चमोली: विश्व धरोहर फूलों की घाटी 1 जून को पर्यटकों के लिए खोल दी जाएगी. जिसको लेकर पार्क प्रशासन एक माह पूर्व से तैयारियों में जुटा हुआ था. कल हरी झंडी दिखाकर पर्यटकों को घांघरिया स्थित वन विभाग की चौकी से फूलों की घाटी के लिए रवाना किया जाएगा. इस साल फूलों की घाटी में भारी बर्फबारी के चलते कई जगह बड़े-बड़े हिमखंड राह में रोड़ा बने हुए थे, जिनको काटकर पैदल मार्ग बनाया गया है. पैदल मार्ग पर बने कई पैदल पुल भी टूटे हुए थे.
इन दिनों फूलों की घाटी में धीरे धीरे बर्फ पिघलने लग गई है. जैसे-जैसे बर्फ पिघल रही है, धीरे-धीरे फूलों की प्रजातियां भी खिलने के साथ घाटी के सौंदर्य को निखार रही हैं. फूलों की घाटी में अभी तक 6 प्रजाति के फूल खिलने के साथ बुरांश की कई प्रजातियां खिली हुई हैं. विश्व धरोहर फूलों की घाटी दुनिया की इकलौती जगह है, जहां प्राकृतिक रूप से 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं. फूलों की घाटी की खोज ब्रिटिश पर्वतारोही ने फ्रैंक स्मिथ ने 1932 में की थी. जब वो कामेट पर्वत फतह कर वापस लौट रहे थे तो वे रास्ता भटक गए और फूलों की घाटी पहुंच गए थे. यहां सैकड़ों प्रजाति के प्राकृतिक रूप से खिले फूलों को देख वो मंत्रमुग्ध हो गए. उन्होंने इस जगह को वैली ऑफ फ्लावर के नाम से याद रखा और अपने वतन फूलों के सैंपल लेकर लौट गये.
विश्व धरोहर नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत 1982 में 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल को नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से अलग कर फूलों की घाटी बनाया गया. 2005 में इसको विश्व प्राकृतिक धरोहर घोषित किया गया. यहां पर दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव पाए जाते हैं. यहां पर 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलने के साथ 700 से अधिक वनस्पतियों की प्रजातियां पाई जाती हैं. प्रभागीय वनाधिकारी बी. मर्तोलिया ने बताया कि बिगड़ते मौसम को देखते हुए एसडीआरएफ, प्रशासन व वन विभाग द्वारा घाटी का निरीक्षण करने के बाद ही फूलों की घाटी में जाने की इजाजत दी जाएगी. कहा कि वन विभाग की टीम घांघरिया में ही