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Village Volunteers Working for YSRCP: ग्राम स्वयंसेवक जनता के पैसे से वेतन लेकर YSRCP का कर रहे प्रचार

आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी वाईएसआरसीपी और मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी (Village volunteers are promoting YSRCP) पर विपक्षी पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (Telugu Desam Party) ने आरोप लगाया है कि वह स्वयंसेवकों ( Village volunteers) का इस्तेमाल लोगों तक कल्याणकारी योजनाएं पहुंचाने के स्थान पर अपना प्रचार कराने के लिए कर रहे हैं. सीएम जगन इस काम के लिए स्वयंसेवकों को मानदेय दे रहे हैं.

Village Volunteers Working for YSRCP
वाईएसआरसीपी के लिए काम कर रहे ग्राम स्वयंसेवक
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 11, 2023, 10:03 PM IST

अमरावती: आंध्र प्रदेश में विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने आरोप लगाया कि जिन स्वयंसेवकों को लोगों तक कल्याणकारी योजनाएं पहुंचानी हैं, वे वाईएसआरसीपी सेवा में शामिल हो रहे हैं. वे सरकार से मानदेय लेकर सत्ताधारी दल के लिए प्रचार कर रहे हैं. वाईसीपी कार्यक्रमों को लोगों तक योजनाओं के वितरण पर प्राथमिकता दी जाती है. राज्य सरकार राज्य में ग्राम और वार्ड स्वयंसेवकों को प्रतिवर्ष 1,566 करोड़ रुपये का भुगतान सम्मान राशि के रूप में कर रही है. साढ़े चार साल में 6 हजार 264 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है.

टीडीपी ने आरोप लगाया कि वार्षिक पुरस्कारों के तहत 825 करोड़ रुपये का भुगतान, मनोरंजन व्यय, सेलफोन बिल और साक्षी पेपर की खरीद, इन पर खर्च की गई कुल राशि 7,089 करोड़ रुपये है. इसके अलावा, स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण के नाम पर, मुख्यमंत्री जगन ने अपनी पार्टी के राजनीतिक मामलों को चलाने के लिए अपनी ही पार्टी द्वारा स्थापित फील्ड ऑपरेटिंग एजेंसी को 270 करोड़ रुपये देने का वादा किया है.

इसे भी जोड़ दिया जाए तो कुल रकम 7 हजार 359 करोड़ रुपए होगी. इतने हजारों करोड़ रुपये खर्च कर स्वयंसेवकों के साथ लोगों को पेंशन प्रदान करना और उन्हें अन्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए सहायक के रूप में उपयोग करना जगन की सेवाओं में से एक है. यही कार्य प्रति 2 हजार जनसंख्या पर एक की दर से स्थापित सचिवालय के कर्मचारियों से भी आसानी से कराये जा सकते हैं. अगर ऐसा है तो जगन के राजनीतिक हित पूरे नहीं होंगे.

इसीलिए योजनाओं को सामने रखकर क्रियान्वित करने की बात कहकर स्वयंसेवकों को पर्दे के पीछे से राजनीतिक साम्राज्य की नींव बनाया गया. मैदानी स्तर पर सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के व्यापक कार्यान्वयन के लिए नियुक्त ग्राम और वार्ड स्वयंसेवक पूरी तरह से सत्तारूढ़ दल के मामलों में लगे हुए हैं. हाल ही में विजयवाड़ा में आयोजित वाईसीपी प्रतिनिधि बैठक के परिसर में स्वयंसेवकों ने सहायक के रूप में काम किया.

जिलों में भी पार्टी की बैठकों के लिए लोगों को जुटाने की जिम्मेदारी स्वयंसेवकों को सौंपी गई है. चुनाव आयोग का आदेश है कि स्वयंसेवकों को चुनाव ड्यूटी में भाग नहीं लेना चाहिए, इसे ध्यान में नहीं रखा गया है. वे अभी भी मतदाता अवलोकन में सक्रिय हैं. जिस तरह से सीएम जगन संवैधानिक दिशानिर्देशों के विपरीत स्वयंसेवी प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं, उसकी आलोचना हो रही है.

अमरावती: आंध्र प्रदेश में विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने आरोप लगाया कि जिन स्वयंसेवकों को लोगों तक कल्याणकारी योजनाएं पहुंचानी हैं, वे वाईएसआरसीपी सेवा में शामिल हो रहे हैं. वे सरकार से मानदेय लेकर सत्ताधारी दल के लिए प्रचार कर रहे हैं. वाईसीपी कार्यक्रमों को लोगों तक योजनाओं के वितरण पर प्राथमिकता दी जाती है. राज्य सरकार राज्य में ग्राम और वार्ड स्वयंसेवकों को प्रतिवर्ष 1,566 करोड़ रुपये का भुगतान सम्मान राशि के रूप में कर रही है. साढ़े चार साल में 6 हजार 264 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है.

टीडीपी ने आरोप लगाया कि वार्षिक पुरस्कारों के तहत 825 करोड़ रुपये का भुगतान, मनोरंजन व्यय, सेलफोन बिल और साक्षी पेपर की खरीद, इन पर खर्च की गई कुल राशि 7,089 करोड़ रुपये है. इसके अलावा, स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण के नाम पर, मुख्यमंत्री जगन ने अपनी पार्टी के राजनीतिक मामलों को चलाने के लिए अपनी ही पार्टी द्वारा स्थापित फील्ड ऑपरेटिंग एजेंसी को 270 करोड़ रुपये देने का वादा किया है.

इसे भी जोड़ दिया जाए तो कुल रकम 7 हजार 359 करोड़ रुपए होगी. इतने हजारों करोड़ रुपये खर्च कर स्वयंसेवकों के साथ लोगों को पेंशन प्रदान करना और उन्हें अन्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए सहायक के रूप में उपयोग करना जगन की सेवाओं में से एक है. यही कार्य प्रति 2 हजार जनसंख्या पर एक की दर से स्थापित सचिवालय के कर्मचारियों से भी आसानी से कराये जा सकते हैं. अगर ऐसा है तो जगन के राजनीतिक हित पूरे नहीं होंगे.

इसीलिए योजनाओं को सामने रखकर क्रियान्वित करने की बात कहकर स्वयंसेवकों को पर्दे के पीछे से राजनीतिक साम्राज्य की नींव बनाया गया. मैदानी स्तर पर सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के व्यापक कार्यान्वयन के लिए नियुक्त ग्राम और वार्ड स्वयंसेवक पूरी तरह से सत्तारूढ़ दल के मामलों में लगे हुए हैं. हाल ही में विजयवाड़ा में आयोजित वाईसीपी प्रतिनिधि बैठक के परिसर में स्वयंसेवकों ने सहायक के रूप में काम किया.

जिलों में भी पार्टी की बैठकों के लिए लोगों को जुटाने की जिम्मेदारी स्वयंसेवकों को सौंपी गई है. चुनाव आयोग का आदेश है कि स्वयंसेवकों को चुनाव ड्यूटी में भाग नहीं लेना चाहिए, इसे ध्यान में नहीं रखा गया है. वे अभी भी मतदाता अवलोकन में सक्रिय हैं. जिस तरह से सीएम जगन संवैधानिक दिशानिर्देशों के विपरीत स्वयंसेवी प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं, उसकी आलोचना हो रही है.

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