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यूक्रेन संकट के कारण चावल का निर्यात हुआ प्रभावित

यूक्रेन संकट के कारण पूर्वी विदर्भ और छत्तीसगढ़ में उत्पादित चावल के निर्यात पर इसका गहरा असर पड़ा है. महाराष्ट्र के नागपुर से कई देशों में इसका निर्यात किया जाता है लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दोनों देशों में जाने वाले चावल के निर्यात को रोक दिया गया है.

rice export affected after russia ukraine war
चावल के निर्यात पर पड़ा असर
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Published : Mar 2, 2022, 11:57 AM IST

Updated : Mar 2, 2022, 2:19 PM IST

महाराष्ट्र: यूक्रेन और रूस का असर न सिर्फ दोनों देशों पर, बल्कि भारतीय व्यापार पर भी पड़ रहा है. इस युद्ध के चलते कुछ दिन पहले सूरजमुखी तेल के आयात प्रभावित होने की खबर आई थी. वहीं अब चावल के निर्यात पर भी इसका असर दिख रहा (rice export affected after russia ukraine war) है. खबर है कि, पूर्वी विदर्भ में और छत्तीसगढ़ में उत्पादित चावल के निर्यात पर इसका असर पड़ा है. महाराष्ट्र के नागपुर से कई देशों में इसका निर्यात किया जाता है लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दोनों देशों में जाने वाले चावल के निर्यात को रोक दिया गया है. वहीं युद्ध से दवा कंपनियां भी प्रभावित हुई हैं.

यह भी पढ़ें- रूस-यूक्रेन युद्ध से नीलगिरी में चाय व्यापार पर पड़ा असर

निर्यात किये जाने वाले चावल में अकेले यूक्रेन और रूस को लगभग 8,000 से 10,000 टन चावल का निर्यात किया जाता है जिसकी कीमत करीब 400 डॉलर प्रति टन है. लेकिन युद्ध की स्थिति के चलते काला सागर से गुजरने वाली शिपिंग कंपनियां अब अपने जहाज को उस क्षेत्र में भेजने से मना कर रही हैं. अगर देखा जाए तो इससे मासिक कारोबार पर भारतीय रुपये में लगभग 30-32 करोड़ रुपये का असर पड़ेगा. वहीं फार्मा सेक्टर की कंपनियों के जरिए भी यूक्रेन और रूस को दवाओं का बड़ा स्टॉक भेजा जाता है, जो इस वक्त बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

महाराष्ट्र: यूक्रेन और रूस का असर न सिर्फ दोनों देशों पर, बल्कि भारतीय व्यापार पर भी पड़ रहा है. इस युद्ध के चलते कुछ दिन पहले सूरजमुखी तेल के आयात प्रभावित होने की खबर आई थी. वहीं अब चावल के निर्यात पर भी इसका असर दिख रहा (rice export affected after russia ukraine war) है. खबर है कि, पूर्वी विदर्भ में और छत्तीसगढ़ में उत्पादित चावल के निर्यात पर इसका असर पड़ा है. महाराष्ट्र के नागपुर से कई देशों में इसका निर्यात किया जाता है लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दोनों देशों में जाने वाले चावल के निर्यात को रोक दिया गया है. वहीं युद्ध से दवा कंपनियां भी प्रभावित हुई हैं.

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निर्यात किये जाने वाले चावल में अकेले यूक्रेन और रूस को लगभग 8,000 से 10,000 टन चावल का निर्यात किया जाता है जिसकी कीमत करीब 400 डॉलर प्रति टन है. लेकिन युद्ध की स्थिति के चलते काला सागर से गुजरने वाली शिपिंग कंपनियां अब अपने जहाज को उस क्षेत्र में भेजने से मना कर रही हैं. अगर देखा जाए तो इससे मासिक कारोबार पर भारतीय रुपये में लगभग 30-32 करोड़ रुपये का असर पड़ेगा. वहीं फार्मा सेक्टर की कंपनियों के जरिए भी यूक्रेन और रूस को दवाओं का बड़ा स्टॉक भेजा जाता है, जो इस वक्त बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

Last Updated : Mar 2, 2022, 2:19 PM IST
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