नई दिल्ली : व्यास पूजा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन व्यास पूजा की जाती है. इस दिन महर्षि वेद व्यास की जयंती भी मनायी जाती है. यह दिन गुरू-शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाने का दिन है. इन दिन हम अपने गुरुओं का अभिवादन व पूजन करके उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं.
आषाढ़ माह की पूर्णिमा अर्थात् व्यास पूर्णिमा के दिन व्यास पूजा का विधान है. इस पूजा के दौरान आचार्यों के तीन समूहों में पूजा करने की विधि बतायी जाती है. ऐसा कहा जाता है कि कृष्ण पंचकम, व्यास पंचकम और शंकराचार्य पंचकम के रूप में तीन समूहों में पूजा करना अच्छा माना जाता है. इनमें से हर एक समूह में 5 आचार्यों को शामिल किया जाता है.
गुरु पूर्णिमा के दिन व्यास जयंती
हमारे देश की आध्यात्मिक व पौराणिक कथाओं के अनुसार देखा जाय तो महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को ही माना जाता है. इसी वजह से इस दिन को व्यास जयंती अथवा व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाने का काम कई सौ सालों से होता चला आया है. महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास जी ने ही महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की थी. इसीलिए गुरु पूर्णिमा के दिन वेद व्यास जी जयंती मनाने के साथ-साथ उनकी पूजा भी की जाती है.
हमारे हिन्दू परंपरा के अनुसार आसाढ़ पूर्णिमा के दिन शिक्षा देने वाले गुरु की पूजा करने के साथ ही कथा प्रसंग सुनाने वाले व्यास, या दीक्षा देने वाले गुरू की पूजा करना बहुत ही शुभकारी और लाभकारी माना जाता है.
इस साल व्यास पूजा, व्यास पूर्णिमा या व्यास जयंती 3 जुलाई 2023 दिन सोमवार को मनायी जाएगी, जिस दिन आप अपने शैक्षिक गुरू, आध्यात्मिक गुरू या व्यावसायिक गुरू को याद कर उनकी पूजा करके उनको गुरू दक्षिणा दे सकते हैं.
साथ ही इस श्लोक का उच्चारण कर सकते हैं...
व्यासाय विष्णुरूपाय, व्यासरूपाय विष्णवे।
नमो वै ब्रह्मनिधये, वासिष्ठाय नमो नमः ॥
नमोऽस्तु ते व्यास विशालबुद्धे, फुल्लारविन्दायतपत्रनेत्र।
येन त्वया भारततैलपूर्णः, प्रज्वालितो ज्ञानमयः प्रदीपः॥
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