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ज्ञानवापी परिसर में एएसआई का सर्वे पूरा, कोर्ट ने रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दिया 14 दिन का अतिरिक्त समय

वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में चल रहा सर्वे (Varanasi Gyanvapi ASI Survey) पूरा हो चुका है. अब एएसआई टीम को इसकी रिपोर्ट सौंपनी है. कोर्ट ने इसके लिए 14 दिन का अतिरिक्त समय दिया है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 2, 2023, 5:07 PM IST

परिसर में सर्वे की कार्रवाई गुरुवार को पूरी हो गई.

वाराणसी : ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में एएसआई सर्वे की कार्रवाई पूरी हो गई. अभी रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई है. एएसआई की टीम ने वाराणसी जिला जज न्यायालय में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 15 दिन का अतिरिक्त समय मांगा है. इस पर गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने 14 दिनों का अतिरिक्त समय रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दिया है.

अब 17 नवंबर को होगी सुनवाई : वादी पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि आज सर्वे की रिपोर्ट दाखिल करनी थी. टीम ने प्रार्थना पत्र दिया है कि रिपोर्ट तैयार करने में 15 दिन का वक्त अभी और लगेगा. जिला जज ने इसे स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने 14 दिन का अतिरिक्त समय दिया है. अगली तिथि 17 नवंबर की लगाई है. वहीं व्यास जी के परिवार की ओर से तहखाना को जिलाधिकारी के सुपुर्द किए जाने के बाद आज सुनवाई शुरू हुई है. इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई के लिए 8 नवंबर की तिथि दी है. मस्जिद कमेटी को 6 नवंबर तक आपत्ति दाखिल करने के लिए कहा है.

अधिवक्ता ने बताया कि 17 नवंबर से पहले भी सर्वे की रिपोर्ट दाखिल की जा सकती है. फिलहाल एएसआई की टीम का कहना है कि हमारा सर्वे आज पूर्ण हो गया है. अब मौके पर सर्वे नहीं किया जा सकता है. यह संभावना जताई जा रही है कि यदि कुछ चीज बच गई है तो हो सकता है कि टीम वहां पर जाए.

350 साल पुराना है विवाद : हिंदू पक्ष का कहना है कि 1669 में औरंगजेब के आदेश पर मंदिर ध्वस्त करके मस्जिद बनाई गई थी. वाराणसी जिला कोर्ट में पहली याचिका स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से दाखिल की गई थी. इसमें परिसर में पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी. 1936 में ज्ञानवापी मस्जिद के स्वामित्व पर बहस आगे बढ़ी. उसी समय तीन मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने पूरे क्षेत्र को मस्जिद का हिस्सा घोषित करने की मांग की. सुनवाई में मुस्लिम पक्ष को ज्ञानवापी में नमाज अदा करने का अधिकार दिया गया था. कहा गया था पूरे परिसर में कहीं भी नमाज पढ़ी जा सकती है. 1942 में इस फैसले के खिलाफ हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन हिंदू पक्ष को झटका लगा. हाईकोर्ट में 1942 में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा और याचिका खारिज कर दिया.

साल 1991 में सुर्खियों में आया मामला : लंबे वक्त के बाद 1991 में ज्ञानवापी का मुद्दा सुर्खियों में आया. 1991 में स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर के नाम पर फिर से नया मुकदमा दाखिल हुआ. इसमें मस्जिद को पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम के लागू न होने की बात कहते हुए पुरातन मंदिर का हिस्सा बताया गया. 1998 में दलील पर ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन ने जवाबी आवेदन किया. 1991 की पूजा स्थल अधिनियम के प्रावधानों के अधीन इस पूरे परिसर को बताया. 2019 में भगवान विश्वेश्वर की ओर से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने वाराणसी जिला अदालत में 2019 में अपील करते हुए पूरे क्षेत्र के सर्वेक्षण की मांग की. इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और 2020 में सर्वेक्षण की मांग खारिज होने के बाद हाईकोर्ट ने इस पर स्टे को आगे नहीं बढ़ाया.

अप्रैल 2021 में फिर से की गई सर्वेक्षण की मांग : वाराणसी कोर्ट में अप्रैल 2021 में पुरातत्व सर्वेक्षण की मांग फिर से रखी गई जिस पर सुन्नी सेंट्रल बफ बोर्ड और इंतजामिया कमेटी ने विरोध किया. हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सर्वे पर अंतिम रोक लगा दी. 18 अप्रैल 2021 में मामले में नया मोड़ आया और राखी सिंह समेत चार अन्य महिलाओं जिसमें लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने यहां मौजूद श्रृंगार गौरी मंदिर में नियमित दर्शन पूजन की अनुमति मांगी. पूरे क्षेत्र को मंदिर का हिस्सा बताते हुए इसे सुरक्षित संरक्षित करने की मांग की गई. 6 मई 2022 को वकीलों की टीम की देखरेख में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडिय ग्राफी शुरू हुई.

गुरुवार को पूरा हो गया सर्वे : 12 मई 2022 को विरोध के बाद कोर्ट ने सर्वे जारी रखने की बात कही. 17 मई तक कमीशन की रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया. इसमें 16 मई को हिंदू पक्ष की तरफ से परिसर के वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया. इस पर जिला कोर्ट ने और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस जगह को सुरक्षित करने के लिए सील करने का आदेश दिया. 11 नवंबर 2022 को वजूखाने में मिली संरचना को संरक्षित करने के आदेश के बाद यहां पर सीआईएसएफ की तैनाती की गई और परिसर सील हो गया. जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश दिया गया और एएसआई सर्वे की शुरुआत 21 जुलाई के आदेश के बाद हुई. इस आदेश के बाद सर्वे शुरू हुआ लेकिन मुस्लिम पक्ष के विरोध की वजह से इसे रोक दिया गया. 4 अगस्त 2023 से सर्वे पुनः शुरू हुआ जिसके बाद एएसआई की टीम ने सर्वे आगे बढ़ाने के लिए पहले दो सप्ताह फिर कर सप्ताह का समय मांगा. आज यानी 2 नवंबर यानि आज पूर्ण हो गया है अब 17 नवंबर से पहले रिपोर्ट दाखिल करनी है.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी में वजू स्थल के ASI सर्वे की याचिका को कोर्ट ने किया खारिज, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील है स्थान

परिसर में सर्वे की कार्रवाई गुरुवार को पूरी हो गई.

वाराणसी : ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में एएसआई सर्वे की कार्रवाई पूरी हो गई. अभी रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई है. एएसआई की टीम ने वाराणसी जिला जज न्यायालय में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 15 दिन का अतिरिक्त समय मांगा है. इस पर गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने 14 दिनों का अतिरिक्त समय रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दिया है.

अब 17 नवंबर को होगी सुनवाई : वादी पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि आज सर्वे की रिपोर्ट दाखिल करनी थी. टीम ने प्रार्थना पत्र दिया है कि रिपोर्ट तैयार करने में 15 दिन का वक्त अभी और लगेगा. जिला जज ने इसे स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने 14 दिन का अतिरिक्त समय दिया है. अगली तिथि 17 नवंबर की लगाई है. वहीं व्यास जी के परिवार की ओर से तहखाना को जिलाधिकारी के सुपुर्द किए जाने के बाद आज सुनवाई शुरू हुई है. इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई के लिए 8 नवंबर की तिथि दी है. मस्जिद कमेटी को 6 नवंबर तक आपत्ति दाखिल करने के लिए कहा है.

अधिवक्ता ने बताया कि 17 नवंबर से पहले भी सर्वे की रिपोर्ट दाखिल की जा सकती है. फिलहाल एएसआई की टीम का कहना है कि हमारा सर्वे आज पूर्ण हो गया है. अब मौके पर सर्वे नहीं किया जा सकता है. यह संभावना जताई जा रही है कि यदि कुछ चीज बच गई है तो हो सकता है कि टीम वहां पर जाए.

350 साल पुराना है विवाद : हिंदू पक्ष का कहना है कि 1669 में औरंगजेब के आदेश पर मंदिर ध्वस्त करके मस्जिद बनाई गई थी. वाराणसी जिला कोर्ट में पहली याचिका स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से दाखिल की गई थी. इसमें परिसर में पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी. 1936 में ज्ञानवापी मस्जिद के स्वामित्व पर बहस आगे बढ़ी. उसी समय तीन मुस्लिम याचिकाकर्ताओं ने पूरे क्षेत्र को मस्जिद का हिस्सा घोषित करने की मांग की. सुनवाई में मुस्लिम पक्ष को ज्ञानवापी में नमाज अदा करने का अधिकार दिया गया था. कहा गया था पूरे परिसर में कहीं भी नमाज पढ़ी जा सकती है. 1942 में इस फैसले के खिलाफ हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन हिंदू पक्ष को झटका लगा. हाईकोर्ट में 1942 में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा और याचिका खारिज कर दिया.

साल 1991 में सुर्खियों में आया मामला : लंबे वक्त के बाद 1991 में ज्ञानवापी का मुद्दा सुर्खियों में आया. 1991 में स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर के नाम पर फिर से नया मुकदमा दाखिल हुआ. इसमें मस्जिद को पूजा स्थल विशेष प्रावधान अधिनियम के लागू न होने की बात कहते हुए पुरातन मंदिर का हिस्सा बताया गया. 1998 में दलील पर ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन ने जवाबी आवेदन किया. 1991 की पूजा स्थल अधिनियम के प्रावधानों के अधीन इस पूरे परिसर को बताया. 2019 में भगवान विश्वेश्वर की ओर से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने वाराणसी जिला अदालत में 2019 में अपील करते हुए पूरे क्षेत्र के सर्वेक्षण की मांग की. इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया और 2020 में सर्वेक्षण की मांग खारिज होने के बाद हाईकोर्ट ने इस पर स्टे को आगे नहीं बढ़ाया.

अप्रैल 2021 में फिर से की गई सर्वेक्षण की मांग : वाराणसी कोर्ट में अप्रैल 2021 में पुरातत्व सर्वेक्षण की मांग फिर से रखी गई जिस पर सुन्नी सेंट्रल बफ बोर्ड और इंतजामिया कमेटी ने विरोध किया. हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सर्वे पर अंतिम रोक लगा दी. 18 अप्रैल 2021 में मामले में नया मोड़ आया और राखी सिंह समेत चार अन्य महिलाओं जिसमें लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने यहां मौजूद श्रृंगार गौरी मंदिर में नियमित दर्शन पूजन की अनुमति मांगी. पूरे क्षेत्र को मंदिर का हिस्सा बताते हुए इसे सुरक्षित संरक्षित करने की मांग की गई. 6 मई 2022 को वकीलों की टीम की देखरेख में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडिय ग्राफी शुरू हुई.

गुरुवार को पूरा हो गया सर्वे : 12 मई 2022 को विरोध के बाद कोर्ट ने सर्वे जारी रखने की बात कही. 17 मई तक कमीशन की रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया. इसमें 16 मई को हिंदू पक्ष की तरफ से परिसर के वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया. इस पर जिला कोर्ट ने और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस जगह को सुरक्षित करने के लिए सील करने का आदेश दिया. 11 नवंबर 2022 को वजूखाने में मिली संरचना को संरक्षित करने के आदेश के बाद यहां पर सीआईएसएफ की तैनाती की गई और परिसर सील हो गया. जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश दिया गया और एएसआई सर्वे की शुरुआत 21 जुलाई के आदेश के बाद हुई. इस आदेश के बाद सर्वे शुरू हुआ लेकिन मुस्लिम पक्ष के विरोध की वजह से इसे रोक दिया गया. 4 अगस्त 2023 से सर्वे पुनः शुरू हुआ जिसके बाद एएसआई की टीम ने सर्वे आगे बढ़ाने के लिए पहले दो सप्ताह फिर कर सप्ताह का समय मांगा. आज यानी 2 नवंबर यानि आज पूर्ण हो गया है अब 17 नवंबर से पहले रिपोर्ट दाखिल करनी है.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी में वजू स्थल के ASI सर्वे की याचिका को कोर्ट ने किया खारिज, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील है स्थान

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