ETV Bharat / bharat

वाजपेयी की दृष्टि ने भारत के विदेशी संपर्कों को विस्तार प्रदान किया : जयशंकर

author img

By

Published : Dec 25, 2020, 4:31 PM IST

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की 96वीं जयंती के मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इस दौरान उन्होंने कहा कि वाजपेयी को शीतयुद्ध के बाद की दुनिया के बारे में व्यापक समझ थी. साथ ही विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ पारस्परिक सम्मान और साझा संवेदनशीलता पर आधारित संपर्क वाजपेयी की सोच को प्रदर्शित करता है. पढ़ें पूरी खबर..

जयशंकर
जयशंकर

नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को शीतयुद्ध के बाद की दुनिया के बारे में व्यापक समझ थी, जो भारत के लिए अपने संबंधों को नए सिरे से स्थापित करने और अमेरिका के साथ संबंधों की नई शुरुआत करने में सहायक रही.

दिवंगत वाजपेयी की 96वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जयशंकर ने कहा कि दिग्गज नेता ने विभिन्न क्षेत्रों और महादेशों तक गर्मजोशी से पहुंच बनाई, जिसने भारत के लिए यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और आसियान के देशों सहित भारत के संपूर्ण विदेशी संपर्कों के विस्तार का आधार तैयार किया.

उन्होंने कहा कि चीन के साथ पारस्परिक सम्मान और साझा संवेदनशीलता पर आधारित संपर्क वाजपेयी की सोच को प्रदर्शित करता है.

जयशंकर ने वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की.
जयशंकर ने वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की.

जयशंकर ने कहा कि पड़ोस के प्रति वाजपेयी ने शुभेच्छा और मित्रता को प्रदर्शित किया था और साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि आतंकवाद तथा संबंध एक साथ नहीं चल सकते.

विदेश मंत्री ने वाजपेयी के 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण करने के निर्णय को सबसे महत्वपूर्ण करार दिया.

वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को हुआ था. वह जनसंघ और भाजपा के संस्थापक सदस्य थे. पार्टी को कामयाबी के शिखर पर ले जाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. नब्बे के दशक में वह पार्टी का मुख्य चेहरा बनकर उभरे और पहली बार भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी. वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने.

यह भी पढ़ें- बिहार : पहली बार एनडीए के दबाव में नीतीश, नहीं ले रहे बड़े फैसले

जयशंकर ने कहा, 'अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और उनकी विरासत को देखें तो इसमें कोई सवाल ही नहीं है कि जब भारत की विदेश नीति का विषय आता है तो वह परिवर्तनकारी नेता थे. उनमें अंतर्ज्ञानमूलक समझ थी जो शीतयुद्ध के बाद की दुनिया में भारत के अपने हितों एवं संबंधों को नए सिरे से साधने के लिए जरूरी थे.'

विदेश मंत्री ने कहा कि इसी सोच के आधार पर अमेरिका के साथ संबंधों की नई शुरुआत हुई, जिन्हें दोनों पक्षों की क्रमिक सरकारों ने आगे बढ़ाया. एक राष्ट्र के तौर पर कठिन क्षणों में उबरने के लिए यह जरूरी था.

उन्होंने कहा, 'अगर रूस के साथ हमारे संबंध आज स्थिर हैं तो इसमें उनके (वाजपेयी) प्रयासों का ही योगदान है.'

जयशंकर ने कहा कि आसियान के साथ भारत के संबंधों को वाजपेयी ने मजबूती प्रदान की और देश इसे आगे लेकर चल रहा है.

नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को शीतयुद्ध के बाद की दुनिया के बारे में व्यापक समझ थी, जो भारत के लिए अपने संबंधों को नए सिरे से स्थापित करने और अमेरिका के साथ संबंधों की नई शुरुआत करने में सहायक रही.

दिवंगत वाजपेयी की 96वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जयशंकर ने कहा कि दिग्गज नेता ने विभिन्न क्षेत्रों और महादेशों तक गर्मजोशी से पहुंच बनाई, जिसने भारत के लिए यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और आसियान के देशों सहित भारत के संपूर्ण विदेशी संपर्कों के विस्तार का आधार तैयार किया.

उन्होंने कहा कि चीन के साथ पारस्परिक सम्मान और साझा संवेदनशीलता पर आधारित संपर्क वाजपेयी की सोच को प्रदर्शित करता है.

जयशंकर ने वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की.
जयशंकर ने वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की.

जयशंकर ने कहा कि पड़ोस के प्रति वाजपेयी ने शुभेच्छा और मित्रता को प्रदर्शित किया था और साथ ही यह भी स्पष्ट किया था कि आतंकवाद तथा संबंध एक साथ नहीं चल सकते.

विदेश मंत्री ने वाजपेयी के 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण करने के निर्णय को सबसे महत्वपूर्ण करार दिया.

वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को हुआ था. वह जनसंघ और भाजपा के संस्थापक सदस्य थे. पार्टी को कामयाबी के शिखर पर ले जाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. नब्बे के दशक में वह पार्टी का मुख्य चेहरा बनकर उभरे और पहली बार भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी. वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने.

यह भी पढ़ें- बिहार : पहली बार एनडीए के दबाव में नीतीश, नहीं ले रहे बड़े फैसले

जयशंकर ने कहा, 'अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और उनकी विरासत को देखें तो इसमें कोई सवाल ही नहीं है कि जब भारत की विदेश नीति का विषय आता है तो वह परिवर्तनकारी नेता थे. उनमें अंतर्ज्ञानमूलक समझ थी जो शीतयुद्ध के बाद की दुनिया में भारत के अपने हितों एवं संबंधों को नए सिरे से साधने के लिए जरूरी थे.'

विदेश मंत्री ने कहा कि इसी सोच के आधार पर अमेरिका के साथ संबंधों की नई शुरुआत हुई, जिन्हें दोनों पक्षों की क्रमिक सरकारों ने आगे बढ़ाया. एक राष्ट्र के तौर पर कठिन क्षणों में उबरने के लिए यह जरूरी था.

उन्होंने कहा, 'अगर रूस के साथ हमारे संबंध आज स्थिर हैं तो इसमें उनके (वाजपेयी) प्रयासों का ही योगदान है.'

जयशंकर ने कहा कि आसियान के साथ भारत के संबंधों को वाजपेयी ने मजबूती प्रदान की और देश इसे आगे लेकर चल रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.