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वाराणसी में 14 दिन का बच्चा 'प्रेग्नेंट', तीन भ्रूण देखकर BHU के डॉक्टरों के उड़े होश

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. 14 दिन के बच्चे के पेट में तीन भ्रूण मिले हैं. ये कैसे पनपे और किसके हैं, आईए जानते हैं.

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Published : Apr 11, 2023, 3:33 PM IST

Updated : Apr 11, 2023, 4:46 PM IST

वाराणसी: धर्म नगरी काशी में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल चिकित्सालय में 14 दिन का बच्चा 'प्रेग्नेंट' पाया गया है. उसके पेट में तीन भ्रूण मिले हैं. यह देखकर डॉक्टर हैरान हो गए. जांच करने पर जो बात सामने आई वो और भी अचंभित करने वाली है. दरअसल, उसके पेट से निकला भ्रूण उसके समान ही उसके अन्य भाई-बहन का है, जो उसकी मां के गर्भ से उसके पेट में ट्रांसफर हो गए.

डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे के पेट में इस तरीके का भ्रूण पाया जाना, फीटस फिटू नामक बीमारी के लक्षण हैं, जो 5 लाख में से किसी एक बच्चे में पाया जाता है. बच्चे की मां के पेट में पल रहे अन्य भ्रूण पूरी तरीके से विकसित नहीं हो पाने के कारण बच्चे के पेट में ट्रांसफर हो जाते हैं. ताजा केस में भी बच्चे के पेट से निकले तीन भ्रूण मां के पेट में पल रहे अन्य बच्चों के हैं, जो पूर्ण रूप से विकासित न होकर ट्रांसफर हो गए.

बच्चे के पेट में भ्रूण होने का कैसे पता चलाः 14 दिन के बच्चे को पेट में सूजन और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत हुई थी. इसके बाद उसे बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां अल्ट्रासाउंड की जांच कराने पर बच्चे के पेट में तीन भ्रूण होने की बात सामने आई. इसके बाद डॉक्टरों ने सीटी स्कैन करके इस बात की पुष्टि की.

डॉक्टरों की टीम ने तीन घन्टे की सर्जरीः बच्चे में भ्रूण होने की पुष्टि के बाद डॉ. रुचिरा की अगुवाई में छह डॉक्टरों की टीम ने तीन घंटे में सर्जरी की. सर्जरी के बाद डॉ. रुचिरा ने बताया कि मां के गर्भ से बच्चे के पेट में भ्रूण ट्रांसफर हुए थे. तीन भ्रूण के कारण बच्चे की मूल पित्त वाहिनी और आंते दबी गई थीं. इसके चलते बच्चे को पीलिया हो गया था. इस वजह से उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और पेट में सूजन थी. फिलहाल में ऑपरेशन हो चुका है और बच्चा अब खतरे से बाहर है. लेकिन, अभी डॉक्टरों की निगरानी में बच्चे को रखा गया है.

पांच लाख में से एक बच्चे को होती है ऐसी समस्याः डॉ. रुचिरा ने बताया कि यह बेहद ही जटिल बीमारी है. पांच लाख में से किसी एक बच्चे में ऐसी समस्या देखने को मिलती है. इसमें ऑपरेशन का खर्च लाखों में आता है. लेकिन, बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में बच्चे का निःशुल्क इलाज किया गया है.

ये भी पढ़ेंः Akanksha Dubey Death Case में आरोपी समर सिंह ने कोर्ट में पेश न होने के लिए दिया प्रार्थना पत्र

वाराणसी: धर्म नगरी काशी में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल चिकित्सालय में 14 दिन का बच्चा 'प्रेग्नेंट' पाया गया है. उसके पेट में तीन भ्रूण मिले हैं. यह देखकर डॉक्टर हैरान हो गए. जांच करने पर जो बात सामने आई वो और भी अचंभित करने वाली है. दरअसल, उसके पेट से निकला भ्रूण उसके समान ही उसके अन्य भाई-बहन का है, जो उसकी मां के गर्भ से उसके पेट में ट्रांसफर हो गए.

डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे के पेट में इस तरीके का भ्रूण पाया जाना, फीटस फिटू नामक बीमारी के लक्षण हैं, जो 5 लाख में से किसी एक बच्चे में पाया जाता है. बच्चे की मां के पेट में पल रहे अन्य भ्रूण पूरी तरीके से विकसित नहीं हो पाने के कारण बच्चे के पेट में ट्रांसफर हो जाते हैं. ताजा केस में भी बच्चे के पेट से निकले तीन भ्रूण मां के पेट में पल रहे अन्य बच्चों के हैं, जो पूर्ण रूप से विकासित न होकर ट्रांसफर हो गए.

बच्चे के पेट में भ्रूण होने का कैसे पता चलाः 14 दिन के बच्चे को पेट में सूजन और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत हुई थी. इसके बाद उसे बीएचयू अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां अल्ट्रासाउंड की जांच कराने पर बच्चे के पेट में तीन भ्रूण होने की बात सामने आई. इसके बाद डॉक्टरों ने सीटी स्कैन करके इस बात की पुष्टि की.

डॉक्टरों की टीम ने तीन घन्टे की सर्जरीः बच्चे में भ्रूण होने की पुष्टि के बाद डॉ. रुचिरा की अगुवाई में छह डॉक्टरों की टीम ने तीन घंटे में सर्जरी की. सर्जरी के बाद डॉ. रुचिरा ने बताया कि मां के गर्भ से बच्चे के पेट में भ्रूण ट्रांसफर हुए थे. तीन भ्रूण के कारण बच्चे की मूल पित्त वाहिनी और आंते दबी गई थीं. इसके चलते बच्चे को पीलिया हो गया था. इस वजह से उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और पेट में सूजन थी. फिलहाल में ऑपरेशन हो चुका है और बच्चा अब खतरे से बाहर है. लेकिन, अभी डॉक्टरों की निगरानी में बच्चे को रखा गया है.

पांच लाख में से एक बच्चे को होती है ऐसी समस्याः डॉ. रुचिरा ने बताया कि यह बेहद ही जटिल बीमारी है. पांच लाख में से किसी एक बच्चे में ऐसी समस्या देखने को मिलती है. इसमें ऑपरेशन का खर्च लाखों में आता है. लेकिन, बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में बच्चे का निःशुल्क इलाज किया गया है.

ये भी पढ़ेंः Akanksha Dubey Death Case में आरोपी समर सिंह ने कोर्ट में पेश न होने के लिए दिया प्रार्थना पत्र

Last Updated : Apr 11, 2023, 4:46 PM IST
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