वाराणसी: काशी की काष्ठ कला की पूरी दुनिया दीवानी है. समय-समय पर यह कारीगर अपनी अनोखी कला से हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते रहते हैं. बाबा विश्वनाथ के धाम और राम दरबार बनाने के बाद अब काशी के कारीगरों ने नए संसद भवन को लकड़ी पर उकेरने का काम किया है. खास बात यह है कि कारीगरों द्वारा तैयार की गई ये नए संसद की आकृति जितनी खूबसूरत है, उतनी ही अनोखी भी है. इसके साथ ही अंग वस्त्र भी तैयार किया गया है.
काशी की परंपरा बहुत पुरानी रही है. इसी के साथ ही यहां के कलाकारों की कलाकृतियों की डिमांग पूरी दुनिया में रहती है. उन्हीं में से एक है काष्ठ कला. यहां के काष्ठ कलाकारों ने मिलकर एक अद्भुत कार्य किया है. इन सभी ने मिलकर मात्र 48 घंटे के अंदर नई संसद और पुरानी संसद का मॉडल तैयार कर दिया. ये देखने में आकर्षक तो है ही. साथ ही वाराणसी की तरफ से पीएम मोदी को एक उपहार भी माना जा रहा है. इसके साथ जरदोजी से तैयार हुए अंगवस्त्र भी हैं.
मात्र 48 घंटे में तैयार कर लिया गया संसद का मॉडल
जीआई विशेषज्ञ रजनीकांत ने इस बारे में बताया कि पब्लिक डोमेन में जब संसद का चित्र आया तो यहां के शिल्पियों ने ये निर्णय लिया कि हमें भी इसका एक मॉडल बनाना चाहिए. नेशनल अवार्डी रामेश्वर सिंह और उनके बेटे राजकुमार सिंह और महिला शिल्पियों ने ये निर्णय लिया कि हम इसका एक मॉडल बनाना चाहते हैं. उन्हें सामग्री उपलब्ध कराई गई. सबसे खास बात ये रही कि 48 घंटे के अंदर संसद का मॉडल बनकर तैयार हो गया. उसी समय दिल्ली से कहा गया कि अगर 15 पीस उपलब्ध हो जाता है तो भेजिए.
शिल्पियों ने वाराणसी का स्पेशल अंगवस्त्र भी तैयार किया
उन्होंने बताया कि कश्मीरीगंज खोजवा के शिल्पियों की पूरी टीम ने मिलकर उस मॉडल को तैयार किया. कश्मीरीगंज से लकड़ी के सामना बनकर पूरी दुनिया में जाते हैं. इसके साथ ही वाराणसी के परंपरागत अंगवस्त्र के साथ स्वागत करने की रही है. आने वाले समय में दुनिया के तमाम राष्ट्राध्यक्ष जब भारत आएंगे और नई संसद को देखने जाएंगे तो उनका स्वागत वाराणसी के अंगवस्त्र से किया जाना चाहिए. इसी को देखते हुए ये फैसला लिया कि इसे दिल्ली भेजा जाए. इसके लिए हमने वहां बातचीत भी की.
15 नई संसद के मॉडल दिल्ली बनाकर भेजे गए
डॉक्टर रजनीकांत ने संसद संकुल, भारत और इंग्लिश में पार्लियामेंट कॉम्पलेक्स इंडिया लिखा. ये पूरा वर्क जरदोजी से तैयार किया गया है. अंगवस्त्र और 15 नई संसद के मॉडल को दिल्ली भेज दिया गया है. आने वाले समय में यह पब्लिक के लिए भी उपलब्ध होगा. लोग अपने लोगों को गिफ्ट के रूप में भी दे सकेंगे. उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गर्व का विषय होगा. इसके साथ ही कलाकार रामेश्वर सिंह ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि नई संसद बन रही है और उसका चित्र समाने आया, तभी से उन्होंने इसे बनाने के लिए सोच लिया था.
राम मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर के बाद अब संसद
वहीं नेशनल अवॉर्डी रामेश्वर सिंह ने बताया कि उन्होंने सभी सामग्री इकट्ठा की और संसद का मॉडल बनाना शुरू किया. उन्होंने इस मॉडल में नई और पुरानी दोनों संसद एक साथ बनाई है. ये एक तरह से थ्रीडी डिजाइन में दिखता है. इसके लिए शिल्पियों की पूरी टीम ने बहुत मेहनत की है. बता दें कि वाराणसी के शिल्पियों ने राम मंदिर, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनाने के साथ ही अब देश को संसद की कलाकृति भी काष्ठ में उकेरकर दी है. इसे जल्द ही बड़े पैमाने पर तैयार किए जाने का प्लान है, जिससे कालाकारों को आर्थिक लाभ भी हो सके.
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