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असम में प्रमुख इस्लामी संगठन ने बकरीद पर गाय की कुर्बानी नहीं देने का किया आग्रह

असम में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की ओर से बकरीद पर गाय की कुर्बानी नहीं देने का आग्रह किया गया है. गाय के बदले अन्य दूसरे जानवरों की कुर्बानी देने का अनुरोध किया गया है. कहा गया कि इस बात का कोई उल्लेख या अनिवार्यता नहीं है कि गाय की ही बलि देनी होगी.

Use alternative of Cow for Kurbani in Eid-ul-Adha, says AIUDF chief Badaruddin Ajmal
असम में प्रमुख इस्लामी संगठन ने मुसलमानों से बकरीद पर गाय की कुर्बानी नहीं देने का आग्रह किया
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Published : Jul 5, 2022, 7:23 AM IST

गुवाहाटी: प्रमुख इस्लामी संगठन जमीयत उलेमा की असम इकाई ने मुसलमानों से ईद-उज-अजहा या बकरीद पर गायों की कुर्बानी नहीं देने का आग्रह किया है, ताकि हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत न हों. संगठन की राज्य इकाई के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि कुर्बानी इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है, ऐसे में गायों के अलावा अन्य जानवरों की बलि दी जा सकती है.

राजनीतिक दल ‘ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट’ (एआईयूडीएफ) के अध्यक्ष अजमल ने एक बयान में कहा, ‘हिंदुओं का सनातन धर्म गाय को मां मानता है और उसकी पूजा करता है. हमें उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए.' उन्होंने कहा कि इस्लामी मदरसे ‘दारुल उलूम देवबंद’ ने 2008 में एक सार्वजनिक अपील की थी कि बकरीद पर गाय की कुर्बानी न दी जाए और उसने यह बताया था कि इस बात का कोई उल्लेख या अनिवार्यता नहीं है कि गाय की ही बलि देनी होगी.

ये भी पढ़ें- दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 साल पूरे होने पर पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने साझा कीं पुरानी यादें

धुबरी के सांसद ने कहा, ‘मैं फिर से वही अपील दोहराता हूं और अपने साथियों से गाय के बजाय किसी अन्य जानवर की बलि देने का आग्रह करता हूं, ताकि देश की बहुसंख्यक आबादी की धार्मिक भावना को ठेस न पहुंचे.' अजमल ने कहा कि ईद-उज-अजहा के दौरान ऊंट, बकरी, गाय, भैंस और भेड़ जैसे अन्य जानवरों की बलि दी जा सकती है. उन्होंने कहा, ‘चूंकि अधिकतर लोग गाय को पवित्र मानते हैं, तो मैं लोगों से गाय की कुर्बानी नहीं देने और किसी अन्य जानवर की बलि देने का विनम्र आग्रह करता हूं.' बकरीद 10 जुलाई को मनाए जाने की संभावना है.

गुवाहाटी: प्रमुख इस्लामी संगठन जमीयत उलेमा की असम इकाई ने मुसलमानों से ईद-उज-अजहा या बकरीद पर गायों की कुर्बानी नहीं देने का आग्रह किया है, ताकि हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत न हों. संगठन की राज्य इकाई के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि कुर्बानी इस त्योहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है, ऐसे में गायों के अलावा अन्य जानवरों की बलि दी जा सकती है.

राजनीतिक दल ‘ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट’ (एआईयूडीएफ) के अध्यक्ष अजमल ने एक बयान में कहा, ‘हिंदुओं का सनातन धर्म गाय को मां मानता है और उसकी पूजा करता है. हमें उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए.' उन्होंने कहा कि इस्लामी मदरसे ‘दारुल उलूम देवबंद’ ने 2008 में एक सार्वजनिक अपील की थी कि बकरीद पर गाय की कुर्बानी न दी जाए और उसने यह बताया था कि इस बात का कोई उल्लेख या अनिवार्यता नहीं है कि गाय की ही बलि देनी होगी.

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धुबरी के सांसद ने कहा, ‘मैं फिर से वही अपील दोहराता हूं और अपने साथियों से गाय के बजाय किसी अन्य जानवर की बलि देने का आग्रह करता हूं, ताकि देश की बहुसंख्यक आबादी की धार्मिक भावना को ठेस न पहुंचे.' अजमल ने कहा कि ईद-उज-अजहा के दौरान ऊंट, बकरी, गाय, भैंस और भेड़ जैसे अन्य जानवरों की बलि दी जा सकती है. उन्होंने कहा, ‘चूंकि अधिकतर लोग गाय को पवित्र मानते हैं, तो मैं लोगों से गाय की कुर्बानी नहीं देने और किसी अन्य जानवर की बलि देने का विनम्र आग्रह करता हूं.' बकरीद 10 जुलाई को मनाए जाने की संभावना है.

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