नई दिल्ली: धर्मांतरित अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए या नहीं, वैसे तो इस मुद्दे पर सरकार ने पूर्व न्यायधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता में एक कमिटी बना दी है, मगर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की इकाई विश्व संवाद केंद्र देशभर के शिक्षाविदों, स्वंयसेवी संगठनों और शोध छात्रों को बुलाकर परिचर्चा करवाने जा रही है, जिससे इस पर माहौल तैयार किया जा सके और लोग इस पर अपनी राय कमिटी के सामने रख सकें.
विश्व संवाद केंद्र के अधिशासी अधिकारी विजय शंकर तिवारी ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में बताया कि धर्मांतरित अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए या नहीं, यह काफी पुराना विषय हो चुका है और इस पर सरकार ने कमेटी भी बना दी है. लेकिन विश्व संवाद केंद्र इस पर चर्चा परिचर्चा हेतु लोगों को 4 और 5 मार्च को देशभर के विश्वविद्यालयों से बौद्धिक जगत के नामचीन लोगों को बुला रही है, ताकि धर्मांतरण और आरक्षण पर बिंदुवार चर्चा हो सके.
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि धर्मांतरित ईसाई और मुसलमान हिंदू धर्म से धर्मांतरित होने के बावजूद भी अपने सामाजिक स्तर में कोई परिवर्तन नहीं पाते हैं. वहीं देश में लंबे समय से यह माना जा रहा है कि अनुसूचित जाति जिनका धर्म हिंदू है, ऐसे लोगों को ही समान संविधान सुविधाएं प्रतिनिधित्व एवं आरक्षण मिलना चाहिए. उन्होंने कहा की अभी हाल में ही भारत सरकार ने इन्हीं प्रश्नों के समाधान हेतु जी बालाकृष्णन आयोग का गठन किया है.
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ऐसे में समाज के बौद्धिक वर्ग को एक स्वतंत्र मंच देने के लिए ही विश्व संवाद केंद्र संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्र यह कोशिश कर रहा है कि इस पर समाज की राय जानी जा सके. इस सवाल पर कि वीएचपी हमेशा से इसके खिलाफ रही है कि धर्मांतरित ईसाई व मुसलमानों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए, उन्होंने कहा कि इस पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है और समाज में जरूरत है इस पर विस्तृत विमर्श हो, लेकिन वह भी वीएचपी के ही विस्तृत चर्चा होने की बातों का समर्थन करते हैं.