हैदराबाद : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को पर्यावरण की रक्षा के लिए जनांदोलन का आह्वान किया और लोगों से विभिन्न संरक्षण गतिविधियों में स्वेच्छा से भाग लेने की अपील की. उन्होंने खासकर युवाओं से इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर अगुवाई करने तथा दूसरों को संपोषणीय पद्धतियां अपनाने के लिए प्रेरित करने का आह्वान किया.
उन्होंने कहा, ' उन्हें लोगों के बीच यह विचार ले जाना चाहिए कि ‘यदि हम प्रकृति की देखभाल करेंगे, तो बदले में प्रकृति मानवजाति की देखभाल करेगी.' तीव्र शहरीकरण एवं वनों की कटाई के प्रभावों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हाल में आकस्मिक बाढ़ एवं भूस्खलन जैसी प्रतिकूल मौसमी दशाएं बार-बार सामने आयी हैं.
एक सरकारी बयान के अनुसार, नायडू ने कहा, ' ये इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि जलवायु परिवर्तन हकीकत है और चीजें यूं ही जारी नहीं रह सकती हैं.'
ऐसी मौसमी दशाओं को कम करने के लिए उन्होंने कहा, ' ऐसे में जरूरी है कि हम प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से रहें. हमें अपनी विकास जरूरतों को पर्यावरण सुरक्षा के साथ संतुलन कायम करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हर व्यक्ति संपोषणीय जीवन शैली की अहमियत समझे. '
नायडू ने कहा , 'सार्थक विकास केवल तभी संभव है, जब उसमें पर्यावरण पर आने वाले खर्च को ध्यान में रखा जाए.'
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वह नर्सरी राज्यनिकी राराजू' नामक एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर अपना विचार व्यक्त कर रहे थे. यह पुस्तक दिवंगत पल्ला वेंकन्ना के जीवन पर आधारित है. वेंकन्ना को आंध्र प्रदेश के काडियाम गांव को पौधों की नर्सरी के लोकप्रिय केंद्र के रूप में विकसित करने का श्रेय जाता है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि देशभर से पेड़-पौधों की 3000 से अधिक प्रजातियों का संग्रह करने वाले वेंकन्ना का मानना था, 'यदि हर घर हरा-भरा हो जाए तो देश हरा-भरा हो जाएगा.'