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कोरोना ने काशी के घाटों को किया वीरान, तीर्थ पुरोहितों को पिंडदान का ही सहारा

मोक्ष नगरी काशी में तीर्थ पुरोहितों की हालत कोरोना ने इस कदर खराब कर दिए हैं कि पेट पालना भी मुश्किल हो रहा है. घाट पर पूजा कराने वाले तीर्थ पुरोहित भरत बताते हैं कि स्थिति सम्पूर्ण लॉकडाउन जैसी ही है. इन दिनों घाट पर अस्थि विसर्जन और पिंडदान के आलावा कुछ नहीं चल रहा है.

condition of pilgrim priests
काशी के घाटों की बदली सूरत
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Published : May 6, 2021, 7:49 PM IST

वाराणसी: काशी के घाट इन दिनों सूने पड़े हैं. लॉकडाउन की वजह से लोग यदा-कदा ही घाटों पर नजर आ रहे हैं. इसका सबसे बुरा प्रभाव तीर्थ पुरोहितों पर पड़ रहा है. पूरे देश से और स्थानीय लोग भी कई तरह का पूजा-पाठ कराने घाटों पर आते थे. इसी से घाट किनारे रहने वाले तीर्थ पुरोहितों का परिवार चलता था, लेकिन लगातार बढ़ते संक्रमण ने इनकी रोटी छीन ली है.

तीर्थ पुरोहितों की हालत खराब.

कोई पूछने वाला नहीं

पिछले साल संक्रमण की वजह से जब देश में घोषित लॉकडाउन हुआ, तब इन पंडा पुरोहितों की मदद भी होने लगी थी. सरकार की तरफ से राशन की व्यवस्था की गई. सामाजिक संगठनों ने भी बहुत मदद का प्रयास किया, लेकिन इस बार कोई पूछने को तैयार नहीं है. बनारस में संक्रमण की स्थिति बेकाबू है और आंशिक लॉकडाउन लगाकर सरकार चीजों को मैनेज कर रही है. दूरदराज से आने वाले यजमान घाटों पर नदारद हैं. गंगा स्नान करने वाले लोगों की संख्या भी गिनी-चुनी है. लोग घरों में रहना ज्यादा मुनासिब समझ रहे हैं, जिसकी वजह से इनके सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है.

300 से ज्यादा तीर्थ पुरोहितों के परिवार पर संकट

बनारस में 84 घाटों की लंबी श्रृंखला है और इन पर 300 से ज्यादा तीर्थ पुरोहित बैठते हैं. सबसे ज्यादा तीर्थ पुरोहित शीतला घाट, दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका घाट, केदार घाट, पंचगंगा घाट पर मिल जाएंगे, लेकिन इन घाटों पर इन दिनों बिल्कुल सन्नाटा दिखाई दे रहा है. आम दिनों में घाटों पर जबरदस्त भीड़ होती थी, जिसकी वजह से इन पंडितों के सामने रोजी-रोटी का संकट नहीं होता था, लेकिन अब हालात कुछ बदले हुए हैं.

पढ़ेंः-चुनाव परिणाम में RO ने की गड़बड़ी, उग्र समर्थकों ने पुलिस चौकी में लगाई आग

पिंडदान ही बचा सहारा

घाट पर पूजा-पाठ कराने वाले पुरोहित भरत बताते हैं कि यह स्थिति सम्पूर्ण लॉकडाउन जैसी है. लोगों की आवाजाही बिलकुल बंद है. ऐसे में मात्र वही लोग आ रहे हैं जिनके घर में कोई मौत हो जा रही है. मृतक के परिवार ही छोटे-मोटे पूजा और पिंडदान कराने आ रहे हैं. पुरोहित सीताराम शास्त्री कहते हैं कि कोरोना महामारी में भले सम्पूर्ण लॉकडाउन नहीं लगा लेकिन लॉकडाउन जैसी स्थिति है. सरकार या तो पूरी तरह से लॉकडाउन घोषित कर दे क्योंकि लोगों की आवाजाही बंद होने से पुरोहित समाज वैसे ही भूखा मर रहा है.

वाराणसी: काशी के घाट इन दिनों सूने पड़े हैं. लॉकडाउन की वजह से लोग यदा-कदा ही घाटों पर नजर आ रहे हैं. इसका सबसे बुरा प्रभाव तीर्थ पुरोहितों पर पड़ रहा है. पूरे देश से और स्थानीय लोग भी कई तरह का पूजा-पाठ कराने घाटों पर आते थे. इसी से घाट किनारे रहने वाले तीर्थ पुरोहितों का परिवार चलता था, लेकिन लगातार बढ़ते संक्रमण ने इनकी रोटी छीन ली है.

तीर्थ पुरोहितों की हालत खराब.

कोई पूछने वाला नहीं

पिछले साल संक्रमण की वजह से जब देश में घोषित लॉकडाउन हुआ, तब इन पंडा पुरोहितों की मदद भी होने लगी थी. सरकार की तरफ से राशन की व्यवस्था की गई. सामाजिक संगठनों ने भी बहुत मदद का प्रयास किया, लेकिन इस बार कोई पूछने को तैयार नहीं है. बनारस में संक्रमण की स्थिति बेकाबू है और आंशिक लॉकडाउन लगाकर सरकार चीजों को मैनेज कर रही है. दूरदराज से आने वाले यजमान घाटों पर नदारद हैं. गंगा स्नान करने वाले लोगों की संख्या भी गिनी-चुनी है. लोग घरों में रहना ज्यादा मुनासिब समझ रहे हैं, जिसकी वजह से इनके सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है.

300 से ज्यादा तीर्थ पुरोहितों के परिवार पर संकट

बनारस में 84 घाटों की लंबी श्रृंखला है और इन पर 300 से ज्यादा तीर्थ पुरोहित बैठते हैं. सबसे ज्यादा तीर्थ पुरोहित शीतला घाट, दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका घाट, केदार घाट, पंचगंगा घाट पर मिल जाएंगे, लेकिन इन घाटों पर इन दिनों बिल्कुल सन्नाटा दिखाई दे रहा है. आम दिनों में घाटों पर जबरदस्त भीड़ होती थी, जिसकी वजह से इन पंडितों के सामने रोजी-रोटी का संकट नहीं होता था, लेकिन अब हालात कुछ बदले हुए हैं.

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पिंडदान ही बचा सहारा

घाट पर पूजा-पाठ कराने वाले पुरोहित भरत बताते हैं कि यह स्थिति सम्पूर्ण लॉकडाउन जैसी है. लोगों की आवाजाही बिलकुल बंद है. ऐसे में मात्र वही लोग आ रहे हैं जिनके घर में कोई मौत हो जा रही है. मृतक के परिवार ही छोटे-मोटे पूजा और पिंडदान कराने आ रहे हैं. पुरोहित सीताराम शास्त्री कहते हैं कि कोरोना महामारी में भले सम्पूर्ण लॉकडाउन नहीं लगा लेकिन लॉकडाउन जैसी स्थिति है. सरकार या तो पूरी तरह से लॉकडाउन घोषित कर दे क्योंकि लोगों की आवाजाही बंद होने से पुरोहित समाज वैसे ही भूखा मर रहा है.

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