ETV Bharat / bharat

ज्ञानवापी मामले पर सांसद मनोज तिवारी का बड़ा बयान, बोले- खत्म होगा 1991 एक्ट - मनोज तिवारी का ज्ञानवापी पर बयान

वाराणसी पहुंचे भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि 1991 एक्ट खत्म होगा. वे एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वाराणसी पहुंचे थे. उनके इस बयान से राजनीति में हलचल मच सकती है.

ज्ञानवापी मामला
ज्ञानवापी मामला
author img

By

Published : Jul 31, 2023, 8:10 AM IST

ज्ञानवापी मामले पर सांसद मनोज तिवारी का बयान

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर मामले में भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि 2200 कानून को बदला गया है तो 1991 को भी हटा दिया जाएगा. यह संसद की व्यवस्था है. संविधान संशोधन हम पहला नहीं करेंगे. इससे पहले 104 बार हो चुका है तो 2 से 4 और हो जाएगा. दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने 1991 वर्शिप एक्ट को समाप्त किए जाने की बात कही है. उनका दावा है कि ज्ञानवापी मामला जल्द सुलझाया जा सकेगा.

बता दें कि दिल्ली के सांसद और भाजपा नेता मनोज तिवारी रविवार को वाराणसी में थे. ज्ञानवापी मामले को लेकर रविवार को वाराणसी में सांस्कृतिक संकुल में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी रखी गई थी. इस कार्यक्रम में सांसद मनोज तिवारी और कपिल मिश्रा भी शामिल हुए थे. इसी दौरन मनोज तिवारी मंच से लोगों को संबोधित कर रहे थे. वहीं, मनोज तिवारी ने कहा कि पिछले साल सर्वे में शिवलिंग होने का प्रमाण मिला था. अब इस बार भी मिलेगा. इसके साथ ही उन्होंने वर्शिप एक्ट खत्म होने की बात भी कह डाली.

'1991 को भी समाप्त कर दिया जाएगा'

सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि 2200 कानून को बदला गया है, तो 1991 को भी हटा दिया जाएगा. यह संसद की व्यवस्था है. संविधान संशोधन हम पहला नहीं करेंगे, इससे पहले 104 बार हो चुका है, तो 2 से 4 और हो जाएगा. देश में इतने कानून समाप्त किए गए है तो 1991 को भी समाप्त कर दिया जाएगा. हालांकि, इस दौरान उनसे कुछ शब्द बोलने में परेशानी हुई, जिसे बाद में उन्होंने सुधार किया. वहीं, मनोज तिवारी के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मचने की संभावना है.

'काशी का सपना पूरा होगा'

मनोज तिवारी ने कहा कि ज्ञानवापी मामले में साजिश करने वाले घिर चुके हैं. उन्हें भागने का मौका नहीं है. कानून की प्रक्रिया सही दिशा में जा रही है. उन्होंने कहा कि विरोध करने वाले कुछ समय के लिए सर्वे रोक सकते हैं. ऐसा करना अपने आप बताता है कि चोर की दाढ़ी में तिनका है. हमारा विश्वास है कि नंदी बाबा की जो दिशा है वो सब कुछ बताते हुए सही प्रमाण के साथ सही बिंदु पर आ रही है. हर-हर महादेव कहने वाले काशी का सपना पूरा होगा. बता दें कि इस दौरान कार्यक्रम में आए हुए लोगों ने अपनी-अपनी बात रखी.

अस्सी घाट पर जरूरतमंदों को भोजन वितरण किया

बता दें कि कार्यक्रम के बाद मनोज तिवारी और कपिल मिश्रा वाराणसी के अस्सी घाट पर गंगा आरती में शामिल होने के लिए पहुंचे. इस दौरान घाट पर लोगों ने जय श्रीराम और हर-हर महादेव का जयघोष किया. घाट पर दोनों नेताओं ने मां गंगा की आरती उतारी. वहां पर तीर्थ पुरोहित अस्सी घाट बलराम मिश्र द्वारा कराई जाने वाली नित्य अन्नपूर्णा सेवा में शामिल होकर जरूरतमंदों के बीच में भोजन का वितरण किया. इस दौरान मनोज तिवारी ने कहा कि इस घाट से हमारी यादें जुड़ी है. मैंने अपने संगीत जीवन की शुरुआत यहीं से की थी. हम अस्सी घाट घूमने आया करते थे.

क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट?

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को साल 1991 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार के समय बनाया गया था. इसके तहत 15 अगस्‍त 1947 से पहले मौजूद किसी भी धर्म की उपासना स्‍थल को किसी दूसरे धर्म के उपासना स्‍थल में नहीं बदला जा सकता. कानून के मुताबिक, आजादी के समय जो धार्मिक स्थल जैसा था वैसा ही रहेगा. अगर कोई ऐसा करता है तो उसे जेल भेजा जा सकता है. 1991 के दौरान राम मंदिर का मुद्दा काफी जोरों पर था. देश में रथयात्रा निकाली जा रही थी. तमाम विवाद के दबाव में यह कानून लाया गया था.

यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी मामले पर वाराणसी में राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई, धर्म रक्षा प्रदर्शनी आज से

ज्ञानवापी मामले पर सांसद मनोज तिवारी का बयान

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर मामले में भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि 2200 कानून को बदला गया है तो 1991 को भी हटा दिया जाएगा. यह संसद की व्यवस्था है. संविधान संशोधन हम पहला नहीं करेंगे. इससे पहले 104 बार हो चुका है तो 2 से 4 और हो जाएगा. दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने 1991 वर्शिप एक्ट को समाप्त किए जाने की बात कही है. उनका दावा है कि ज्ञानवापी मामला जल्द सुलझाया जा सकेगा.

बता दें कि दिल्ली के सांसद और भाजपा नेता मनोज तिवारी रविवार को वाराणसी में थे. ज्ञानवापी मामले को लेकर रविवार को वाराणसी में सांस्कृतिक संकुल में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी रखी गई थी. इस कार्यक्रम में सांसद मनोज तिवारी और कपिल मिश्रा भी शामिल हुए थे. इसी दौरन मनोज तिवारी मंच से लोगों को संबोधित कर रहे थे. वहीं, मनोज तिवारी ने कहा कि पिछले साल सर्वे में शिवलिंग होने का प्रमाण मिला था. अब इस बार भी मिलेगा. इसके साथ ही उन्होंने वर्शिप एक्ट खत्म होने की बात भी कह डाली.

'1991 को भी समाप्त कर दिया जाएगा'

सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि 2200 कानून को बदला गया है, तो 1991 को भी हटा दिया जाएगा. यह संसद की व्यवस्था है. संविधान संशोधन हम पहला नहीं करेंगे, इससे पहले 104 बार हो चुका है, तो 2 से 4 और हो जाएगा. देश में इतने कानून समाप्त किए गए है तो 1991 को भी समाप्त कर दिया जाएगा. हालांकि, इस दौरान उनसे कुछ शब्द बोलने में परेशानी हुई, जिसे बाद में उन्होंने सुधार किया. वहीं, मनोज तिवारी के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मचने की संभावना है.

'काशी का सपना पूरा होगा'

मनोज तिवारी ने कहा कि ज्ञानवापी मामले में साजिश करने वाले घिर चुके हैं. उन्हें भागने का मौका नहीं है. कानून की प्रक्रिया सही दिशा में जा रही है. उन्होंने कहा कि विरोध करने वाले कुछ समय के लिए सर्वे रोक सकते हैं. ऐसा करना अपने आप बताता है कि चोर की दाढ़ी में तिनका है. हमारा विश्वास है कि नंदी बाबा की जो दिशा है वो सब कुछ बताते हुए सही प्रमाण के साथ सही बिंदु पर आ रही है. हर-हर महादेव कहने वाले काशी का सपना पूरा होगा. बता दें कि इस दौरान कार्यक्रम में आए हुए लोगों ने अपनी-अपनी बात रखी.

अस्सी घाट पर जरूरतमंदों को भोजन वितरण किया

बता दें कि कार्यक्रम के बाद मनोज तिवारी और कपिल मिश्रा वाराणसी के अस्सी घाट पर गंगा आरती में शामिल होने के लिए पहुंचे. इस दौरान घाट पर लोगों ने जय श्रीराम और हर-हर महादेव का जयघोष किया. घाट पर दोनों नेताओं ने मां गंगा की आरती उतारी. वहां पर तीर्थ पुरोहित अस्सी घाट बलराम मिश्र द्वारा कराई जाने वाली नित्य अन्नपूर्णा सेवा में शामिल होकर जरूरतमंदों के बीच में भोजन का वितरण किया. इस दौरान मनोज तिवारी ने कहा कि इस घाट से हमारी यादें जुड़ी है. मैंने अपने संगीत जीवन की शुरुआत यहीं से की थी. हम अस्सी घाट घूमने आया करते थे.

क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट?

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को साल 1991 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार के समय बनाया गया था. इसके तहत 15 अगस्‍त 1947 से पहले मौजूद किसी भी धर्म की उपासना स्‍थल को किसी दूसरे धर्म के उपासना स्‍थल में नहीं बदला जा सकता. कानून के मुताबिक, आजादी के समय जो धार्मिक स्थल जैसा था वैसा ही रहेगा. अगर कोई ऐसा करता है तो उसे जेल भेजा जा सकता है. 1991 के दौरान राम मंदिर का मुद्दा काफी जोरों पर था. देश में रथयात्रा निकाली जा रही थी. तमाम विवाद के दबाव में यह कानून लाया गया था.

यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी मामले पर वाराणसी में राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई, धर्म रक्षा प्रदर्शनी आज से

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.