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राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों के मत का मूल्य 708 से घटकर 700 रह जाने के आसार

भारत के राष्ट्रपति के जुलाई में होने वाले चुनाव में इस बार सांसद के वोट का मूल्य घटकर 708 से 700 रह जाने की संभावना है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 24 जुलाई को अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं और इससे पहले नए राष्ट्रपति का चुनाव होना है. पढ़िए पूरी खबर...

President House
राष्ट्रपति भवन (प्रतीकात्मक)
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Published : May 8, 2022, 7:18 PM IST

नई दिल्ली : आगामी जुलाई में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव में इस बार एक सांसद के मत का मूल्य 708 से घटकर 700 रह जाने की संभावना है, जिसका कारण जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का गठन नहीं होना है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर समेत अन्य राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के लिए निर्वाचित सदस्यों की संख्या पर आधारित होता है.

राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और दिल्ली, पुडुचेरी तथा जम्मू कश्मीर सहित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के सदस्य मतदान करते हैं. अगस्त 2019 में लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित होने से पहले तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में 83 विधानसभा सीट थीं. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार, केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख पर सीधे केंद्र का शासन होगा. सरकार ने घोषणा की थी कि विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन पूरा होने के बाद विधानसभा चुनाव होगा.

पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के लिए गठित परिसीमन आयोग ने अपने अंतिम आदेश को अधिसूचित किया जिसमें उसने नए बनाए गए केंद्रशासित प्रदेश के लिए 90 सदस्यीय विधानसभा की सिफारिश की. लेकिन इस केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा सदस्यों के निर्वाचन में कुछ समय लग सकता है. यह पहली बार नहीं है कि किसी राज्य विधानसभा के विधायक राष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं ले पाएंगे. वर्ष 1974 में 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा को नवनिर्माण आंदोलन के बाद मार्च में भंग कर दिया गया था. राष्ट्रपति चुनाव से पहले गुजरात विधानसभा का गठन नहीं किया जा सका था जिसमें फकरुद्दीन अली अहमद चुने गए थे.

ये भी पढ़ें - 25 जुलाई को मिलेगा देश को नया राष्ट्रपति, जानिए क्या है चुनाव की प्रक्रिया

हालांकि, जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व राष्ट्रपति चुनाव में देखने को मिलेगा, क्योंकि इसके लोकसभा सदस्य देश के प्रथम नागरिक का चुनाव करने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए पात्र होंगे. वर्ष 1997 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद से संसद सदस्य के मत का मूल्य 708 निर्धारित किया गया है. वर्ष 1952 में पहले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक संसद सदस्य के मत का मूल्य 494 था. वर्ष 1957 के राष्ट्रपति चुनाव में यह मामूली रूप से बढ़कर 496 हो गया, इसके बाद 493 (1962) और 576 (1967 एवं 1969) रहा.

तीन मई, 1969 को राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के कारण वर्ष 1969 में राष्ट्रपति चुनाव हुआ था. वर्ष 1974 के राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य 723 था. यह वर्ष 1977 से 1992 तक के राष्ट्रपति चुनावों के लिए 702 निर्धारित किया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 24 जुलाई को अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं और इससे पहले नए राष्ट्रपति का चुनाव होना है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : आगामी जुलाई में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव में इस बार एक सांसद के मत का मूल्य 708 से घटकर 700 रह जाने की संभावना है, जिसका कारण जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का गठन नहीं होना है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर समेत अन्य राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के लिए निर्वाचित सदस्यों की संख्या पर आधारित होता है.

राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और दिल्ली, पुडुचेरी तथा जम्मू कश्मीर सहित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं के सदस्य मतदान करते हैं. अगस्त 2019 में लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित होने से पहले तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में 83 विधानसभा सीट थीं. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार, केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख पर सीधे केंद्र का शासन होगा. सरकार ने घोषणा की थी कि विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन पूरा होने के बाद विधानसभा चुनाव होगा.

पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के लिए गठित परिसीमन आयोग ने अपने अंतिम आदेश को अधिसूचित किया जिसमें उसने नए बनाए गए केंद्रशासित प्रदेश के लिए 90 सदस्यीय विधानसभा की सिफारिश की. लेकिन इस केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा सदस्यों के निर्वाचन में कुछ समय लग सकता है. यह पहली बार नहीं है कि किसी राज्य विधानसभा के विधायक राष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं ले पाएंगे. वर्ष 1974 में 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा को नवनिर्माण आंदोलन के बाद मार्च में भंग कर दिया गया था. राष्ट्रपति चुनाव से पहले गुजरात विधानसभा का गठन नहीं किया जा सका था जिसमें फकरुद्दीन अली अहमद चुने गए थे.

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हालांकि, जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व राष्ट्रपति चुनाव में देखने को मिलेगा, क्योंकि इसके लोकसभा सदस्य देश के प्रथम नागरिक का चुनाव करने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए पात्र होंगे. वर्ष 1997 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद से संसद सदस्य के मत का मूल्य 708 निर्धारित किया गया है. वर्ष 1952 में पहले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक संसद सदस्य के मत का मूल्य 494 था. वर्ष 1957 के राष्ट्रपति चुनाव में यह मामूली रूप से बढ़कर 496 हो गया, इसके बाद 493 (1962) और 576 (1967 एवं 1969) रहा.

तीन मई, 1969 को राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के कारण वर्ष 1969 में राष्ट्रपति चुनाव हुआ था. वर्ष 1974 के राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के मत का मूल्य 723 था. यह वर्ष 1977 से 1992 तक के राष्ट्रपति चुनावों के लिए 702 निर्धारित किया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 24 जुलाई को अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं और इससे पहले नए राष्ट्रपति का चुनाव होना है.

(पीटीआई-भाषा)

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