पिथौरागढ़ः सीमांत क्षेत्र मुस्यारी के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियर टूटने की घटनाएं बढ़ रही है. इसी कड़ी मुनस्यारी मिलम पैदल मार्ग पर छिरकानी के पास ग्लेशियर टूटने से बर्फ का हिस्सा नीचे खिसक गया है. जिससे सीमांत गांवों के लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है. उन्हें आवाजाही से लेकर सामान लाने और ले जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
बता दें कि पिथौरागढ़ जिले के दूरस्थ गांवों के लोग सर्दियों में निचले इलाकों में माइग्रेट करते हैं और गर्मियों में ऊपर चले जाते हैं. ग्रामीण मिलम, बुरफ, रिलकोट, टोला, पाछू, गनघर, मर्तोली, खिलाच ल्वा रालम आदि जगहों पर माइग्रेशन में जाते हैं. इन दिनों भी ग्रामीण अपने घोड़े, खच्चरों और बकरी समेत अन्य पशुओं को साथ लेकर अपने गांव जा रहें हैं. जहां अभी एक मात्र साधन पैदल मार्ग के सहारे ही जाना पड़ता है.
वहीं, मुनस्यारी मिलम मार्ग जगह-जगह बर्फ और ग्लेशियर से पटा है, लेकिन कई बार ग्लेशियर खिसकने से पैदल मार्ग बाधित हो रहा है. जिसके चलते ग्रामीणों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. ग्रामीण मवेशियों और घोड़े खच्चरों के साथ जान जोखिम में डालकर रास्ता पार कर रहे हैं. सीमांत क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि संबंधित अधिकारियों को पैदल मार्ग का निरीक्षण कर बर्फ हटाना चाहिए. ताकि, ग्रामीणों को कोई परेशानी न हो.
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सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ सड़क बना रही है, लेकिन अभी सड़क पूरी तरह नहीं बन पाया है. धारचूला विधायक हरीश धामी के प्रतिनिधि हीरा सिंह चिराल का कहना है कि सरकार की ओर से माइग्रेशन के गांव में हर सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए. जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग अपने गांव जा सके. सुविधा के अभाव में गांव खाली हो रहे हैं. जो भविष्य के लिए ठीक नहीं है. उधर, ग्लेशियर खिसकने से गोरी नदी में गिरने का खतरा लगातार बना हुआ. लोग जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं.