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एस-400 आपूर्ति : क्या भारत पर CAATSA के तहत प्रतिबंध लगाएगा अमेरिका ? - एस-400

भारत को रूसी मिसाइल सिस्‍टम एस-400 की आपूर्ति को लेकर अमेरिका दंड के रूप में भारत पर क्या हल्के प्रतिबंध लगा सकता है ? पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरूआ की रिपोर्ट...

एस-400 आपूर्ति मामला
एस-400 आपूर्ति मामला
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Published : Nov 17, 2021, 2:28 PM IST

Updated : Nov 19, 2021, 7:04 AM IST

नई दिल्ली : रूसी मिसाइल सिस्‍टम एस-400 की आपूर्ति के ठीक पहले एक बार फ‍िर भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों की चर्चा जोरों पर है. वहीं अब यह सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, अमेरिका रूसी एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति को लेकर नाराज है. भारत और रूस के बीच यह रक्षा सौदा वर्ष 2018 में हुआ था, तब से अमेरिका इस सौदे का विरोध कर रहा है. वह भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दे चुका है. हालांकि, भारत कई बार कह चुका है कि वह रूस के साथ इस समझौते को करने के लिए पूरी तरह से प्रतिद्ध है.

रूसी मिसाइल सिस्‍टम एस-400 खरीदने पर काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेक्शन एक्ट (CAATSA) के कड़े प्रावधानों के तहत भारत पर कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. इसीक्रम में सोमवार को, पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन एफ. किर्बी ने एक ब्रीफिंग में कहा कि मुझे लगता है कि हमें इस प्रणाली (एस -400) पर अपनी चिंता के बारे में अपने भारतीय भागीदारों से कहने के लिए कोई अपडेट नहीं है. उन्होंने कहा कि जब सचिव ने नई दिल्ली का दौरा किया तब हमने इस बारे में बात की थी, हमें हमें निश्चित रूप से उस प्रणाली पर चिंता है, लेकिन मेरे पास आपके लिए कोई अपडेट नहीं है.

वहीं दूसरी ओर रूस ने अपने अनुबंध को आगे बढ़ाते हुए रूस के हथियार विक्रेता रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के प्रमुख अलेक्जेंडर मिखेयेव ने दुबई एयर-शो 2021 में कहा कि 'उपकरण शिपमेंट (भारत के लिए) समय से पहले शुरू हो गया है. इसीक्रम में पहला रेजिमेंट सेट का प्रशिक्षण भारतीय विशेषज्ञों ने पूरा कर लिया है और घर लौट आए है. उन्होंने कहा कि पहले रेजिमेंट सेट की सभी सामग्री 2021 के अंत में भारत पहुंचा दी जाएगी. वहीं नए साल के तुरंत बाद, हमारे विशेषज्ञ उन जगहों पर उपकरण हस्तांतरण के लिए भारत पहुंचेंगे जहां इसे तैनात किया जाएगा.

वहीं अमेरिका आकलन करेगा कि वह किस हद तक CAATSA को लागू करेगा. 2017 अमेरिकी संघीय कानून है जो रूस, ईरान और उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाता है और उनसे निपटने वाले किसी भी व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करता है.

ये भी पढ़ें - रूस की एस-400 मिसाइल प्रणाली की भारत को आपूर्ति पर अमेरिका ने जताई चिंता

बता दें कि रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने की वजह से अमेरिका नैटो के सदस्य देश तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुका है. ऐसे समय में जब तुर्की का प्रभाव फैल रहा है और अफगानिस्तान, मध्य एशिया बड़ा हो रहा है, तुर्की से और दूरी बनाना इस समय अमेरिका के लिए बहुत उपयुक्त नहीं हो सकता है.

दूसरा, अमेरिका को इस बात का अहसास है कि भारत में रूसी हथियारों का आयात निश्चित रूप से एस-400 के साथ नहीं रुकेगा और भारत पर कड़े प्रतिबंध भारतीय सेना के लिए रूसी निर्मित पनडुब्बियों और स्टील्थ लड़ाकू विमानों जैसे रूसी प्लेटफार्मों के द्वार खोल देंगे. इससे फ्रांस और इज़राइल देशों को भी फायदा होगा. हाल ही में, रूस में भारत के निवर्तमान राजदूत बाला वेंकटेश वर्मा ने बताया था कि रूस 2018 में प्रति वर्ष लगभग 2-3 बिलियन डॉलर का कारोबार बढ़कर वर्तमान में लगभग 9-10 बिलियन डॉलर का हो गया है.

तीसरा, यदि भारत पर प्रतिबंध वांछित परिणाम देने में विफल रहते हैं तो दुनिया के राष्ट्रों के बीच अमेरिका की प्रतिष्ठा को भारी नुकसान होगा. इससे अफगानिस्तान से वापसी के समय की यादें ताज हो जाएंगी. चौथा, भारत द्वारा एस-400 प्रणाली को अमेरिकी प्रणालियों के साथ एकीकृत करने की संभावना से अमेरिका चिंतित है, यही वजह है कि बीईसीए (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन) भारत के साथ अमेरिका के सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर तैयारी कर ली है. पांचवां, भारतीय दृष्टिकोण से मुद्दा यह है कि क्या भारत अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों के प्रभाव को बनाए रखने में सक्षम होगा, खासकर ऐसे समय में जब भारतीय अर्थव्यवस्था रिकवरी मोड पर है.

ये भी पढ़ें - नहीं काम आया अमेरिकी पैंतरा, रूस ने शुरू की भारत को S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम की डिलीवरी

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में इतिहास पढ़ाने वाले एक रणनीतिक विश्लेषक प्रो. कुमार संजय सिंह का कहना है कि आखिरकार अमेरिका भारत पर CAATSA को किस हद तक रोकेगा. लेकिन अमेरिका के लिए इस मुद्दे पर पैंतरेबाज़ी करने की जगह फिलहाल सीमित होती दिख रही है इसलिए सीएएटीएसए लागू होने की संभावना अधिक है लेकिन यह एक महत्वपूर्ण तरीके से अधिक प्रतीकात्मक तरीके से हो सकता है.

उन्होंने कहा कि चीन की वजह से अमेरिका-भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने से अधिक रणनीतिक स्थितियों की वजह से यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक निश्चित बिंदु से आगे प्रभावित न हो. साथ ही साथ रूस से सैन्य उपकरणों की भविष्य में कोई खरीद न हो.

वहीं अमेरिकी सीनेट में भारत का पक्ष लेने वाला खेमा काफी मजबूत है. सीनेट में बड़ी संख्‍या में भारतीय समर्थक मौजूद है. भारत के खिलाफ कोई कदम उठाने से पहले बाइडेन प्रशासन पर इस लाबी का दबाव रहेगा. इसके अलावा बाइडेन प्रशासन और मोदी सरकार के साथ बेहतर संबंध हैं. ऐसे में यह उम्‍मीद कम है कि बाइडन प्रशासन अमेरिका पर सैन्‍य या आर्थिक प्रतिबंध लगाए.

नई दिल्ली : रूसी मिसाइल सिस्‍टम एस-400 की आपूर्ति के ठीक पहले एक बार फ‍िर भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों की चर्चा जोरों पर है. वहीं अब यह सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, अमेरिका रूसी एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति को लेकर नाराज है. भारत और रूस के बीच यह रक्षा सौदा वर्ष 2018 में हुआ था, तब से अमेरिका इस सौदे का विरोध कर रहा है. वह भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी भी दे चुका है. हालांकि, भारत कई बार कह चुका है कि वह रूस के साथ इस समझौते को करने के लिए पूरी तरह से प्रतिद्ध है.

रूसी मिसाइल सिस्‍टम एस-400 खरीदने पर काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेक्शन एक्ट (CAATSA) के कड़े प्रावधानों के तहत भारत पर कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. इसीक्रम में सोमवार को, पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन एफ. किर्बी ने एक ब्रीफिंग में कहा कि मुझे लगता है कि हमें इस प्रणाली (एस -400) पर अपनी चिंता के बारे में अपने भारतीय भागीदारों से कहने के लिए कोई अपडेट नहीं है. उन्होंने कहा कि जब सचिव ने नई दिल्ली का दौरा किया तब हमने इस बारे में बात की थी, हमें हमें निश्चित रूप से उस प्रणाली पर चिंता है, लेकिन मेरे पास आपके लिए कोई अपडेट नहीं है.

वहीं दूसरी ओर रूस ने अपने अनुबंध को आगे बढ़ाते हुए रूस के हथियार विक्रेता रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के प्रमुख अलेक्जेंडर मिखेयेव ने दुबई एयर-शो 2021 में कहा कि 'उपकरण शिपमेंट (भारत के लिए) समय से पहले शुरू हो गया है. इसीक्रम में पहला रेजिमेंट सेट का प्रशिक्षण भारतीय विशेषज्ञों ने पूरा कर लिया है और घर लौट आए है. उन्होंने कहा कि पहले रेजिमेंट सेट की सभी सामग्री 2021 के अंत में भारत पहुंचा दी जाएगी. वहीं नए साल के तुरंत बाद, हमारे विशेषज्ञ उन जगहों पर उपकरण हस्तांतरण के लिए भारत पहुंचेंगे जहां इसे तैनात किया जाएगा.

वहीं अमेरिका आकलन करेगा कि वह किस हद तक CAATSA को लागू करेगा. 2017 अमेरिकी संघीय कानून है जो रूस, ईरान और उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाता है और उनसे निपटने वाले किसी भी व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करता है.

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बता दें कि रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने की वजह से अमेरिका नैटो के सदस्य देश तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुका है. ऐसे समय में जब तुर्की का प्रभाव फैल रहा है और अफगानिस्तान, मध्य एशिया बड़ा हो रहा है, तुर्की से और दूरी बनाना इस समय अमेरिका के लिए बहुत उपयुक्त नहीं हो सकता है.

दूसरा, अमेरिका को इस बात का अहसास है कि भारत में रूसी हथियारों का आयात निश्चित रूप से एस-400 के साथ नहीं रुकेगा और भारत पर कड़े प्रतिबंध भारतीय सेना के लिए रूसी निर्मित पनडुब्बियों और स्टील्थ लड़ाकू विमानों जैसे रूसी प्लेटफार्मों के द्वार खोल देंगे. इससे फ्रांस और इज़राइल देशों को भी फायदा होगा. हाल ही में, रूस में भारत के निवर्तमान राजदूत बाला वेंकटेश वर्मा ने बताया था कि रूस 2018 में प्रति वर्ष लगभग 2-3 बिलियन डॉलर का कारोबार बढ़कर वर्तमान में लगभग 9-10 बिलियन डॉलर का हो गया है.

तीसरा, यदि भारत पर प्रतिबंध वांछित परिणाम देने में विफल रहते हैं तो दुनिया के राष्ट्रों के बीच अमेरिका की प्रतिष्ठा को भारी नुकसान होगा. इससे अफगानिस्तान से वापसी के समय की यादें ताज हो जाएंगी. चौथा, भारत द्वारा एस-400 प्रणाली को अमेरिकी प्रणालियों के साथ एकीकृत करने की संभावना से अमेरिका चिंतित है, यही वजह है कि बीईसीए (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन) भारत के साथ अमेरिका के सैन्य समझौते पर हस्ताक्षर तैयारी कर ली है. पांचवां, भारतीय दृष्टिकोण से मुद्दा यह है कि क्या भारत अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों के प्रभाव को बनाए रखने में सक्षम होगा, खासकर ऐसे समय में जब भारतीय अर्थव्यवस्था रिकवरी मोड पर है.

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दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में इतिहास पढ़ाने वाले एक रणनीतिक विश्लेषक प्रो. कुमार संजय सिंह का कहना है कि आखिरकार अमेरिका भारत पर CAATSA को किस हद तक रोकेगा. लेकिन अमेरिका के लिए इस मुद्दे पर पैंतरेबाज़ी करने की जगह फिलहाल सीमित होती दिख रही है इसलिए सीएएटीएसए लागू होने की संभावना अधिक है लेकिन यह एक महत्वपूर्ण तरीके से अधिक प्रतीकात्मक तरीके से हो सकता है.

उन्होंने कहा कि चीन की वजह से अमेरिका-भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने से अधिक रणनीतिक स्थितियों की वजह से यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक निश्चित बिंदु से आगे प्रभावित न हो. साथ ही साथ रूस से सैन्य उपकरणों की भविष्य में कोई खरीद न हो.

वहीं अमेरिकी सीनेट में भारत का पक्ष लेने वाला खेमा काफी मजबूत है. सीनेट में बड़ी संख्‍या में भारतीय समर्थक मौजूद है. भारत के खिलाफ कोई कदम उठाने से पहले बाइडेन प्रशासन पर इस लाबी का दबाव रहेगा. इसके अलावा बाइडेन प्रशासन और मोदी सरकार के साथ बेहतर संबंध हैं. ऐसे में यह उम्‍मीद कम है कि बाइडन प्रशासन अमेरिका पर सैन्‍य या आर्थिक प्रतिबंध लगाए.

Last Updated : Nov 19, 2021, 7:04 AM IST
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