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Kerala News : फर्जी प्रमाणपत्र के मुद्दे पर माकपा और कांग्रेस में तेज हुई जुबानी जंग

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Published : Jun 22, 2023, 3:02 PM IST

केरल में फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए जाने का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. गुरुवार को माकपा और कांग्रेस में जुबानी जंग तेज हो गई. माकपा ने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया है. वहीं, कांग्रेस माकपा पर निशाना साध रही है.

CPIM and Congress
माकपा और कांग्रेस में तेज हुई जुबानी जंग

तिरुवनंतपुरम : केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के बीच राज्य में फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए जाने के मुद्दे को लेकर जुबानी जंग गुरुवार को तब और तेज हो गई जब कांग्रेस ने वाम मोर्चे पर अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों को बचाने का आरोप लगाया (war of words between CPIM and Congress).

माकपा ने इस मुद्दे पर अपने खिलाफ लगे आरोपों का खंडन किया. साथ ही वह अपनी छात्र शाखा स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के समर्थन में सामने आई, जिसके दो पूर्व सदस्यों पर फर्जी प्रमाणपत्रों के इस्तेमाल का आरोप है.

निष्कासित एसएफआई नेता निखिल थॉमस पर राज्य के अलाप्पुझा जिले के कायमकुलम क्षेत्र के एक कॉलेज में एम.कॉम (वाणिज्य में मास्टर) पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए फर्जी प्रमाण पत्र जमा करने का आरोप है, वहीं पूर्व एसएफआई सदस्य विद्या के मनियोडी पर एक सरकारी कॉलेज में अतिथि संकाय पद पाने के लिए फर्जी शिक्षण अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का आरोप है.

लगभग दो सप्ताह तक फरार रहीं विद्या को बुधवार रात कोझिकोड जिले के एक गांव से गिरफ्तार किया गया और थॉमस को मंगलवार को एसएफआई की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया.

आरोपियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई में देरी से असंतुष्ट कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने गुरुवार को आरोप लगाया कि केरल में सत्तारूढ़ वामपंथी सरकार और पुलिस आरोपियों को बचा रही है और उन्हें सबूत नष्ट करने का समय दे रही है.

उन्होंने कहा, 'इसीलिए विद्या को गिरफ्तार करने में 15 दिन लग गए. विद्या के पास अपने खिलाफ सबूत नष्ट करने के लिए 15 दिन थे. अगर पुलिस चाहती तो कुछ ही घंटों में विद्या को पकड़ सकती थी.'

उन्होंने कासरगोड में पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया, 'अब थॉमस भी छिपे हैं. सबूत नष्ट करने के लिए पर्याप्त समय देने के बाद उन्हें भी पकड़ लिया जाएगा.'

चेन्निथला ने आगे तर्क दिया कि फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग, बिना पढ़ाई के परीक्षा उत्तीर्ण करने की कोशिश, सबूत नष्ट करने के लिए छिप जाना, ये सभी घटनाएं 'केरल में उच्च शिक्षा को अराजकता की ओर ले जा रही हैं.'

माकपा ने किया आरोपों से इनकार : कांग्रेस के आरोपों से इनकार करते हुए वरिष्ठ माकपा नेता और राज्य के पूर्व मंत्री ए. के. बालन ने तर्क दिया कि विपक्षी दल विदेश जाने और वहां योग करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने के बजाय ऐसे छोटे मुद्दों पर अधिक चिंतित हैं.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यह स्थिति तब है 'जब देश में एक राज्य जल रहा है'. बालन का इशारा मणिपुर में जारी हिंसा की ओर था. उन्होंने एसएफआई का भी बचाव करते हुए कहा कि विद्या और थॉमस ने जो किया उसके लिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

उन्होंने कहा कि थॉमस ने जो भी किया उसके बारे में जानकर एसएफआई ने उन्हें निष्कासित कर दिया कि और इससे ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता था.

बालन ने अपनी पार्टी के सचिव एम वी गोविंदन का भी बचाव किया, जो यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत एक मामले में केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) प्रमुख और सांसद के. सुधाकरन के खिलाफ अपनी हालिया टिप्पणी को लेकर कांग्रेस की आलोचना का सामना कर रहे हैं. इस मामले में प्राचीन वस्तुओं के स्वयंभू विवादास्पद डीलर एम. मावुंकल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. बालन ने कहा कि गोविंदन ने केवल एक समाचार रिपोर्ट को लेकर टिप्पणी की थी और ऐसा करने का उन्हें अधिकार है.

पढ़ें- केरल हाई कोर्ट ने सुधाकरन को अपराध शाखा के सामने पेश होने का निर्देश दिया

(पीटीआई-भाषा)

तिरुवनंतपुरम : केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के बीच राज्य में फर्जी प्रमाणपत्र जारी किए जाने के मुद्दे को लेकर जुबानी जंग गुरुवार को तब और तेज हो गई जब कांग्रेस ने वाम मोर्चे पर अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों को बचाने का आरोप लगाया (war of words between CPIM and Congress).

माकपा ने इस मुद्दे पर अपने खिलाफ लगे आरोपों का खंडन किया. साथ ही वह अपनी छात्र शाखा स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के समर्थन में सामने आई, जिसके दो पूर्व सदस्यों पर फर्जी प्रमाणपत्रों के इस्तेमाल का आरोप है.

निष्कासित एसएफआई नेता निखिल थॉमस पर राज्य के अलाप्पुझा जिले के कायमकुलम क्षेत्र के एक कॉलेज में एम.कॉम (वाणिज्य में मास्टर) पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए फर्जी प्रमाण पत्र जमा करने का आरोप है, वहीं पूर्व एसएफआई सदस्य विद्या के मनियोडी पर एक सरकारी कॉलेज में अतिथि संकाय पद पाने के लिए फर्जी शिक्षण अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का आरोप है.

लगभग दो सप्ताह तक फरार रहीं विद्या को बुधवार रात कोझिकोड जिले के एक गांव से गिरफ्तार किया गया और थॉमस को मंगलवार को एसएफआई की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया.

आरोपियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई में देरी से असंतुष्ट कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने गुरुवार को आरोप लगाया कि केरल में सत्तारूढ़ वामपंथी सरकार और पुलिस आरोपियों को बचा रही है और उन्हें सबूत नष्ट करने का समय दे रही है.

उन्होंने कहा, 'इसीलिए विद्या को गिरफ्तार करने में 15 दिन लग गए. विद्या के पास अपने खिलाफ सबूत नष्ट करने के लिए 15 दिन थे. अगर पुलिस चाहती तो कुछ ही घंटों में विद्या को पकड़ सकती थी.'

उन्होंने कासरगोड में पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया, 'अब थॉमस भी छिपे हैं. सबूत नष्ट करने के लिए पर्याप्त समय देने के बाद उन्हें भी पकड़ लिया जाएगा.'

चेन्निथला ने आगे तर्क दिया कि फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग, बिना पढ़ाई के परीक्षा उत्तीर्ण करने की कोशिश, सबूत नष्ट करने के लिए छिप जाना, ये सभी घटनाएं 'केरल में उच्च शिक्षा को अराजकता की ओर ले जा रही हैं.'

माकपा ने किया आरोपों से इनकार : कांग्रेस के आरोपों से इनकार करते हुए वरिष्ठ माकपा नेता और राज्य के पूर्व मंत्री ए. के. बालन ने तर्क दिया कि विपक्षी दल विदेश जाने और वहां योग करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने के बजाय ऐसे छोटे मुद्दों पर अधिक चिंतित हैं.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यह स्थिति तब है 'जब देश में एक राज्य जल रहा है'. बालन का इशारा मणिपुर में जारी हिंसा की ओर था. उन्होंने एसएफआई का भी बचाव करते हुए कहा कि विद्या और थॉमस ने जो किया उसके लिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

उन्होंने कहा कि थॉमस ने जो भी किया उसके बारे में जानकर एसएफआई ने उन्हें निष्कासित कर दिया कि और इससे ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता था.

बालन ने अपनी पार्टी के सचिव एम वी गोविंदन का भी बचाव किया, जो यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत एक मामले में केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) प्रमुख और सांसद के. सुधाकरन के खिलाफ अपनी हालिया टिप्पणी को लेकर कांग्रेस की आलोचना का सामना कर रहे हैं. इस मामले में प्राचीन वस्तुओं के स्वयंभू विवादास्पद डीलर एम. मावुंकल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. बालन ने कहा कि गोविंदन ने केवल एक समाचार रिपोर्ट को लेकर टिप्पणी की थी और ऐसा करने का उन्हें अधिकार है.

पढ़ें- केरल हाई कोर्ट ने सुधाकरन को अपराध शाखा के सामने पेश होने का निर्देश दिया

(पीटीआई-भाषा)

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