लखनऊ : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में रविवार को योगी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार (Yogi government cabinet expansion) किया गया था. जिसके बाद सोमवार को सभी नए मंत्रियों को विभाग आवंटित (new ministers get portfolio) कर दिए गये.
योगी मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद (Cabinet minister Jatin Prasad) को प्राविधिक शिक्षा विभाग का जिम्मा सौंपा गया है. इसके अलावा राज्यमंत्री पल्टूराम को सैनिक कल्याण, होमगार्ड, प्रान्तीय रक्षक दल एवं नागरिक सुरक्षा विभाग विभाग की जिम्मेदारी दी गई है. जबकि राज्यमंत्री डॉ. संगीता बलवंत को सहकारिता विभाग और राज्यमंत्री धर्मवीर प्रजापति को औद्योगिक विकास विभाग का दायित्व दिया गया है.
वहीं राज्य मंत्री छत्रपाल सिंह गंगवार को राजस्व विभाग, राज्यमंत्री संजीव कुमार को समाज कल्याण और अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग दिया गया है, जबकि राज्यमंत्री दिनेश खटीक को जल शक्ति एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग का दायित्व मिला है.
सीएम योगी ने ट्वीट कर कहा, उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में कल शामिल हुए सभी नए सदस्यों को आज विभागों का दायित्व प्राप्त हो गया है. मुझे विश्वास है कि आप सभी के कुशल, अनुभवी एवं कर्मठ नेतृत्व में संबंधित विभाग विकास की नई ऊंचाइयों को स्पर्श करेंगे. आप सभी के उज्ज्वल कार्यकाल हेतु अनंत शुभकामनाएं.
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मुझे विश्वास है कि आप सभी के कुशल, अनुभवी एवं कर्मठ नेतृत्व में संबंधित विभाग विकास की नई ऊंचाइयों को स्पर्श करेंगे।
आप सभी के उज्ज्वल कार्यकाल हेतु अनंत शुभकामनाएं।
सियासी लाभ लेने की कोशिश
योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Dovernment) ने चुनाव से कुछ महीने पहले अपना मंत्रिमंडल विस्तार (cabinet expansion) करके चुनाव में सियासी लाभ लेने की कोशिश की है. चुनाव से ठीक पहले जातीय समीकरण साधने और प्रशासनिक कामकाज को रफ्तार देने के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया है. लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि अगले साल मार्च के अंत तक प्रदेश में नई सरकार का गठन हो जाना है. ऐसे में संभावना है कि 15 दिसंबर के बाद प्रदेश में चुनावों की घोषणा हो सकती है, जिसके बाद आचार संहिता लागू हो जाएगी. ऐसे में इन नए मंत्रियों के पास काम करने के लिए सिर्फ ढाई से तीन महीने का वक्त बचा है. ऐसे में इस मंत्रिमंडल विस्तार से योगी सरकार (Yogi government) को क्या सियासी फायदा होगा और कामकाज की रफ्तार कैसे तेज आएगी.
अपने आपको साबित करने की जिम्मेदारी
इस मुद्दे को लेकर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल से खास बातचीत की. उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में जितनी गुंजाइश थी, उतने मंत्री अभी तक बने नहीं थे. यह बात राजनीतिक तौर पर और प्रशासनिक तौर पर भी कही जा रही थी कि जो भी मंत्री हैं, उनके पास कामकाज का बंटवारा ठीक से नहीं हुआ है. कुछ मंत्रियों के पास ज्यादा काम है, तो कुछ के पास कम विभागों का दायित्व है. मंत्रियों की संख्या और बढ़ाई जानी चाहिए. इस तरह के संकेत मिल रहे थे कि पिछले कुछ महीने में मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी पर चल रही थी, लेकिन विस्तार नहीं हो पाया था, क्योंकि मुख्यमंत्री के स्तर पर सहमति नहीं बन पाई थी. अब जो मंत्री बढ़ाए गए हैं उनसे स्पष्ट है कि जाति और क्षेत्र के हिसाब से देखा जाए तो राजनीतिक कारण है. मुझे लगता है कि प्रशासनिक तौर पर अब मंत्रियों को जो विभाग दिए जाएंगे, उनको अपने आपको साबित करने की जिम्मेदारी कहीं ज्यादा होगी. बजाय उनके पहले से जो मंत्री हैं. उनका आकलन तो हो ही रहा है.
नए मंत्रियों के पास मुश्किल से 4-5 महीने का समय बचा है. इस दौरान यदि इन लोगों ने अच्छा काम किया और उम्मीदों पर खरे उतरे तो यह माना जा सकता है कि इनके नीचे के जो राजनीतिक समर्थक हैं, उन्हें ज्यादा महत्व मिलेगा. अभी जो मंत्री हैं, उनमें से कई ठीक काम नहीं कर रहे हैं और मुख्यमंत्री और बीजेपी उन्हें हटाना चाह रहे थे, लेकिन राजनीतिक कारणों से नहीं हटाया जा सका. अब अगर यह मंत्री अच्छा काम करते हैं, तो इन्हें अधिक तवज्जो देकर कम काम करने वाले मंत्रियों का महत्व कम किया जा सकता है. आने वाले चुनावों में मुझे लगता है टिकट वितरण पर भी इसका असर पड़ेगा. प्रशासनिक तौर पर सरकार की दृष्टि से अगर देखें, तो सरकार के कई ऐसे विभाग हैं, जहां पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया. अगर इन मंत्रियों की वजह से अगले कुछ महीनों में वहां अच्छा काम होता है, तो सरकार को अपनी छवि सुधारने का मौका मिलेगा.
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