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उत्तराखंड जल प्रलय : आंसू से भरी आंखों को अब भी अपनों का इंतजार... - यूपी के लापता लोग

उत्तराखंड में आई आपदा में उत्तर प्रदेश, बिहार समेत देश के कई राज्यों से आए मजदूर, अन्य लोग लापता बताए जा रहे हैं. यूपी में लखीमपुर खीरी के 34 मजदूर अब भी लापता हैं. पीड़ित परिवारों के घर चूल्हे नहीं जले हैं. आंखों से आंसू जरुर बह रहे हैं लेकिन उन्हें अपनों के लौट आने का अब भी इंतजार है. देखिए यह खास रिपोर्ट...

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Published : Feb 10, 2021, 9:23 AM IST

लखीमपुर खीरी : गोद में बेटे की तस्वीर और आंखों में केवल आंसू. जिस बेटे को अपने गोद में खेलाया था आज उसी को एक बार देखने के लिए मां तरस रही है. फिलहाल केवल तस्वीर का ही सहारा है. लखीमपुर खीरी के इच्छानगर गांव के रहने वाले श्रीकिशन के परिवार पर दुखों का ग्लेशियर टूट पड़ा. इकलौते बेटे राजू की दो महीने बाद शादी होने वाली थी. परिवार में खुशियां थीं और शादी की तैयारियां चल रही थीं.

बाप-बेटे ने मिलकर सोचा कि दोनों मिलकर कुछ कमा लेंगे तो शादी के लिए किसी से कर्ज नहीं लेना पड़ेगा. धूमधाम से शादी होगी. लेकिन, उत्तराखंड में ग्लेशियर के टूटने से श्रीकिशन का सपना भी उसी में बह गया. श्रीकिशन अपने घर के 6 सदस्यों के साथ चमोली टनल में काम कर रहे थे. राजू के चाचा मुन्ना कहते हैं कि टीवी पर जब खबर देखी तो होश उड़ गए. कांपते हाथों से उन्होंने घर के सभी सदस्यों को फोन करना शुरू किया. लेकिन अभी तक किसी से कोई संपर्क नहीं हो सका है.

खुशियों वाले घर में अब गम, इंतजार और आंसू के सिवाय कुछ भी नहीं है. दीवारों पर हाथ के चिन्ह बनाकर लक्ष्मी का जहां इंतजार हो रहा था, आज वहां चूल्हे से धुआं तक नहीं उठ रहा. खामोश चूल्हा इंतजार के दर्द की इंतहा को बयां कर रहा है और परिवार के लौटने का इंतजार कमबख्त खत्म नहीं हो रहा.

स्पेशल रिपोर्ट

जिले के बाबूपुरवा गांव के जीवनलाल के घर का भी यही हाल है. जीवनलाल के दो बेटे अर्जुनलाल और विक्रम कुमार की कमाई से ही घर का खर्च चलता है. बड़ा बेटा विक्रम उत्तराखंड के टिहरी डैम पर काम करता है और छोटा बेटा अर्जुनलाल अभी दो महीने पहले ही तपोवन काम करने गया था. जीवनलाल ने उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने की खबर जब टीवी पर देखी तो उनके पैरों तले की जमीन ही खिसक गई.

बड़ा बेटा तो सुरक्षित था लेकिन छोटे बेटे का फोन स्विच ऑफ बता रहा था. पूरे घर में कोहराम मच गया. पूरे घर में गम का माहौल हो गया. पिता घर के मंदिर के सामने खड़े होकर हाथ जोड़कर अपने बेटे की सलामती की दुआ कर रहे हैं. जब इंसान के हाथ में चीजें नहीं रहती हैं तो उसे भगवान पर ही सबसे ज्यादा भरोसा रहता है. भरोसा है कि ईश्वर उनकी पुकार सुनेंगे. भरोसा है कि बेटा जहां भी होगा ठीक होगा.

लखीमपुर खीरी- लापता मजदूरों की सूची

भैरमपुर
1. जितेंद्र (25) पुत्र जगदमोहन
2. पैकरमा गिरि (45) पुत्र पुत्तू गिरि
3. सतेंद्र कुमार (23) पुत्र रामकुमार
4. रंजीत (24) पुत्र बरखा गिरि
5. संतोष पाल (30) पुत्र राममूर्ति
6. मनोज कुमार (25) पुत्र राममूर्ति
7. अर्जुन लाल (24) पुत्र जीवन लाल
8. विनोद कुमार (24) पुत्र श्रीराम
इच्छानगर
9. जलाल हुसैन (20) पुत्र इश्तियाक
10. राजू (21) पुत्र श्रीकेशन
11. राशिद (20) पुत्र साहिद
12. मुकेश (20) पुत्र चेतराम
13. जगदीश (45) पुत्र रामप्रसाद
14. इस्लाम (30) पुत्र मखबूल
15. इरशाद (33) पुत्र मोहम्मद अली
16. शेर बहादुर (46) पुत्र खुशीराम
17. रामतीरथ ( 35) पुत्र मनोहर
18. रामबिलास (30) पुत्र कढिले
19. प्रमोद (20) पुत्र बिंद्रा
20. उरफान (22) पुत्र उस्मान
21. श्रीकृष्ण (30) पुत्र बदलू
22. उमेश (23) पुत्र जगदीश
बाबू पुरवा और अन्य गांव
23. भलभल (28) पुत्र जुम्मन खान, मिर्जागंज
24. हीरालाल (19)
25. सूरज (19)
26.अर्जुन (19)
27. विमलेश (25)
28. धर्मेंद्र (22) भूलनपुर
29.जावेद (24) पुत्र यूनुस सिंगाही
30. शेर सिंह पुत्र दीनदयाल तिकुनियां
31. रामू पुत्र सागर तिकुनियां
32. गौरी शंकर पुत्र जोगीराम तिकुनियां
33. शंकर पुत्र श्याम तिकुनियां
34. अरुण कुमार पुत्र रामबहादुर कडिया

आला अधिकारी पहुँचे पीड़ितों के गांव
डीएम-एसपी ने एक-एक कर परिवारों से मुलाकात के दौरान ढांढस बंधाया. उन्होंने कहा कि प्रशासन सभी ऐसे लोगों को चिन्हित कर सूचीबद्ध कर रहा है, जिनका अपने परिवारों से संपर्क नहीं हो पा रहा है.

सूचीबद्ध लोगों के संबंध में राहत आयुक्त, उप्र के अलावा उत्तराखंड के अधिकारियों को सूचित करते हुए उनके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है. जानकारी मिलते ही सभी परिजन से जानकारी साझा की जाएगी.

इस दौरान डीएम-एसपी ने उत्तराखंड के चमोली में खीरी के ऐसे मजदूर जिनसे संपर्क हो रहा है उनसे बात की और उनसे वहां के हालात के बारे में जानकारी ली. डीएम ने कहा कि लापता मजदूरों की सूची शासन को भेजी जा चुकी हैै और उत्तराखंड सरकार से जानकारी साझा करने के साथ ही अन्य कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने परिवारों को भी हर संभव मदद का आश्वासन दिया.
डीएम शैलेन्द्र सिंह ने बताया खीरी के 34 मजदूर लापता, 23 सकुशल की पुष्टि डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह ने की है। उन्होंने बताया है कि आठ गांवों तिकुनियां, इच्छानगर, मिर्जागंज, कड़िया, भैरमपुर, भेड़ौरी, भेड़ौरा-सिंगाही कला, उमरा से कुल 57 लोग चमोली में मजदूरी के लिए गए थे. इनमें से 34 लोगों से संपर्क नहीं हो पाया है, जबकि 23 लोग सकुशल हैं और अपने परिवार के संपर्क में हैं। डीएम ने बताया कि उत्तराखंड सरकार से लगातार संपर्क बना हुआ है। जैसे ही कोई नई सूचना प्राप्त होगी, तो परिजन को सूचना दी जाएगी.

चमोली के तपोवन में ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा में गिरने से धौलीगंगा पर बन रहा बांध बह गया था. जलप्रलय से निर्माणाधीन तपोवन जल विद्युत में काम करने वाले लखीमपुर खीरी जिले की कोतवाली तिकुनियां के गांव बाबूपुरवा, भूलनपुर, कड़िया, थाना सिंगाही के गांव भैरमपुर, इच्छानगर और तारनकोठी के 40 से अधिक मजदूरों का घर वालों से संपर्क टूट गया.

समस्तीपुर (बिहारः) वीडियो

समस्तीपुर (बिहार)

बता दें कि उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने के बाद आई आपदा में कई लोगों अभी भी लापता है. लापता सैंकड़ो लोगों में समस्तीपुर के कल्याणपुर प्रखंड के बासुदेवपुर गांव का रहने वाला नरेश दास भी शामिल है. उत्तराखंड के चमौली में नरेश अपने अन्य कुछ सहयोगी के साथ हाइड्रो पवार प्रोजेक्ट में मजदूर था.

लापता की अब-तक नहीं मिली कोई जानकारी
नरेश के छोटे भाई के अनुसार एक अखबार के जरिए उसे इस आपदा में लापता बड़े भाई से जुड़ी जानकारी मिली है. इस खबर के बाद से ही पीड़ित परिवार स्थानीय मुखिया की मदद से उत्तराखंड आपदा कंट्रोल रूम के संपर्क में है, लेकिन अबतक उन्हें नरेश को लेकर कोई जानकारी नहीं मिल पाई है.

पढ़े: अमिताभ दास ने DGP को लिखा पत्र- 'मंत्री लेसी सिंह के घर में है AK-47 का जखीरा'

लापता नरेश की पत्नी परेशान
बता दें कि, नरेश दास अपने तीन भाइयों में सबसे बड़ा है. वहीं, गांव में ही उसकी पत्नी और उसके 2 बच्चें रहते हैं. वहीं, इस घटना की सूचना के बाद से नरेश की पत्नी काफी परेशान हैं. वक्त के साथ किसी भी अनहोनी की आशंका से सहमी हुईं हैं.

उत्तराखंड आपदा कंट्रोल रूम को दी गई जानकारी
गौरतलब है कि नरेश के छोटे भाई ने उत्तराखंड आपदा कंट्रोल रूम को नरेश से जुड़ी सभी जानकारी और कागजात ईमेल कर दिए हैं, लेकिन वहीं, दूसरी ओर समस्तीपुर जिला प्रशासन की ओर से इस मामले में अबतक कोई भी पहल नहीं की गई है.

कहीं आंखों में आंसू है तो कहीं लबों पर दुआ भी है. हर किसी को आस है कि उसका अपना लौटकर घर आ जाए. कहीं मां की गोद बेटे के इंतजार में सूनी है तो कहीं बाप की बाहें अपने बेटे को एक बार फिर भर लेने को आतुर है. बस इंतजार है उनके लौट आने का.

लखीमपुर खीरी : गोद में बेटे की तस्वीर और आंखों में केवल आंसू. जिस बेटे को अपने गोद में खेलाया था आज उसी को एक बार देखने के लिए मां तरस रही है. फिलहाल केवल तस्वीर का ही सहारा है. लखीमपुर खीरी के इच्छानगर गांव के रहने वाले श्रीकिशन के परिवार पर दुखों का ग्लेशियर टूट पड़ा. इकलौते बेटे राजू की दो महीने बाद शादी होने वाली थी. परिवार में खुशियां थीं और शादी की तैयारियां चल रही थीं.

बाप-बेटे ने मिलकर सोचा कि दोनों मिलकर कुछ कमा लेंगे तो शादी के लिए किसी से कर्ज नहीं लेना पड़ेगा. धूमधाम से शादी होगी. लेकिन, उत्तराखंड में ग्लेशियर के टूटने से श्रीकिशन का सपना भी उसी में बह गया. श्रीकिशन अपने घर के 6 सदस्यों के साथ चमोली टनल में काम कर रहे थे. राजू के चाचा मुन्ना कहते हैं कि टीवी पर जब खबर देखी तो होश उड़ गए. कांपते हाथों से उन्होंने घर के सभी सदस्यों को फोन करना शुरू किया. लेकिन अभी तक किसी से कोई संपर्क नहीं हो सका है.

खुशियों वाले घर में अब गम, इंतजार और आंसू के सिवाय कुछ भी नहीं है. दीवारों पर हाथ के चिन्ह बनाकर लक्ष्मी का जहां इंतजार हो रहा था, आज वहां चूल्हे से धुआं तक नहीं उठ रहा. खामोश चूल्हा इंतजार के दर्द की इंतहा को बयां कर रहा है और परिवार के लौटने का इंतजार कमबख्त खत्म नहीं हो रहा.

स्पेशल रिपोर्ट

जिले के बाबूपुरवा गांव के जीवनलाल के घर का भी यही हाल है. जीवनलाल के दो बेटे अर्जुनलाल और विक्रम कुमार की कमाई से ही घर का खर्च चलता है. बड़ा बेटा विक्रम उत्तराखंड के टिहरी डैम पर काम करता है और छोटा बेटा अर्जुनलाल अभी दो महीने पहले ही तपोवन काम करने गया था. जीवनलाल ने उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने की खबर जब टीवी पर देखी तो उनके पैरों तले की जमीन ही खिसक गई.

बड़ा बेटा तो सुरक्षित था लेकिन छोटे बेटे का फोन स्विच ऑफ बता रहा था. पूरे घर में कोहराम मच गया. पूरे घर में गम का माहौल हो गया. पिता घर के मंदिर के सामने खड़े होकर हाथ जोड़कर अपने बेटे की सलामती की दुआ कर रहे हैं. जब इंसान के हाथ में चीजें नहीं रहती हैं तो उसे भगवान पर ही सबसे ज्यादा भरोसा रहता है. भरोसा है कि ईश्वर उनकी पुकार सुनेंगे. भरोसा है कि बेटा जहां भी होगा ठीक होगा.

लखीमपुर खीरी- लापता मजदूरों की सूची

भैरमपुर
1. जितेंद्र (25) पुत्र जगदमोहन
2. पैकरमा गिरि (45) पुत्र पुत्तू गिरि
3. सतेंद्र कुमार (23) पुत्र रामकुमार
4. रंजीत (24) पुत्र बरखा गिरि
5. संतोष पाल (30) पुत्र राममूर्ति
6. मनोज कुमार (25) पुत्र राममूर्ति
7. अर्जुन लाल (24) पुत्र जीवन लाल
8. विनोद कुमार (24) पुत्र श्रीराम
इच्छानगर
9. जलाल हुसैन (20) पुत्र इश्तियाक
10. राजू (21) पुत्र श्रीकेशन
11. राशिद (20) पुत्र साहिद
12. मुकेश (20) पुत्र चेतराम
13. जगदीश (45) पुत्र रामप्रसाद
14. इस्लाम (30) पुत्र मखबूल
15. इरशाद (33) पुत्र मोहम्मद अली
16. शेर बहादुर (46) पुत्र खुशीराम
17. रामतीरथ ( 35) पुत्र मनोहर
18. रामबिलास (30) पुत्र कढिले
19. प्रमोद (20) पुत्र बिंद्रा
20. उरफान (22) पुत्र उस्मान
21. श्रीकृष्ण (30) पुत्र बदलू
22. उमेश (23) पुत्र जगदीश
बाबू पुरवा और अन्य गांव
23. भलभल (28) पुत्र जुम्मन खान, मिर्जागंज
24. हीरालाल (19)
25. सूरज (19)
26.अर्जुन (19)
27. विमलेश (25)
28. धर्मेंद्र (22) भूलनपुर
29.जावेद (24) पुत्र यूनुस सिंगाही
30. शेर सिंह पुत्र दीनदयाल तिकुनियां
31. रामू पुत्र सागर तिकुनियां
32. गौरी शंकर पुत्र जोगीराम तिकुनियां
33. शंकर पुत्र श्याम तिकुनियां
34. अरुण कुमार पुत्र रामबहादुर कडिया

आला अधिकारी पहुँचे पीड़ितों के गांव
डीएम-एसपी ने एक-एक कर परिवारों से मुलाकात के दौरान ढांढस बंधाया. उन्होंने कहा कि प्रशासन सभी ऐसे लोगों को चिन्हित कर सूचीबद्ध कर रहा है, जिनका अपने परिवारों से संपर्क नहीं हो पा रहा है.

सूचीबद्ध लोगों के संबंध में राहत आयुक्त, उप्र के अलावा उत्तराखंड के अधिकारियों को सूचित करते हुए उनके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है. जानकारी मिलते ही सभी परिजन से जानकारी साझा की जाएगी.

इस दौरान डीएम-एसपी ने उत्तराखंड के चमोली में खीरी के ऐसे मजदूर जिनसे संपर्क हो रहा है उनसे बात की और उनसे वहां के हालात के बारे में जानकारी ली. डीएम ने कहा कि लापता मजदूरों की सूची शासन को भेजी जा चुकी हैै और उत्तराखंड सरकार से जानकारी साझा करने के साथ ही अन्य कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने परिवारों को भी हर संभव मदद का आश्वासन दिया.
डीएम शैलेन्द्र सिंह ने बताया खीरी के 34 मजदूर लापता, 23 सकुशल की पुष्टि डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह ने की है। उन्होंने बताया है कि आठ गांवों तिकुनियां, इच्छानगर, मिर्जागंज, कड़िया, भैरमपुर, भेड़ौरी, भेड़ौरा-सिंगाही कला, उमरा से कुल 57 लोग चमोली में मजदूरी के लिए गए थे. इनमें से 34 लोगों से संपर्क नहीं हो पाया है, जबकि 23 लोग सकुशल हैं और अपने परिवार के संपर्क में हैं। डीएम ने बताया कि उत्तराखंड सरकार से लगातार संपर्क बना हुआ है। जैसे ही कोई नई सूचना प्राप्त होगी, तो परिजन को सूचना दी जाएगी.

चमोली के तपोवन में ग्लेशियर टूटकर ऋषिगंगा में गिरने से धौलीगंगा पर बन रहा बांध बह गया था. जलप्रलय से निर्माणाधीन तपोवन जल विद्युत में काम करने वाले लखीमपुर खीरी जिले की कोतवाली तिकुनियां के गांव बाबूपुरवा, भूलनपुर, कड़िया, थाना सिंगाही के गांव भैरमपुर, इच्छानगर और तारनकोठी के 40 से अधिक मजदूरों का घर वालों से संपर्क टूट गया.

समस्तीपुर (बिहारः) वीडियो

समस्तीपुर (बिहार)

बता दें कि उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने के बाद आई आपदा में कई लोगों अभी भी लापता है. लापता सैंकड़ो लोगों में समस्तीपुर के कल्याणपुर प्रखंड के बासुदेवपुर गांव का रहने वाला नरेश दास भी शामिल है. उत्तराखंड के चमौली में नरेश अपने अन्य कुछ सहयोगी के साथ हाइड्रो पवार प्रोजेक्ट में मजदूर था.

लापता की अब-तक नहीं मिली कोई जानकारी
नरेश के छोटे भाई के अनुसार एक अखबार के जरिए उसे इस आपदा में लापता बड़े भाई से जुड़ी जानकारी मिली है. इस खबर के बाद से ही पीड़ित परिवार स्थानीय मुखिया की मदद से उत्तराखंड आपदा कंट्रोल रूम के संपर्क में है, लेकिन अबतक उन्हें नरेश को लेकर कोई जानकारी नहीं मिल पाई है.

पढ़े: अमिताभ दास ने DGP को लिखा पत्र- 'मंत्री लेसी सिंह के घर में है AK-47 का जखीरा'

लापता नरेश की पत्नी परेशान
बता दें कि, नरेश दास अपने तीन भाइयों में सबसे बड़ा है. वहीं, गांव में ही उसकी पत्नी और उसके 2 बच्चें रहते हैं. वहीं, इस घटना की सूचना के बाद से नरेश की पत्नी काफी परेशान हैं. वक्त के साथ किसी भी अनहोनी की आशंका से सहमी हुईं हैं.

उत्तराखंड आपदा कंट्रोल रूम को दी गई जानकारी
गौरतलब है कि नरेश के छोटे भाई ने उत्तराखंड आपदा कंट्रोल रूम को नरेश से जुड़ी सभी जानकारी और कागजात ईमेल कर दिए हैं, लेकिन वहीं, दूसरी ओर समस्तीपुर जिला प्रशासन की ओर से इस मामले में अबतक कोई भी पहल नहीं की गई है.

कहीं आंखों में आंसू है तो कहीं लबों पर दुआ भी है. हर किसी को आस है कि उसका अपना लौटकर घर आ जाए. कहीं मां की गोद बेटे के इंतजार में सूनी है तो कहीं बाप की बाहें अपने बेटे को एक बार फिर भर लेने को आतुर है. बस इंतजार है उनके लौट आने का.

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