हरिद्वार (उत्तराखंड): बदलते मौसम का असर जैसे हमारे शरीर पर पड़ता है, वैसा ही असर अवारा कुत्तों पर भी पड़ता है. इन असर के कारण कई बार कुत्ते खूंखार भी हो जाते हैं. कुत्तों के खूंखार होने की घटना मॉनसून और उसके लौटते सीजन में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड की जाती है. कारण, मॉनसून में भरपूर खाना ना मिलना और बरसात के पानी से शरीर में खुजली, स्किन फंगल वायरल जैसी बीमारी अवारा कुत्तों में देखने को मिलती है. लिहाजा, कुत्तों के दांत और मुंह में जलन होने लगती है, जिस कारण कुत्ते को इरिटेशन होती है और गुस्से में वह जो भी सामने आता है, उसे काटने लगता है. ऐसा ही कुछ उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में भी देखने को मिला, जहां कुत्तों ने 700 से ज्यादा लोगों को काटा है.
हरिद्वार शहर में मॉनसून के बाद स्ट्रीट डॉग इतने हमलावर हो गए हैं कि कुत्तों ने 20 दिनों के भीतर 700 से ज्यादा लोगों को काटकर जख्मी कर दिया है. यह आंकड़ा सिर्फ सरकारी शहर के अस्पताल का है. जबकि रुड़की, लक्सर, बहादराबाद, ज्वालापुर और आसपास के क्षेत्र के अगर आंकड़े निकाल लिए जाएं तो हमलावर कुत्तों के शिकार हुए लोगों की संख्या हजारों में पहुंच जाएंगे. अब आलम यह है कि हरिद्वार शहर के रहने वाले ललित शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर पूरे शहर को कुत्तों से निजात दिलाने की अपील की है.
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हरिद्वार के खूंखार कुत्ते: हरिद्वार के सरकारी अस्पताल में रोजाना 30 से 40 मरीज ऐसे आ रहे हैं जिनकों सड़क के आवारा कुत्तों ने काट कर घायल किया है. जिला अस्पताल के डॉक्टर विकासदीप की मानें तो कुत्तों के काटने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में हमारी कोशिश रहती है कि तत्काल प्रभाव से उन्हें इंजेक्शन लगाकर ट्रीटमेंट दिया जाए. डॉक्टर विकासदीप का कहना है कि 5 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक 700 से ज्यादा लोग अपने उपचार करवाने के लिए जिला अस्पताल पहुंचे हैं. एक अन्य आंकड़े के मुताबिक, अप्रैल से सितंबर यानी 6 महीने में तकरीबन 7 हजार लोग कुत्तों के काटने के कारण जिला अस्पताल में इंजेक्शन लगवाने पहुंचे हैं. यह आंकड़े बताता है कि हरिद्वार शहर में कुत्तों का आतंक कितना अधिक है. हरिद्वार शहर में यात्रियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी सड़क के आवारा कुत्ते अपना शिकार बना रहे हैं.
कम लोग बनवा रहे लाइसेंस: खास बात है कि जिस विभाग के ऊपर ऐसे कुत्तों को पकड़कर सही जगह पर छोड़ने की जिम्मेदारी है. वह विभाग लंबे समय से अपनी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश कर रहा है. हरिद्वार नगर निगम के मुताबिक, अंग्रेजों के जमाने से ही कुत्ते और अन्य जानवर रखने के लिए नगर निगम से लाइसेंस लेना पड़ता था. शुरुआती दिनों में मात्र 20 पैसे में यह लाइसेंस बनता था. लेकिन धीरे-धीरे समय बढ़ा और 2 रुपए इसका शुल्क निर्धारित हो गया. अब नगर निगम ने बीते साल 2022 में इसको लेकर थोड़ा कड़ा रुख अपनाया था. लाइसेंस की राशि को बढ़ाया लेकिन कुछ ही लोग लाइसेंस बनवाने सामने आए.
इसलिए लिखा पीएम-राष्ट्रपति को पत्र: हरिद्वार के रहने वाले ललित शर्मा ने अब पीएम मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि उन्होंने नगर निगम को भी कई बार शिकायत की है. कई बार पत्राचार किया है. पूरी सोसाइटी इन कुत्तों से परेशान है. आलम ये है कि महमानों-रिश्तेदारों ने अब घरों में आना बंद कर दिया है. छोटे बच्चे भी अब बाहर खेलने से डर रहे हैं. ललित शर्मा ने अपने पत्र में कहा कि हरिद्वार धर्मनगरी है. यात्रियों को ये आवारा कुत्ते लगातार अपना निशाना बना रहे हैं.
क्या कहती है हरिद्वार की मेयर: उधर हरिद्वार नगर निगम की मेयर अनीता शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि अवारा कुत्तों द्वारा लोगों को काटने का मामला उनके संज्ञान में भी आया है. इन कुत्तों को हम लगातार पकड़कर सेंटर में रख रहे हैं. कुछ की नसबंदी की जा रही है. जो अधिक खूंखार हैं उनको बंद रखा जा रहा है. लेकिन घटनाएं बढ़ने का कारण पता नहीं चल पा रहा है. हम इस मामले में और तेजी से अभियान चलाएंगे. अनिता शर्मा ने कहा कि सिर्फ कुत्ते ही नहीं, पालतू गाय और बंदर भी शहरवासियों के लिए खतरा बन रहे हैं.