विशाखापत्तनम: आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एक समिति ने बताया कि विशाखापत्तनम रुशिकोंडा में अनुमति से परे निर्माण हुए थे. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पहाड़ पर अनुमति से परे इमारतें हैं. हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग के सचिव एक बार फिर रिपोर्ट की जांच करें.
हाई कोर्ट ने वन एवं पर्यावरण विभाग को रुशिकोंडा पर बनी संरचनाओं की दोबारा जांच कर कार्रवाई करने और 3 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश देते हुए आगे की सुनवाई 28 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है. रुशिकोंडा संरचनाओं पर आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी.
कोर्ट के सामने यह खुलासा हुआ कि खुदाई और इमारतों का निर्माण अवैध तरीके से किया गया था. नियुक्ति समिति ने खुलासा किया है कि अनुमति से अधिक भवन हैं. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने वन एवं पर्यावरण विभाग को एक बार फिर निर्णय लेने के निर्देश जारी किए हैं. इसमें कहा गया है कि निर्माणों पर की गई कार्रवाई पर 3 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दी जाए. हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई 29 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी.
रुशिकोंडा ने पहले ही अवैध खनन की सच्चाई का पता लगाने के लिए केंद्रीय पर्यावरण और वन विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ एक समिति का गठन किया है.
इस समिति में राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ वीवीएसएन शर्मा, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वैज्ञानिक डी. सौम्या, नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट के वैज्ञानिक डॉ. माणिक महापात्रा और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के एक कार्यकारी अभियंता शामिल हैं. वे पहले ही विशाखा में रुशिकोंडा का विवरण मेमो के रूप में अदालत के सामने रख चुके हैं.
उन्होंने अदालत का ध्यान इस ओर दिलाया कि सीएम के कैंप कार्यालय का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन कर किया गया है. बताया गया है कि कोस्टल रेगुलेटरी जोन को लेकर एनजीटी में जांच के बावजूद रुशिकोंडा में कोस्टल रेगुलेटरी जोन की गाइडलाइंस के खिलाफ निर्माण किया गया है. शिवराम ने याचिका में कहा कि पूर्व में भी हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों का उल्लंघन किया गया था.
अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि ऋषिकोंडा में कैंप कार्यालय स्थापित करने के लिए एपी सरकार द्वारा जारी जीओ को रद्द किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से सरकार की कार्रवाई पर तुरंत रोक लगाने का आग्रह किया. शिवराम प्रसाद ने अदालत से यह आदेश देने को कहा कि रुशिकोंडा पर रिसॉर्ट के निर्माण के खिलाफ दायर मामलों का निपटारा होने तक रुशिकोंडा पर कोई निर्माण नहीं किया जाना चाहिए.
सीएम जगन पहले ही बता चुके हैं कि वह दिसंबर से विशाखापत्तनम से प्रशासन संभालते रहेंगे. इसके लिए, एपी सरकार ने मंत्रियों के लिए कैंप कार्यालय और आवास पर एक समिति भी गठित की है. खबरें तो यहां तक हैं कि रुशिकोंडा पर पर्यटन विभाग के नाम पर बनी इमारतों में मुख्यमंत्री का कार्यालय बनाया गया है और पास ही विशाखा सांसद एमवीवी सत्यनारायण की दूसरी इमारत में मुख्यमंत्री का आवास बनाया गया है.
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ईएएस शर्मा ने रुशिकोंडा के खिलाफ हाई कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सचिव लीलानंदन को पत्र लिखा है. पत्र में स्पष्ट किया गया कि एपीटीडीसी ने तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) के भीतर उल्लंघन किया है. बताया जा रहा है कि इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि रुशिकोंडा पर बनी इमारतें पर्यटकों के लिए नहीं बल्कि सीएम कार्यालय बनाने के लिए हैं.
पत्र में आगे लिखा गया कि इनका उपयोग पर्यटकों के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए. शर्मा ने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने कोच्चि मरदु भूखंडों में उन इमारतों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, जो अतीत में इसी उद्देश्य के लिए बनाई गई थीं. फिर, प्लॉट मालिकों के लिए एक नियम... एपीटीडीपीसी के लिए एक और नियम. ईएएस शर्मा ने कल के उच्च न्यायालय के फैसले को संलग्न करते हुए केंद्र को पत्र लिखा है.