नई दिल्ली : रूस के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व वाले प्रतिबंध (US led economic sanctions) कारगर नजर नहीं आ रहे हैं. रूस पहले की तरह ही ईंधन का निर्यात कर रहा है, बल्कि उसका निर्यात बढ़ा ही है. इससे अमेरिकी खेमे में बेचैनी है, उनमें फूट पड़ रही है. 24 फरवरी को जब रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया, उस महीने रूस दुनिया के प्रमुख कच्चे तेल निर्यातकों में 20 वें स्थान पर था. मार्च में वह नौवें स्थान पर आ गया. अप्रैल में रूस पांचवें और मई में इराक के बाद दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल निर्यातक बन गया.
जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) : फिनलैंड-मुख्यालय सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार रूस ने युद्ध के पहले 100 दिनों (24 फरवरी से 3 जून) में जीवाश्म ईंधन के निर्यात से 93 अरब यूरो का राजस्व अर्जित किया. इसमें खुद यूरोपीय संघ ने लगभग 57 बिलियन यूरो का 61% आयात किया है. रूसी जीवाश्म ईंधन जिसमें पाइपलाइन गैस, कच्चा तेल, एलएनजी, तेल उत्पाद और कोयला शामिल हैं. इसके सबसे बड़े खरीदार चीन, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, तुर्की, पोलैंड, फ्रांस और भारत थे. प्रस्ताव पर भारी छूट का लाभ उठाते हुए भारत ने रूसी कच्चे तेल के आयात में दस गुना वृद्धि की. भारत फरवरी में जरूरत का केवल 2% आयात कर रहा था, जो बढ़ाकर 20% कर दिया है.
अंतरिक्ष मामले (Space Matters) : यूक्रेन को लेकर अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी ब्लॉक और रूस के बीच भले ही एक नो-होल्ड बैरड लड़ाई हो सकती है, लेकिन अंतरिक्ष में यह एक अलग कहानी है. जहां दोनों के बीच घनिष्ठ सहयोग है. शनिवार को रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के महानिदेशक दिमित्री रोज़ोज़िन ने मीडिया को बताया कि अमेरिका ने हाल ही में रूस के अंतरिक्ष यान सोयुज़ पर नासा के अंतरिक्ष यात्री मार्क वंदे हेई की उड़ान के लिए $ 34.4 मिलियन रूबल (2 बिलियन रूबल की राशि) का भुगतान किया है. वंदे हेई, रूसी अंतरिक्ष यात्री एंटोन श्काप्लेरोव और प्योत्र डबरोव यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई के पूरे 35 दिन बाद 30 मार्च को कजाकिस्तान में वापस धरती पर उतरे. कड़े आर्थिक प्रतिबंधों को लेकर रंजिश के बावजूद नासा ने अमेरिकी फर्म Axiom Space के माध्यम से भुगतान किया था.
रैंक में बदलाव : प्रतिबंधों की वजह से नाटो में भी फूट पड़ी है. तुर्की को लेकर अमेरिका के नेतृत्व वाले प्रयासों पर असर पड़ा है. यूरोपीय संघ के 'बिग थ्री'- फ्रांस, जर्मनी और इटली समेत यूरोपीय संघ के कई अन्य सदस्य भी रूसियों के साथ बातचीत के पक्ष में हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि जहां तक उनकी ऊर्जा आवश्यकताओं का संबंध है, रूस के साथ उनके पुराने संबंध हैं.
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने मास्को के प्रति नरम रुख की वकालत करते हुए फिर से रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है. मैक्रोन ने पेरिस में क्षेत्रीय मीडिया को हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा: 'हमें रूस को अपमानित नहीं करना चाहिए ताकि जिस दिन लड़ाई बंद हो जाए हम नए सिरे से राजनयिक माध्यमों से चीजों को बेहतर बना सकें.' इसके अलावा, रूसी-गैस पर निर्भर यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्थाओं के लिए जो भी विकल्प पेश किया जा रहा है, उसे स्थापित होने में कम से कम दो-तीन साल लगेंगे. दूसरी ओर, अमेरिका और ब्रिटेन की रूसियों के खिलाफ दीर्घकालिक योजनाएं हैं. यूरोपीय संघ के भीतर भी, बाल्टिक राष्ट्र क्या चाहते हैं और बाल्कन क्षेत्र के देश क्या चाहते हैं, इसमें अंतर है.
कैप्ड मूल्य : यूरोपीय देशों के बीच आज तक कोई स्पष्ट सहमति नहीं बन सकी है कि गैस और तेल पर प्रतिबंधों को लेकर रूस से कैसे निपटा जाए. यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अमेरिका के नेतृत्व वाली नीति लड़खड़ा सकती है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा हाल ही में दिए गए संकेत से अमेरिका खुद आशंकित है, जिसमें उन्होंने कहा कि रूस को प्रतिबंधों के खिलाफ एक निश्चित सीमा से कम कीमत पर कच्चे तेल को बेचने की अनुमति दी जा सकती है.
बाइडेन ने कहा, 'इस बारे में पूरी तरह से विचार चल रहा है कि तेल खरीदने के लिए क्या किया जा सकता है, लेकिन सीमित कीमत पर.' बहुत अधिक मुद्रास्फीति के स्तर के बीच, अमेरिका में एक गैलन गैस की कीमत $4.67 है. यूरोप और अमेरिका में तेल, गैस की कमी बढ़ती जा रही है. बंदरगाहों के बंद होने के कारण अफ्रीका में गेहूं और अन्य खाद्यान्नों की कमी की आशंका है. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या रूस पर अमेरिका के नेतृत्व वाले प्रतिबंध उनके उद्देश्य की पूर्ति कर रहे हैं.
रूस यूरोप को प्राकृतिक गैस के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है. जबकि परंपरागत रूप से रूस और यूक्रेन मिलकर दुनिया के लगभग एक-तिहाई गेहूं का योगदान करते हैं. ये गेहूं बड़े पैमाने पर अफ्रीका और एशिया को बेचा जाता है.
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