बीच विभाजन पैदा करना और स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक है.

भुइयां ने कहा कि बयान पर बारीकी से नजर डालने से यह स्पष्ट हो जाएगा कि इरादा धर्म और नस्ल के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना है. मुख्यमंत्री के बयान के बाद कुछ अन्य मंत्रियों और विधायकों ने भी ऐसे बयान दोहराए हैं, जिनसे विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी पैदा होने की संभावना है.

अपनी एफआईआर में, भुइयां ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी उल्लेख किया, जहां शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नफरत फैलाने वाले भाषण पर मामले दर्ज करने के लिए कहा था, भले ही सत्तारूढ़ दल के विभिन्न नेताओं द्वारा किसी समुदाय को निशाना बनाने की कोई शिकायत नहीं की गई हो, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

भुइयां ने अपनी एफआईआर में कहा कि उसी के मद्देनजर मैं मुख्यमंत्री के उपरोक्त बयान को आपके संज्ञान में लाते हुए यह प्राथमिकी दर्ज करा रहा हूं और आपसे आईपीसी की धारा 153ए, 153बी और धारा 295ए के तहत मामला दर्ज करने और मामले की जांच कर कार्रवाई करने का अनुरोध करता हूं, ताकि राज्य में नाजुक शांति भंग न हो.

असम से राज्यसभा में निर्दलीय सांसद भुइयां ने मणिपुर की वर्तमान स्थिति के लिए केंद्र की भाजपा सरकार की आलोचना की. भुइयां ने कहा कि मणिपुर में भाजपा सरकार भी जातीय हिंसा को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है. यदि यह (मणिपुर) विपक्ष शासित राज्य होता तो वर्तमान स्थिति बिल्कुल अलग होती. भुइयां ने मणिपुर मामले पर चुप्पी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तीखी आलोचना की.

भुइयां ने कहा कि उनकी सरकार ने कहा कि मोदी ने पिछले नौ वर्षों में 40 बार उत्तर पूर्व का दौरा किया, लेकिन आश्चर्य की बात है कि उन्होंने पिछले दो महीनों में मणिपुर के लिए कम से कम एक बार भी बोलने की जहमत नहीं उठाई. प्रधानमंत्री का पूर्वोत्तर का सारा दौरा पूरी तरह नीतियों से जुड़ा है. अगर कोई चुनाव होगा तो मोदी पूर्वोत्तर का दौरा करेंगे और उनके पूरे भाषण में भी आपको पूर्वोत्तर के बारे में ही सुनने को मिलेगा. लेकिन जब पूरा मणिपुर जल रहा था तो मोदी मणिपुर के बारे में बोलना भूल गए.

राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुइयां से खास बातचीत

नई दिल्ली: असम से राज्यसभा सांसद अजीत कुमार भुइयां मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के हालिया नफरत भरे भाषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट (एससी) जाने पर विचार कर रहे हैं, जहां उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार गुवाहाटी को 'मियास' से मुक्त कर देगी. भुइयां ने ईटीवी भारत से एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि मैंने पहले ही मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ दिसपुर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कर दी है.

उन्होंने कहा कि शायद पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे. मैं अदालत का दरवाजा खटखटाने से पहले केवल टीम से परामर्श करूंगा. हां, मैं मुख्यमंत्री के खिलाफ अदालत जाने का विकल्प तलाश रहा हूं. उन्होंने मुख्यमंत्री सरमा पर एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने और समुदायों के बीच नफरत लाने का आरोप लगाया. मुख्यमंत्री सरमा को हाल ही में राज्य में सब्जियों की बढ़ी कीमतों के लिए 'मिया' लोगों को दोषी ठहराने पर आलोचना का सामना करना पड़ा था.

गौरतलब है कि 'मिया' असम में बंगाली भाषी या बंगाल मूल के मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अपमानजनक शब्द है. पिछले हफ्ते दिसपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज अपनी एफआईआर में, भुइयां ने कहा कि इस तरह के बयान का उद्देश्य राज्य में विभिन्न समुदायों के बीच विभाजन पैदा करना और स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक है.

भुइयां ने कहा कि बयान पर बारीकी से नजर डालने से यह स्पष्ट हो जाएगा कि इरादा धर्म और नस्ल के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना है. मुख्यमंत्री के बयान के बाद कुछ अन्य मंत्रियों और विधायकों ने भी ऐसे बयान दोहराए हैं, जिनसे विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी पैदा होने की संभावना है.

अपनी एफआईआर में, भुइयां ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी उल्लेख किया, जहां शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नफरत फैलाने वाले भाषण पर मामले दर्ज करने के लिए कहा था, भले ही सत्तारूढ़ दल के विभिन्न नेताओं द्वारा किसी समुदाय को निशाना बनाने की कोई शिकायत नहीं की गई हो, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

भुइयां ने अपनी एफआईआर में कहा कि उसी के मद्देनजर मैं मुख्यमंत्री के उपरोक्त बयान को आपके संज्ञान में लाते हुए यह प्राथमिकी दर्ज करा रहा हूं और आपसे आईपीसी की धारा 153ए, 153बी और धारा 295ए के तहत मामला दर्ज करने और मामले की जांच कर कार्रवाई करने का अनुरोध करता हूं, ताकि राज्य में नाजुक शांति भंग न हो.

असम से राज्यसभा में निर्दलीय सांसद भुइयां ने मणिपुर की वर्तमान स्थिति के लिए केंद्र की भाजपा सरकार की आलोचना की. भुइयां ने कहा कि मणिपुर में भाजपा सरकार भी जातीय हिंसा को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है. यदि यह (मणिपुर) विपक्ष शासित राज्य होता तो वर्तमान स्थिति बिल्कुल अलग होती. भुइयां ने मणिपुर मामले पर चुप्पी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तीखी आलोचना की.

भुइयां ने कहा कि उनकी सरकार ने कहा कि मोदी ने पिछले नौ वर्षों में 40 बार उत्तर पूर्व का दौरा किया, लेकिन आश्चर्य की बात है कि उन्होंने पिछले दो महीनों में मणिपुर के लिए कम से कम एक बार भी बोलने की जहमत नहीं उठाई. प्रधानमंत्री का पूर्वोत्तर का सारा दौरा पूरी तरह नीतियों से जुड़ा है. अगर कोई चुनाव होगा तो मोदी पूर्वोत्तर का दौरा करेंगे और उनके पूरे भाषण में भी आपको पूर्वोत्तर के बारे में ही सुनने को मिलेगा. लेकिन जब पूरा मणिपुर जल रहा था तो मोदी मणिपुर के बारे में बोलना भूल गए.

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