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साउथ चाइना सी में पहुंचा अमेरिकी युद्धपोत, चीन ने किया खदेड़ने का दावा

साउथ चाइना सी को लेकर एक बार फिर अमेरिका और चीन आमने-सामने आए हैं. चीन-ताइवान तनाव के बीच अमेरिका ने गुरुवार को साउथ चाइना सी में युद्धपोत भेजा. अमेरिका का कहना है कि समुद्र की स्वतंत्रता के लिए ऐसा किया गया. चीन ने अमेरिका की इस कार्रवाई को साउथ चाइना सी में शांति खत्म करने की साजिश करार दिया है.

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Published : Jan 21, 2022, 7:43 AM IST

US Navy warship challenges Chinese territorial
US Navy warship challenges Chinese territorial

वाशिंगटन :ताइवान को लेकर विवाद के बीच दक्षिण चीन सागर (South China Sea, SCS) में अमेरिका और चीन एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. एक अमेरिकी युद्धपोत ने गुरुवार को दक्षिण चीन सागर (South China Sea ) में घुसकर चीन के संप्रभुता के दावों को चुनौती दी. अमेरिकी नौसेना के 7 वें बेड़े ने एक बयान में कहा कि चीन के दावे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और समुद्र की स्वतंत्रता के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करते हैं. अमेरिकी नेवी ने बताया कि 20 जनवरी को यूएसएस बेनफोल्ड (डीडीजी 65) युद्धपोत ने दक्षिण चीन सागर में पहुंचकर 'समुद्र की स्वतंत्रता, उसके अधिकारों और वैध उपयोग को बरकरार रखा है. यह ऑपरेशन FONOP (नेविगेशन ऑपरेशन की स्वतंत्रता) का हिस्सा था.

बता दें कि दक्षिण चीन सागर के भी ज्यादातर हिस्सों पर चीन अपना दावा जताता है. अमेरिका ने यूएसएस बेनफोल्ड (डीडीजी 65) को साउथ चाइना सी में भेजकर पैरासेल द्वीप समूह को चीन में शामिल करने की घोषणा को भी चुनौती दी है. अमेरिका ने एक बयान में कहा कि चीन के अलावा ताइवान और वियतनाम भी पैरासेल द्वीप समूह पर संप्रभुता का दावा करते हैं. ये तीनों दावेदार तय करें कि इस समुद्री मार्ग ने युद्धपोत और जहाजों निर्बाध उपयोग जारी रहे. अमेरिका ने कहा है कि उसका मिशन समुद्री कानूनों के हिसाब से है, जिसका पालन सभी देश करते हैं और अमेरिका किसी भी हाल में समुद्री कानून और समुद्री अधिकार को बनाए रखने का पक्षधर है.

दक्षिण चीन सागर (South China Sea ) में अमेरिकी नौसेना के ऑपरेशन पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. चीन ने फिर दावा किया है कि अमेरिकी युद्धपोत ने साउथ चाइना सी के चीन वाले इलाके में आया, जिसे चीन की नौसेना और वायुसेना ने खदेड़ दिया. यह साबित करता हैं कि अमेरिका दक्षिण चीन सागर में खतरा पैदा करना चाहता है. अमेरिका दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता को खत्म करना चाहता है.

वाशिंगटन :ताइवान को लेकर विवाद के बीच दक्षिण चीन सागर (South China Sea, SCS) में अमेरिका और चीन एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं. एक अमेरिकी युद्धपोत ने गुरुवार को दक्षिण चीन सागर (South China Sea ) में घुसकर चीन के संप्रभुता के दावों को चुनौती दी. अमेरिकी नौसेना के 7 वें बेड़े ने एक बयान में कहा कि चीन के दावे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और समुद्र की स्वतंत्रता के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करते हैं. अमेरिकी नेवी ने बताया कि 20 जनवरी को यूएसएस बेनफोल्ड (डीडीजी 65) युद्धपोत ने दक्षिण चीन सागर में पहुंचकर 'समुद्र की स्वतंत्रता, उसके अधिकारों और वैध उपयोग को बरकरार रखा है. यह ऑपरेशन FONOP (नेविगेशन ऑपरेशन की स्वतंत्रता) का हिस्सा था.

बता दें कि दक्षिण चीन सागर के भी ज्यादातर हिस्सों पर चीन अपना दावा जताता है. अमेरिका ने यूएसएस बेनफोल्ड (डीडीजी 65) को साउथ चाइना सी में भेजकर पैरासेल द्वीप समूह को चीन में शामिल करने की घोषणा को भी चुनौती दी है. अमेरिका ने एक बयान में कहा कि चीन के अलावा ताइवान और वियतनाम भी पैरासेल द्वीप समूह पर संप्रभुता का दावा करते हैं. ये तीनों दावेदार तय करें कि इस समुद्री मार्ग ने युद्धपोत और जहाजों निर्बाध उपयोग जारी रहे. अमेरिका ने कहा है कि उसका मिशन समुद्री कानूनों के हिसाब से है, जिसका पालन सभी देश करते हैं और अमेरिका किसी भी हाल में समुद्री कानून और समुद्री अधिकार को बनाए रखने का पक्षधर है.

दक्षिण चीन सागर (South China Sea ) में अमेरिकी नौसेना के ऑपरेशन पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. चीन ने फिर दावा किया है कि अमेरिकी युद्धपोत ने साउथ चाइना सी के चीन वाले इलाके में आया, जिसे चीन की नौसेना और वायुसेना ने खदेड़ दिया. यह साबित करता हैं कि अमेरिका दक्षिण चीन सागर में खतरा पैदा करना चाहता है. अमेरिका दक्षिण चीन सागर में शांति और स्थिरता को खत्म करना चाहता है.

(ANI)

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