नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को तेलंगाना उच्च न्यायालय (Telangana High Court) के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाई एस विवेकानंद रेड्डी की हत्या की जांच कर रही सीबीआई को इस मामले में जांच के घेरे में चल रहे वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सदस्य वाई एस अविनाश रेड्डी को पहले ही लिखित प्रश्नावली सौंपने का निर्देश दिया गया था. मामले में कडप्पा सांसद अविनाश रेड्डी (MP Avinash Reddy) को इस महीने की 24 तारीख तक गिरफ्तार नहीं करने के तेलंगाना हाई कोर्ट के आदेश को वाईएस विवेका की बेटी सुनीता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
इसी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर सुनीता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और अविनाश की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए. दोनों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सुझाव दिया कि अविनाश को तेलंगाना हाईकोर्ट में हलफनामा वापस लेना चाहिए. साथ ही हाईकोर्ट में दाखिल अग्रिम जमानत याचिका को वापस लेने का आदेश दिया था. इस मौके पर सुनीता के वकील ने दलील दी कि अविनाश ने सबूत मिटाने की कोशिश की. इसी क्रम में सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि सीआई शंकरैया ने अपनी गवाही में भी यही कहा था.
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अविनाश रेड्डी को 19 अप्रैल से 25 अप्रैल के बीच जांच के लिए सीबीआई कार्यालय में उपस्थित रहने का निर्देश दिया था और कहा था कि सवाल-जवाब लिखित प्रारूप में होंगे और प्रश्नावली आरोपी को सौंपी जाएगी. उसने कहा, 'इस तरह का आदेश जांच को बेकार कर देगा. उच्च न्यायालय किसी संदिग्ध से लिखित प्रारूप में पूछताछ का आदेश नहीं दे सकता.' वहीं अविनाश रेड्डी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेशों को गलत समझा गया. जिरह खत्म होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने आदेश की कॉपी पढ़ी.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 'प्रश्नावली प्रथम प्रतिवादी (अविनाश रेड्डी) को देने का उच्च न्यायालय का आदेश पूरी तरह अनुचित है. इस तरह के आदेश जांच को प्रभावित करते हैं, खासतौर पर तब जबकि सीबीआई कई आरोपियों की भूमिका का पता लगा रही है. उच्च न्यायालय के निर्देश अनुचित हैं और इसलिए उसके आदेश को रद्द किया जाता है.' इस बीच, अविनाश के वकीलों ने कहा कि मामले की सुनवाई कल उच्च न्यायालय में होगी और अनुरोध किया कि तब तक अविनाश को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह के आदेश नहीं दिए जा सकते.
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