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जज को जान की चिंता, ज्ञानवापी सर्वे से जुड़ा दिया है आदेश

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Published : May 13, 2022, 6:03 PM IST

ज्ञानवापी परिसर व श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद में अधिवक्ता कमिश्नर के जरिए सर्वे का आदेश देने वाले वाराणसी सिविल कोर्ट के सीनियर डिवीजन जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने फैसले में खुद की और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की है. अपने जजमेंट के दो नंबर पेज पर उन्होंने बाकायदा इसका जिक्र किया है.

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ज्ञानवापी परिसर.

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर व श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद में वकील कमिश्नर की देखरेख में सर्वे का आदेश देने वाले वाराणसी सिविल कोर्ट के सीनियर डिवीजन जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने फैसले में खुद की और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की है. अपने जजमेंट के दो नंबर पेज पर उन्होंने बाकायदा इसका जिक्र किया है. उन्होंने अपने आदेश में कहा कि इस सर्वे के फैसले को लेकर डर का माहौल बना हुआ है. ऐसे में उन्हें अपने परिवार और परिवार को उनकी सुरक्षा की चिंता बनी हुई है.

जज रवि दिवाकर ने आदेश में आगे लिखा कि कमीशन की कार्यवाही एक सामान्य कमीशन की प्रकिया है, जो कि आमतौर पर सिविल सूट में करवाई जाती है. शायद ही कभी किसी वकील कमिश्नर को हटाने की बात इससे पहले की गई हो. लेकिन इस मामले में खौफ का माहौल बना दिया गया है. उन्होंने लिखा कि घर से बाहर होने पर बार-बार उनकी पत्नी उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहती है. बीते 11 मई को उनकी मां ने भी उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी.

इसे भी पढ़ें - वरुण गांधी का फिर अपनी सरकार पर निशाना, कहा- बड़े पूंजीपतियों को दिया 80 फीसदी लोन, गरीबों को सिर्फ 10 फीसदी

वहीं, इस बीच मामले से जुड़े सभी पक्षकारों और अधिवक्ताओं की सुरक्षा बढ़ाई गई है. वादी पक्ष की सभी महिलाओं को सुरक्षा दी गई है और प्रतिवादी पक्ष के भी लोगों की सुरक्षा पर पैनी निगाह रखी जा रही है. मामले की संवेदनशीलता देखते हुए सभी वादी महिलाओं की आवाजाही पर प्रशासन कड़ी निगरानी रख रहा है. इधर, इस पूरे मामले में हिंदू पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता मदन मोहन ने बताया कि आदेश में कहा गया है कि कमीशन कार्रवाई एक सामान्य कमीशन है, जो अधिकतर सिविल वादों में करवाई जाती है और शायद ही इससे पहले कभी वकील कमिश्नर को हटाने की बात की गई हो. उन्होंने कहा कि इस साधारण से सिविल वाद को हवा देकर खौफ का माहौल बनाया जा रहा है.

गौरतलब है कि सिविल कोर्ट के जज ने अपने आदेश में कहा है कि ज्ञानवापी परिसर के चप्पे-चप्पे की वीडियोग्राफी होगी. इसके लिए चाहे ताला खुलवाना पड़े या तोड़वाना पड़े. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सर्वे के दौरान वादी, प्रतिवादी, एडवोकेट, एडवोकेट कमिश्नर और उनके सहायक व सर्वे से संबंधित लोगों के अलावा और कोई नहीं होगा. इतना ही नहीं सर्वे पूरा कराने की व्यक्तिगत जिम्मेदारी जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर की होगी. कोर्ट ने सर्वे की रिपोर्ट 17 मई तक तलब की है. कोर्ट की ओर से नियुक्त वकील कमिश्नर 14 मई से सर्वे का काम शुरू करेंगे.

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वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर व श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद में वकील कमिश्नर की देखरेख में सर्वे का आदेश देने वाले वाराणसी सिविल कोर्ट के सीनियर डिवीजन जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने फैसले में खुद की और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की है. अपने जजमेंट के दो नंबर पेज पर उन्होंने बाकायदा इसका जिक्र किया है. उन्होंने अपने आदेश में कहा कि इस सर्वे के फैसले को लेकर डर का माहौल बना हुआ है. ऐसे में उन्हें अपने परिवार और परिवार को उनकी सुरक्षा की चिंता बनी हुई है.

जज रवि दिवाकर ने आदेश में आगे लिखा कि कमीशन की कार्यवाही एक सामान्य कमीशन की प्रकिया है, जो कि आमतौर पर सिविल सूट में करवाई जाती है. शायद ही कभी किसी वकील कमिश्नर को हटाने की बात इससे पहले की गई हो. लेकिन इस मामले में खौफ का माहौल बना दिया गया है. उन्होंने लिखा कि घर से बाहर होने पर बार-बार उनकी पत्नी उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहती है. बीते 11 मई को उनकी मां ने भी उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी.

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वहीं, इस बीच मामले से जुड़े सभी पक्षकारों और अधिवक्ताओं की सुरक्षा बढ़ाई गई है. वादी पक्ष की सभी महिलाओं को सुरक्षा दी गई है और प्रतिवादी पक्ष के भी लोगों की सुरक्षा पर पैनी निगाह रखी जा रही है. मामले की संवेदनशीलता देखते हुए सभी वादी महिलाओं की आवाजाही पर प्रशासन कड़ी निगरानी रख रहा है. इधर, इस पूरे मामले में हिंदू पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता मदन मोहन ने बताया कि आदेश में कहा गया है कि कमीशन कार्रवाई एक सामान्य कमीशन है, जो अधिकतर सिविल वादों में करवाई जाती है और शायद ही इससे पहले कभी वकील कमिश्नर को हटाने की बात की गई हो. उन्होंने कहा कि इस साधारण से सिविल वाद को हवा देकर खौफ का माहौल बनाया जा रहा है.

गौरतलब है कि सिविल कोर्ट के जज ने अपने आदेश में कहा है कि ज्ञानवापी परिसर के चप्पे-चप्पे की वीडियोग्राफी होगी. इसके लिए चाहे ताला खुलवाना पड़े या तोड़वाना पड़े. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सर्वे के दौरान वादी, प्रतिवादी, एडवोकेट, एडवोकेट कमिश्नर और उनके सहायक व सर्वे से संबंधित लोगों के अलावा और कोई नहीं होगा. इतना ही नहीं सर्वे पूरा कराने की व्यक्तिगत जिम्मेदारी जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर की होगी. कोर्ट ने सर्वे की रिपोर्ट 17 मई तक तलब की है. कोर्ट की ओर से नियुक्त वकील कमिश्नर 14 मई से सर्वे का काम शुरू करेंगे.

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