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तालिबान के साथ फिर बातचीत शुरू करेगा अमेरिका, भारत की रहेगी नजर

अमेरिकी विदेश विभाग तालिबान के साथ बातचीत फिर से शुरू करेगा. अफगानिस्तान में विकासात्मक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने वाले भारत की भी इस पर नजर है.

जलमय खलीलजाद
जलमय खलीलजाद
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Published : Mar 1, 2021, 3:19 PM IST

वाशिंगटन : अमेरिकी विदेश विभाग ने तालिबान के साथ वार्ता को फिर से शुरू करने की घोषणा की है. इसके लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जलमय खलीलजाद को काबुल, दोहा और अन्य क्षेत्रीय राजधानियों का दौरा करने के लिए नियुक्त किया गया है.

अमेरिकी विदेश विभाग ने रविवार (स्थानीय समयानुसार) एक बयान में कहा, 'विशेष प्रतिनिधि राजदूत जलमय खलीलजाद और उनकी टीम काबुल, दोहा और जगह की यात्रा करेगी.'

विज्ञप्ति में कहा गया है कि वह (खलीलजाद) इस्लामिक रिपब्लिक और अफगान के नेताओं की चर्चा फिर से शुरू करेंगे. इस क्षेत्र में जो लोग अमन चाहते हैं उनके हितों को ध्यान में रखते हुए खलीलजाद बातचीत को आगे ले जाएंगे. जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद खलीलजाद की यह पहली अफगान यात्रा है.

खलीलजाद के इस्लामाबाद और नई दिल्ली की यात्रा करने की भी उम्मीद है.

जो बाइडेन का तालिबान के साथ बातचीत को फिर से शुरू करना स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अमेरिका डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की तर्ज पर अपनी अफगान नीति जारी रखे है. भारत जिसने अफगानिस्तान में विकासात्मक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा किया है अमेरिका के कदम को करीब से देख रहा है.

जानकार सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान पूरी तरह से तालिबान का समर्थन कर रहा है और उन्हें काबुल में स्थापित करना चाहता है, यह युद्धग्रस्त देश में लोकतांत्रिक और विकास संस्थानों के निर्माण में भारत के प्रयासों के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है.

पढ़ें- अमेरिका में प्रतिनिधि सभा ने 1900 अरब डॉलर के कोरोना राहत पैकेज को मंजूरी दी

भारत का रुख स्पष्ट है कि काबुल में किसी भी सरकार का गठन अफगान के नेतृत्व और अफगान के स्वामित्व में होना चाहिए.

वाशिंगटन : अमेरिकी विदेश विभाग ने तालिबान के साथ वार्ता को फिर से शुरू करने की घोषणा की है. इसके लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जलमय खलीलजाद को काबुल, दोहा और अन्य क्षेत्रीय राजधानियों का दौरा करने के लिए नियुक्त किया गया है.

अमेरिकी विदेश विभाग ने रविवार (स्थानीय समयानुसार) एक बयान में कहा, 'विशेष प्रतिनिधि राजदूत जलमय खलीलजाद और उनकी टीम काबुल, दोहा और जगह की यात्रा करेगी.'

विज्ञप्ति में कहा गया है कि वह (खलीलजाद) इस्लामिक रिपब्लिक और अफगान के नेताओं की चर्चा फिर से शुरू करेंगे. इस क्षेत्र में जो लोग अमन चाहते हैं उनके हितों को ध्यान में रखते हुए खलीलजाद बातचीत को आगे ले जाएंगे. जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद खलीलजाद की यह पहली अफगान यात्रा है.

खलीलजाद के इस्लामाबाद और नई दिल्ली की यात्रा करने की भी उम्मीद है.

जो बाइडेन का तालिबान के साथ बातचीत को फिर से शुरू करना स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अमेरिका डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की तर्ज पर अपनी अफगान नीति जारी रखे है. भारत जिसने अफगानिस्तान में विकासात्मक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा किया है अमेरिका के कदम को करीब से देख रहा है.

जानकार सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान पूरी तरह से तालिबान का समर्थन कर रहा है और उन्हें काबुल में स्थापित करना चाहता है, यह युद्धग्रस्त देश में लोकतांत्रिक और विकास संस्थानों के निर्माण में भारत के प्रयासों के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है.

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भारत का रुख स्पष्ट है कि काबुल में किसी भी सरकार का गठन अफगान के नेतृत्व और अफगान के स्वामित्व में होना चाहिए.

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