वाशिंगटन : अमेरिकी सीनेट ने एसोसिएट अटॉर्नी जनरल के रूप में 46 वर्षीय गुप्ता वनिता गुप्ता को चुना है. इस भूमिका में वह पहली भारतीय-अमेरिकी हैं.
बता दें कि अमेरिका की संसद ने सहयोगी अटॉर्नी जनरल के पद के लिए भारतीय मूल की अमेरिकी वनीता गुप्ता के नाम की पुष्टि की है जिसके बाद वह पहली अश्वेत व्यक्ति बन गई हैं जो न्याय मंत्रालय में तीसरे सबसे बड़े पद पर काबिज होंगी.
सीनेट में गुप्ता के पक्ष में 51 वोट पड़े जबकि 49 सांसदों ने उनके खिलाफ मत डाले. रिपब्लिकन सीनेटर लीजा मुरकोवस्की ने खुद को अपनी पार्टी के रुख से अलग करते हुए गुप्ता का समर्थन में वोट किया. इससे डेमोक्रेट्स के पक्ष में 51 मत हो गए और ऐतिहासिक रूप से गुप्ता के नाम की पुष्टि हुई.
बराबर मत पड़ने की सूरत में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अपना वोट डालने के लिए सीनेट में मौजूद थीं. अमेरिका में 100 सदस्यीय सीनेट में दोनों पार्टियों के 50-50 सदस्य हैं.
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, सहयोगी अटॉर्नी जनरल के तौर पर सेवा देने के लिए पहली अश्वेत महिला के रूप में इतिहास रचने के लिए वनीता गुप्ता को बधाई. अब, मैं सीनेट से क्रिस्टन क्लार्क के नाम की भी पुष्टि करने की अपील करता हूं. दोनों बेहद योग्य हैं, अति सम्मानित वकील हैं जो नस्ली समानता एवं न्याय को बेहतर बनाने के प्रति समर्पित हैं.
सीनेट के प्रमुख नेता चक शूमर ने गुप्ता के नाम की पुष्टि में अहम भूमिका निभाई.
उन्होंने कहा, वह हमारी संघीय कानून प्रवर्तन एजेंसी में लंबे समय से अपेक्षित नजरिया लाएंगी.
वह एसोसिएट अटॉर्नी जनरल के पद पर कार्य करेंगी जिसे न्याय विभाग का तीसरा सबसे शक्तिशाली पद माना जाता है. 100 सदस्यीय सीनेट में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन के 50-50 सदस्य हैं.
अमेरिकी सीनेट में वनिता के नाम की पुष्टि पर होने वाली सुनवाई पर पिछले सप्ताह मतदान टाल दिया गया था. इसकी वजह ये थी कि रिपब्लिकन सांसदों ने उनके नाम का विरोध किया था. रिपब्लिकन सदस्यों ने उनके नामांकन का विरोध करते हुए उनके उन ट्वीट का हवाला दिया था जिनमें रिपब्लिकन सदस्यों की आलोचना की गई थी.
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गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी उनकी तारीफ की थी. बाइडेन ने कहा था कि उन्होंने 'बहुत ही दक्ष और सम्मानित' भारतीय मूल की वकील वनिता गुप्ता को न्याय विभाग के लिए नामित किया है जिन्होंने अपना पूरा करियर नस्लीय समानता और न्याय की लड़ाई में लगाया है.