नैनीताल: उत्तराखंड के जंगलों में भड़क रही आग पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है. हाईकोर्ट ने मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी और प्रदेश सरकार को उत्तराखंड वन विभाग में रिक्त पड़े 60% वन आरक्षियों के पदों को 6 माह के भीतर भरा जाने का आदेश दिया है.
इसके साथ ही साथ ही सहायक चीफ कंजरवेटर (एसीसीएफ)के पदों पर जल्द नियुक्ति करने का भी आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि एनजीटी द्वारा दिए गए निर्देशों का उत्तराखंड में सख्त पालन किया जाए. जंगलों की आग पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से उत्तराखंड के जंगलों में कृत्रिम बारिश करवाने पर विचार करने को कहा है.
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 2016 में भी उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग लगी थी जिसका हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और कोर्ट ने मामले में राज्य सरकार को कई दिशा निर्देश जारी किए थे.
आग बुझाने के लिए अत्याधुनिक संसाधन खरीदने और 72 घंटे से पहले जंगल में लगने वाली आग को बुझाने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर जंगलों में अधिक समय तक आग लगेगी, उसकी जिम्मेदारी वन संरक्षक समेत तमाम विभागीय अधिकारी की होगी.
कोर्ट में फॉरेस्ट चीफ ने बताया कि 1645 हेक्टेयर वन भूमि में आग लगी है और आग बुझाने के लिए वन कर्मियों को लगाया गया है और 60 प्रतिशत फाॅरेस्ट गार्ड के पद खाली हैं और आग पर काबू पाने के लिए काउंटर फायर का इस्तेमाल करते हैं.
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याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग को 15 दिन से अधिक हो चुके हैं. लेकिन उसके बावजूद भी जंगल में लगने वाली आग पर काबू नहीं पाया जा सका है. जिससे हजारों एकड़ वन संपदा जलकर खाक हो गई है.