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उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य व उनके पुत्र कांग्रेस में शामिल - CM Pushkar Singh Dhami

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे विधायक संजीव आर्य ने आज दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हो गए.

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Published : Oct 11, 2021, 11:52 AM IST

Updated : Oct 11, 2021, 6:53 PM IST

नई दिल्ली/ देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे विधायक संजीव आर्य ने आज दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हो गए. इस दौरान कांग्रेस नेता हरीश रावत और केसी वेणुगोपाल उपस्थित रहे. यशपाल आर्य के कांग्रेस में शामिल होने पर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि उन्होंने (यशपाल) उत्तराखंड कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है.

इस अवसर पर यशपाल ने कहा कि वह पार्टी को मजबूत करने के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम करेंगे. उन्होंने कहा, 'यदि कांग्रेस मजबूत बनकर उभरती है, तो लोकतंत्र और मजबूत होगा.'

यशपाल ने कहा कि उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन कांग्रेस में शुरू किया था और वह अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में युवा कांग्रेस के अध्यक्ष, कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई के दो बार अध्यक्ष और इसके बाद उत्तराखंड की पहली विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं. यशपाल छह बार विधायक चुने गए हैं. इनमें दो बार वह उत्तर प्रदेश में विधायक थे, जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था.

सुरजेवाला ने यशपाल का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि यशपाल ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अनुसूचित जातियों के उत्थान में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने बताया कि यशपाल ने अपना इस्तीफा राज्य के राज्यपाल को सौंप दिया है.

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य व उनके पुत्र कांग्रेस में शामिल

यशपाल के पुत्र संजीव आर्य उत्तराखंड की नैनीताल विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने अपनी विधायक सीट से भी इस्तीफा दे दिया है. वह राज्य में सहकारिता क्षेत्र से जुड़े हैं.

वहीं इस मौके पर AICC के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस में आना उन दोनों (यशपाल और उनके पुत्र संजीव) के लिए घर वापसी है. उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं ने राहुल गांधी से मुलाकात की और कहा कि वह अपने पुराने परिवार में लौटकर खुश हैं.

उन्होंने कहा, 'यह कांग्रेस पार्टी के लिए सर्वाधिक खुशी के पलों में से एक है क्योंकि यशपाल आर्य और संजीव आर्य ने उत्तराखंड में चुनाव आने का स्पष्ट संकेत देते हुए कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया है.... उत्तराखंड में हवा का रुख कांग्रेस के पक्ष में है.'

वेणुगोपाल ने बताया कि राहुल गांधी ने यशपाल और संजीव से कहा कि कांग्रेस में उनकी वापसी से पार्टी निश्चित ही मजबूत होगी.

बीजेपी में दो कांग्रेसी व एक निर्दलीय MLA हुए शामिल: उत्तराखंड में पिछले कुछ महीनों से दल-बदल का खेल चरम है. गढ़वाल मंडल से कांग्रेस विधायक राजकुमार व प्रीतम सिंह पवार के बाद कुमाऊं मंडल से निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा ने भाजपा का दामन थाम लिया है. भाजपा जहां तमाम विधायकों को अपने पाले में कर राज्य में सियासी माहौल को अपने पक्ष में करने में जुटी है. वहीं कांग्रेस ने भी अंदरूनी स्तर पर भाजपा के बड़े नेताओं को अपने पाले में करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. राज्य के इस तरह के सियासी हालात से आने वाले समय में चुनाव बेहद दिलचस्प हो जाएंगे.

कांग्रेस 9 बागी विधायकों ने धामा था बीजेपी का दामन: साल 2017 विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा समेत कांग्रेस के 9 बागी विधायकों ने बीजेपी का दामन थामा था. ऐसे में उत्तराखंड बीजेपी में 2022 चुनाव से पहले चल रही सियासी उथल-पुथल के बाद उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री और एक विधायक घर वापसी कर सकते हैं.

माना जा रहा है कि भाजपा के कुछ और बड़े चेहरे जल्द ही पार्टी का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. जानिए कौन से हैं वह चेहरे जो भाजपा की सबसे कमजोर कड़ियों में गिने जा रहे हैं.

सतपाल महाराज: भाजपा की कमजोर कड़ियों में सबसे पहला नाम सतपाल महाराज का है, जो कांग्रेस से भाजपा में आए थे. समय-समय पर उनका नाम पार्टी से नाराजगी और पार्टी छोड़ने को लेकर चर्चाओं में रहा है.

हरक सिंह रावत: दूसरा चेहरा हरक सिंह रावत हैं, जो कांग्रेस से आए थे और फिर एक बार घर वापसी की संभावनाओं को लेकर चर्चाओं में है. सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस हाईकमान से उनकी कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है. जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय भी हो सकता है.

उमेश शर्मा काऊ: पार्टी छोड़ने की संभावनाओं में उमेश शर्मा काऊ का भी नाम है. उमेश शर्मा रायपुर से विधायक हैं और उनके भी दिल्ली में कांग्रेस के संपर्क में होने की चर्चा है.

कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन: कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के बीजेपी में विवादों के कई किस्से हैं. वे लगातार भाजपा की अनुशासन समिति की नजरों में भी रहे हैं. चैंपियन भी कांग्रेस से आए हैं. उनका नाम भी घर वापसी की संभावनाओं में बना रहता है, जाहिर है कि भाजपा में चैंपियन भी कमजोर कड़ी ही हैं.

केदार सिंह रावत: यमुनोत्री से विधायक केदार सिंह रावत भी भाजपा की कमजोर कड़ी में शामिल हैं. दरअसल, पिछले दिनों प्रीतम सिंह पंवार के भाजपा में शामिल होने के बाद केदार सिंह असहज दिखाई दिए थे. उनका नाम भी हरक सिंह रावत के साथ पार्टी छोड़ने वाले विधायकों में चर्चाओं में रहा है.

ओम गोपाल रावत: नरेंद्र नगर से भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ने वाले ओम गोपाल रावत के भी कांग्रेस में जाने की चर्चा है. माना जा रहा है कि जल्द वे भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा पूर्व विधायक स्तर के कुछ दूसरे चेहरों के भी कांग्रेस में जाने की खबर है.

पढ़ें - लखीमपुर मामले में राहुल आक्रामक, कहा- न्याय प्रक्रिया बाधित कर रही भाजपा

ऐसा नहीं है कि ये कमजोर कड़ियां केवल बीजेपी में हैं. कांग्रेस की कड़ियां टूटने की शुरुआत तो पुरोला से कांग्रेसी विधायक राजकुमार के बीजेपी में शामिल होने के साथ ही हो गई थी. उनसे पहले टिहरी की धनौल्टी सीट से निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. जानिए कौन हैं वो चेहरे जो बीजेपी का दामन थाम सकते हैं.

विक्रम नेगी: विक्रम नेगी प्रताप नगर से विधायक रहे हैं. 2017 में मोदी लहर में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. विक्रम नेगी टिहरी जिले की प्रताप नगर विधानसभा सीट में एक मजबूत प्रत्याशी हैं. हालांकि, विक्रम नेगी इस खबर का खंडन करते हुए दिखाई दिए हैं. विक्रम नेगी 2007 में कांग्रेस से विधायक रहे हैं.

विजय पाल सजवाण: विजय पाल सजवाण गंगोत्री विधानसभा से पूर्व विधायक है. यह ऐसी सीट है जिसको लेकर उत्तराखंड में एक मिथक चलता है कि जो इस सीट पर जीतता है, उसी पार्टी की सरकार बनती है. इस सीट पर इस बार विजयपाल सजवान की जीत पक्की मानी जा रही है. लिहाजा, भाजपा विजयपाल सजवान को अपने पाले में लाने की कोशिश में है. विजयपाल सजवान दो बार गंगोत्री विधानसभा से विधायक रह चुके हैं.

राजेंद्र भंडारी: राजेंद्र भंडारी बदरीनाथ विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. उत्तराखंड सरकार में मंत्री भी रहे हैं. भाजपा सरकार में वे निर्दलीय विधायक के रूप में मंत्री बनने में कामयाब रहे. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली और हरीश रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे.

सुमित हृदयेश: सुमित हृदयेश स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश के बेटे हैं और उन्हीं की विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं. खबर है कि इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद भाजपा सुमित हृदयेश से बात कर उन्हें अपने पाले में जोड़ना चाहती है.

दल-बदल को लेकर हमेशा एक हाथ आगे रहने वाली भाजपा भी लगातार कांग्रेस को झटका देने के मूड में दिखाई दी है. भाजपा भी प्रयास में है कि कुछ बड़े चेहरों को कांग्रेस से तोड़ा जाए.

नई दिल्ली/ देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे विधायक संजीव आर्य ने आज दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हो गए. इस दौरान कांग्रेस नेता हरीश रावत और केसी वेणुगोपाल उपस्थित रहे. यशपाल आर्य के कांग्रेस में शामिल होने पर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि उन्होंने (यशपाल) उत्तराखंड कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है.

इस अवसर पर यशपाल ने कहा कि वह पार्टी को मजबूत करने के लिए नि:स्वार्थ भाव से काम करेंगे. उन्होंने कहा, 'यदि कांग्रेस मजबूत बनकर उभरती है, तो लोकतंत्र और मजबूत होगा.'

यशपाल ने कहा कि उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन कांग्रेस में शुरू किया था और वह अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में युवा कांग्रेस के अध्यक्ष, कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई के दो बार अध्यक्ष और इसके बाद उत्तराखंड की पहली विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं. यशपाल छह बार विधायक चुने गए हैं. इनमें दो बार वह उत्तर प्रदेश में विधायक थे, जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था.

सुरजेवाला ने यशपाल का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि यशपाल ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अनुसूचित जातियों के उत्थान में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने बताया कि यशपाल ने अपना इस्तीफा राज्य के राज्यपाल को सौंप दिया है.

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य व उनके पुत्र कांग्रेस में शामिल

यशपाल के पुत्र संजीव आर्य उत्तराखंड की नैनीताल विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने अपनी विधायक सीट से भी इस्तीफा दे दिया है. वह राज्य में सहकारिता क्षेत्र से जुड़े हैं.

वहीं इस मौके पर AICC के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस में आना उन दोनों (यशपाल और उनके पुत्र संजीव) के लिए घर वापसी है. उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं ने राहुल गांधी से मुलाकात की और कहा कि वह अपने पुराने परिवार में लौटकर खुश हैं.

उन्होंने कहा, 'यह कांग्रेस पार्टी के लिए सर्वाधिक खुशी के पलों में से एक है क्योंकि यशपाल आर्य और संजीव आर्य ने उत्तराखंड में चुनाव आने का स्पष्ट संकेत देते हुए कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया है.... उत्तराखंड में हवा का रुख कांग्रेस के पक्ष में है.'

वेणुगोपाल ने बताया कि राहुल गांधी ने यशपाल और संजीव से कहा कि कांग्रेस में उनकी वापसी से पार्टी निश्चित ही मजबूत होगी.

बीजेपी में दो कांग्रेसी व एक निर्दलीय MLA हुए शामिल: उत्तराखंड में पिछले कुछ महीनों से दल-बदल का खेल चरम है. गढ़वाल मंडल से कांग्रेस विधायक राजकुमार व प्रीतम सिंह पवार के बाद कुमाऊं मंडल से निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा ने भाजपा का दामन थाम लिया है. भाजपा जहां तमाम विधायकों को अपने पाले में कर राज्य में सियासी माहौल को अपने पक्ष में करने में जुटी है. वहीं कांग्रेस ने भी अंदरूनी स्तर पर भाजपा के बड़े नेताओं को अपने पाले में करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. राज्य के इस तरह के सियासी हालात से आने वाले समय में चुनाव बेहद दिलचस्प हो जाएंगे.

कांग्रेस 9 बागी विधायकों ने धामा था बीजेपी का दामन: साल 2017 विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा समेत कांग्रेस के 9 बागी विधायकों ने बीजेपी का दामन थामा था. ऐसे में उत्तराखंड बीजेपी में 2022 चुनाव से पहले चल रही सियासी उथल-पुथल के बाद उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री और एक विधायक घर वापसी कर सकते हैं.

माना जा रहा है कि भाजपा के कुछ और बड़े चेहरे जल्द ही पार्टी का दामन छोड़ कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. जानिए कौन से हैं वह चेहरे जो भाजपा की सबसे कमजोर कड़ियों में गिने जा रहे हैं.

सतपाल महाराज: भाजपा की कमजोर कड़ियों में सबसे पहला नाम सतपाल महाराज का है, जो कांग्रेस से भाजपा में आए थे. समय-समय पर उनका नाम पार्टी से नाराजगी और पार्टी छोड़ने को लेकर चर्चाओं में रहा है.

हरक सिंह रावत: दूसरा चेहरा हरक सिंह रावत हैं, जो कांग्रेस से आए थे और फिर एक बार घर वापसी की संभावनाओं को लेकर चर्चाओं में है. सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस हाईकमान से उनकी कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है. जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय भी हो सकता है.

उमेश शर्मा काऊ: पार्टी छोड़ने की संभावनाओं में उमेश शर्मा काऊ का भी नाम है. उमेश शर्मा रायपुर से विधायक हैं और उनके भी दिल्ली में कांग्रेस के संपर्क में होने की चर्चा है.

कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन: कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के बीजेपी में विवादों के कई किस्से हैं. वे लगातार भाजपा की अनुशासन समिति की नजरों में भी रहे हैं. चैंपियन भी कांग्रेस से आए हैं. उनका नाम भी घर वापसी की संभावनाओं में बना रहता है, जाहिर है कि भाजपा में चैंपियन भी कमजोर कड़ी ही हैं.

केदार सिंह रावत: यमुनोत्री से विधायक केदार सिंह रावत भी भाजपा की कमजोर कड़ी में शामिल हैं. दरअसल, पिछले दिनों प्रीतम सिंह पंवार के भाजपा में शामिल होने के बाद केदार सिंह असहज दिखाई दिए थे. उनका नाम भी हरक सिंह रावत के साथ पार्टी छोड़ने वाले विधायकों में चर्चाओं में रहा है.

ओम गोपाल रावत: नरेंद्र नगर से भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ने वाले ओम गोपाल रावत के भी कांग्रेस में जाने की चर्चा है. माना जा रहा है कि जल्द वे भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा पूर्व विधायक स्तर के कुछ दूसरे चेहरों के भी कांग्रेस में जाने की खबर है.

पढ़ें - लखीमपुर मामले में राहुल आक्रामक, कहा- न्याय प्रक्रिया बाधित कर रही भाजपा

ऐसा नहीं है कि ये कमजोर कड़ियां केवल बीजेपी में हैं. कांग्रेस की कड़ियां टूटने की शुरुआत तो पुरोला से कांग्रेसी विधायक राजकुमार के बीजेपी में शामिल होने के साथ ही हो गई थी. उनसे पहले टिहरी की धनौल्टी सीट से निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. जानिए कौन हैं वो चेहरे जो बीजेपी का दामन थाम सकते हैं.

विक्रम नेगी: विक्रम नेगी प्रताप नगर से विधायक रहे हैं. 2017 में मोदी लहर में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. विक्रम नेगी टिहरी जिले की प्रताप नगर विधानसभा सीट में एक मजबूत प्रत्याशी हैं. हालांकि, विक्रम नेगी इस खबर का खंडन करते हुए दिखाई दिए हैं. विक्रम नेगी 2007 में कांग्रेस से विधायक रहे हैं.

विजय पाल सजवाण: विजय पाल सजवाण गंगोत्री विधानसभा से पूर्व विधायक है. यह ऐसी सीट है जिसको लेकर उत्तराखंड में एक मिथक चलता है कि जो इस सीट पर जीतता है, उसी पार्टी की सरकार बनती है. इस सीट पर इस बार विजयपाल सजवान की जीत पक्की मानी जा रही है. लिहाजा, भाजपा विजयपाल सजवान को अपने पाले में लाने की कोशिश में है. विजयपाल सजवान दो बार गंगोत्री विधानसभा से विधायक रह चुके हैं.

राजेंद्र भंडारी: राजेंद्र भंडारी बदरीनाथ विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. उत्तराखंड सरकार में मंत्री भी रहे हैं. भाजपा सरकार में वे निर्दलीय विधायक के रूप में मंत्री बनने में कामयाब रहे. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली और हरीश रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे.

सुमित हृदयेश: सुमित हृदयेश स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश के बेटे हैं और उन्हीं की विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं. खबर है कि इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद भाजपा सुमित हृदयेश से बात कर उन्हें अपने पाले में जोड़ना चाहती है.

दल-बदल को लेकर हमेशा एक हाथ आगे रहने वाली भाजपा भी लगातार कांग्रेस को झटका देने के मूड में दिखाई दी है. भाजपा भी प्रयास में है कि कुछ बड़े चेहरों को कांग्रेस से तोड़ा जाए.

Last Updated : Oct 11, 2021, 6:53 PM IST
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